लखनऊ : आईपीएस हो या आईएएस, सभी अधिकारी चाहते हैं कि वह हर बार फ्रंट लाइन पर पोस्ट रहें और शीर्ष स्तर तक जाएं. कुछ ऐसे अधिकारी होते हैं, जिनकी यह चाहत पूरी भी हो जाती है, लेकिन एक छोटी सी गलती उन्हें अर्श से फर्श पर ले आती है. आइए आज हम ऐसे पांच आईपीएस अधिकारियों के बारे में जानते हैं, जिनके योगी सरकार में सितारे बुलंद भी रहे और अचानक गर्दिश में भी चले गए.
बड़े जिलों के कप्तानी से डीजीपी बने थे मुकुल गोयल
योगी सरकार में एक ऐसा आईपीएस अधिकारी, जो सबसे अधिक चर्चा में रहे हैं. यूपी से लेकर दिल्ली में इस आईपीएस अधिकारी के नाम पर जम कर हंगामा बरपा था. डीजीपी जैसे शीर्ष पद पर जाने के बाद अचानक साइड लाइन में भेजे गए वो आईपीएस अधिकारी हैं. वर्ष 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी मुकुल गोयल. मुकुल गोयल वर्तमान में डीजी सिविल डिफेंस हैं जो आमतौर पर सजा के तौर पर पोस्टिंग देखी जाती है. ऐसा नहीं है कि मुकुल गोयल को हमेशा से ऐसे ही पोस्टिंग मिली हो. मुजफ्फरनगर के रहने वाले आईपीएस मुकुल गोयल आजमगढ़, वाराणसी, गोरखपुर, सहरानपुर, मेरठ में एसएसपी रहे. इसके अलावा कानपुर, आगरा, बरेली रेंज के डीआईजी और बरेली जोन के आईजी भी रह चुके हैं. वे यूपी के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के पद पर भी रहे. उनके सितारे बुलंदी में तब आए जब यूपी में योगी सरकार थी और उन्हें जून 2021 में डीजीपी बनाया गया. मुकुल गोयल के सितारे जब बुलंदी पर थे तो अचानक उनको अर्श से फर्श पर ला दिया गया. योगी सरकार ने 11 मई को उन्हें अचानक शासकीय कार्यों की अवहेलना करने व विभागीय कार्यों में रुचि न लेने एवं अकर्मण्यता के चलते डीजीपी के पद से हटा दिया. इसके बाद उन्हें डीजी सिविल डिफेंस बनाया गया है, जहां शायद ही कोई आईपीएस अफसर पोस्ट होना चाहता है.
लखनऊ के पहले कमिश्नर बने थे सुजीत पांडे, फिर कर दिए गए साइड लाइन
जनवरी 2020 में यूपी में दो शहरों में कमिश्नरी प्रणाली शुरू हुई और राजधानी के पहले पुलिस कमिश्नर बने थे. 1994 बैच के आईपीएस अफसर सुजीत पांडे. इस बात से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि सुजीत पांडे पर सीएम योगी आदित्यनाथ का कितना भरोसा होगा. कमिश्नर बनने से पहले वे एडीजी प्रयागराज जोन के पद पर तैनात थे, लेकिन एक ऐसा अधिकारी जो एक दर्जन जिलों में पुलिस कप्तान रहा हो, सीबीआई में रहते कई बड़े केस में अहम भूमिका निभाई, लखनऊ में आईजी, एसटीएफ के एसएसपी , प्रयागराज जोन के एडीजी और लखनऊ का पुलिस कमिश्नर रहा हो वह भी एकाएक अर्श से फर्श पर आ गए और उन्हें पुलिस ट्रेनिंग स्कूल भेज दिया गया.
वाराणसी के पहले पुलिस कमिश्नर सतीश गणेश भेज दिए गए ट्रेनिंग स्कूल
डीआईजी वाराणसी, आईजी कानून व्यवस्था, आईजी लखनऊ जोन और एडीजी आगरा जैसे पदों पर तैनात रह चुके 1996 बैच के आईपीएस अफसर सतीश गणेश वाराणसी के पहले पुलिस कमिश्नर रह चुके हैं. यह वो दौर था जब सतीश गणेश के सितारे बुलंदी पर थे. उन्हें एक के बाद एक क्रीम पोस्टिंग मिल रही थी. लिहाजा उन्होंने वाराणसी में रहते कई बड़े अपराधियों का सफाया किया. जालसाज कंपनी शाइन साइट के कई कर्मचारियों को जेल भेजा. कहते हैं न जब सितारों को गर्दिश में आना हो तो सब कुछ गलत होने लगता है. सतीश गणेश का वाराणसी पुलिस कमिश्नर के पद से तबादला एडीजी जीआरपी हो चुका था और इसी बीच एक ऐसा वीडियो दोबारा सबके सामने आ गया जिसकी महीनों पहले जांच हो चुकी थी और यह जांच खुद सतीश गणेश ने की थी. वीडियो था 2018 बैच के आईपीएस अफसर अनिरुद्ध सिंह का जो एक स्कूल प्रबंधक से घूस मांग रहे थे. वीडियो वायरल होने पर हंगामा मचा और दोबारा इसकी जांच हुई. जांच रिपोर्ट आने पर सीएम योगी ने सतीश गणेश को अर्श से फर्श पर ला दिया और पीटीएस मुरादाबाद में पोस्टिंग दे दी.
फैसलों पर अडिग रहने वाले ज्योति नारायण झेल रहे काले पानी की सजा
एक ऐसा आईपीएस अधिकारी, जिसे कभी नोएडा में भड़की हिंसा को रोकने के लिए मायावती ने एसएसपी बना कर भेजा था. वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग ने इस आईपीएस अधिकारी को लखनऊ का एसएसपी भी बनाया था. यूपी के आईजी कानून व्यवस्था रहे और जब एडीजी के पद पर प्रमोशन हुआ तो उन्हें ट्रैफिक विभाग की जिम्मेदारी सौंप दी गई. वे अधिकारी हैं 1996 बैच के आईपीएस अफसर ज्योति नारायण. जिन्होंने ट्रैफिक विभाग को पटरी पर लाने के लिए कई अहम फैसले लिए. हाइवे ट्रैफिक पुलिस की पूरी रूप रेखा ज्योति नारायण ने खुद बनाई थी. इस बीच शासन से भेजी गई एक फाइल पर तत्कालीन एडीजी ट्रैफिक ज्योति नारायण ने नियम का हवाला देते हुए बैरंग वापस कर दी. उनके इसी फैसले ने उन्हें अर्श से फर्श पर लाने का काम किया और अप्रैल 2022 को ट्रेनिंग स्कूल जालौन भेज दिया गया. इस पोस्टिंग को आईपीएस अधिकारियों के खेमे में काले पानी की सजा कही जाती है.