प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर के स्वामित्व को लेकर वाराणसी की अदालत में लंबित मुकदमे की पोषणीयता और ज्ञानवापी परिसर का एएसआई से सर्वे कराने के आदेश को लेकर दाखिल दीवानी मुकदमे की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को फैसला सुरक्षित कर लिया. कोर्ट 28 अगस्त को अपना निर्णय सुनाएगी. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड व अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी वाराणसी की पांच याचिकाओं पर मंगलवार को एक साथ सुनवाई के बाद दिया. इससे पहले भी कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया था और फैसला आने तक साइंटिफिक सर्वे कराने के वाराणसी अदालत के आदेश पर लगी रोक बढ़ा दी थी. फैसला लिखते समय कोर्ट ने कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण के संदर्भ में पक्षकारों के वकीलों से फिर से सुनवाई करने को कहा था.
कुछ मुद्दों को स्पष्ट करने के लिए मंगलवार को फिर से हुई सुनवाई में कोर्ट ने कुछ मुद्दों पर सवालों के जवाब लिए. कोर्ट ने मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी से पूछा कि जब सर्वे पर हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी है और फैसला सुरक्षित था तो जिला जज ने फिर से साइंटिफिक सर्वे का आदेश क्यों दिया. जवाब में कहा गया कि कोर्ट ने सर्वे कराने के आदेश पर रोक लगाई है. लेकिन, मुकदमे की सुनवाई पर रोक नहीं लगाई थी. वादी की ओर से मई 2023 में अर्जी दाखिल की गई. याची ने वहां आपत्ति दाखिल की और दोनों पक्षों को सुनने के बाद वाराणसी के जिला जज ने कथित वजूखाना में मिली शिवलिंग आकृति के सिवाय पूरे परिसर का साइंटिफिक सर्वे कराने का आदेश दिया है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 26 जुलाई तक रोक लगाते हुए हाईकोर्ट में याचिका करने का आदेश दिया है.
कोर्ट ने याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी और अधिवक्ता पुनीत गुप्ता से जानना चाहा कि याचिका दाखिल की गई या नहीं. इस पर बताया गया कि याचिका दाखिल हो गई है. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी देखा और कुछ अन्य सवालों का स्पष्टीकरण लेने के बाद फैसले की तारीख तय कर दी. राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अशोक मेहता और केंद्र सरकार की ओर से एएसजीआई शशि प्रकाश सिंह भी कोर्ट में उपस्थित रहे.
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