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ओलंपिक में भारत का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन, जीते सात मेडल, नीरज ने रचा इतिहास

भारतीय खेल के लिए शनिवार का दिन ऐतिहासिक रहा. पहली बार एथलेटिक्स (ट्रैक एंड फील्ड कैटेगरी) में किसी भारतीय खिलाड़ी ने ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता. सेना के सूबेदार नीरज चोपड़ा ने 87.58 मीटर जैवलिन फेंककर यह गोल्ड मेडल हासिल किया. इस तरह से भारत ने टोक्यो ओलंपिक में कुल सात मेडल जीते. यह भारत का ओलंपिक में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन है. आइए जानते हैं कि नीरज चोपड़ा के इतिहास रचने की इस रोमांचक कहानी के बारे में....

नीरज चोपड़ा
नीरज चोपड़ा
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Published : Aug 7, 2021, 7:42 PM IST

Updated : Aug 8, 2021, 1:14 PM IST

हैदराबाद : टोक्यो में शनिवार का दिन भारत के लिए स्वर्णिम रहा. कुश्ती में बजरंग पूनिया के कांस्य पदक जीतने के कुछ ही देर बाद नीरज चोपड़ा के गोल्ड जीतने की खुशखबरी आई. जैवलीन थ्रो में भारत के नीरज चोपड़ा ने 87.58 मीटर भाला फेंककर यह इतिहास रचा.

हुंकार भरते नीरज चोपड़ा.
हुंकार भरते नीरज चोपड़ा.

टोक्यो ओलंपिक में यह भारत का पहला गोल्ड मेडल है. इससे पहले अभिनव विंद्रा ने 2008 के बीजिंग ओलंपिक में एकल प्रतिस्पर्धा (शूटिंग) में गोल्ड मेडल जीता था. ट्रैक एंड फील्ड कैटिगरी में यह भारत का पहला स्वर्ण पदक है. अभी तक ओलंपिक आयोजनों में भारत को कुल 10 गोल्ड मेडल मिले हैं. इनमें से 8 गोल्ड मेडल हॉकी में मिले हैं. हॉकी ग्रुप इंवेट कैटेगरी में आता है.

भारत ने पहली बार 1920 में एंटवर्प ओलंपिक के एथलेटिक्स में भाग लिया था. तब से लेकर रियो 2016 तक उसका कोई भी एथलीट पदक नहीं जीत पाया था. दिग्गज मिल्खा सिंह और पीटी ऊषा क्रमशः 1960 और 1984 में मामूली अंतर से मेडल हासिल करने से चूक गए थे.

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) नार्मन प्रिचर्ड को भारत की ही उपलब्धि मानता है. नॉर्मन प्रिचर्ड ने पेरिस ओलंपिक 1900 में 200 मीटर और 200 मीटर बाधा दौड़ में पदक जीता था. जीते गये पदकों को भारत के नाम पर दर्ज किया जाता है. लेकिन विभिन्न शोध तथा अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ (अब विश्व एथलेटिक्स) के अनुसार उन्होंने तब ग्रेट ब्रिटेन का प्रतिनिधित्व किया था. भारत 1928 के ओलंपिक से स्वतंत्र रूप से भाग ले रहा है.

नीरज चोपड़ा.
नीरज चोपड़ा.

1952 में पहली बार भारत ने जीते थे दो मेडल
1928 से 1948 तक कुल चार ओलंपिक हुए, जिसमें भारत को एक-एक मेडल मिलता रहा. ये मेडल हॉकी में मिले थे. 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में भारत को एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक मिला था. 1956 ( मेलबर्न) मे भी हॉकी के बलबूते ही एक गोल्ड मेडल मिला.1960 के रोम ओलंपिक में भारत को एक रजत, 1964 के टोक्यो ओलंपिक में एक गोल्ड, 1968 (मैक्सिको) में एक कांस्य पदक मिला. ये सभी पदक हॉकी के खाते में ही दर्ज है.

2004 तक चला एक मेडल का सिलसिला
पुरुष हॉकी में ही 1972 में एक कांस्य और 1980 में एक गोल्ड मिला था. इसके बाद 15 साल तक भारत को ओलंपिक में कोई मेडल नहीं मिला. 1996 के अटलांटा ओलंपिक में लिएंडर पेस ने टेनिस में कांस्य पदक जीतकर एक बार फिर मेडल हासिल करने की शुरुआत की. 2000 में कर्णम मल्लेश्वरी ने भी वेटलिफ्टिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर यह परंपरा जारी रखी. 2004 के एथेंस ओलंपिक में राज्यवर्द्धन सिंह राठौर ने सिल्वर मेडल जीता था.

2008 के ओलंपिक में भारतीय एथलीट एक गोल्ड और दो कांस्य जीतने में सफल रहे. 2012 के लंदन ओलंपिक में दो सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज के साथ भारतीय खिलाड़ियों ने अपना दम दिखाया. कुश्ती में सुशील कुमार और निशानेबाजी में विजय कुमार ने सिल्वर मेडल जीता था. लंदन में सायना नेहवाल, एम सी मैरिकॉम, योगेश्वर दत्त और गगन नारंग ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था.

2016 में एक सिल्वर और एक कांस्य से ही भारत को संतोष करना पड़ा. 2021 के भारत टोक्यो ओलंपिक में भारत अबतक कुल 7 पदक ( एक गोल्ड, दो सिल्वर, 4 ब्रॉन्ज) जीतकर 47वें पायदान पर पहुंच गया है.

टोक्यो में 7 मेडल, लंदन को पीछे छोड़ गए भारतीय एथलीट
लंदन ओलंपिक्स के बाद टोक्यो भारत के लिए सफलतम ओलंपिक डेस्टिनेशन बन गया है. लंदन ओलंपिक में भारत ने दो सिल्वर और 4 कांस्य के साथ कुल 6 मेडल जीते थे. टोक्यो में अब तक 7 भारतीय मेडल जीत चुके हैं. टोक्यो ओलंपिक की मेडल टैली में मीराबाई चानू ने सिल्वर के साथ भारत के लिए शुरुआत की थी. इसके बाद पीवी सिंधु, लवलीना और बजरंग पूनिया ने कांस्य जीता. पहलवान रवि दहिया ने सिल्वर मेडल जीता. भारत की पुरुष टीम ने भी हॉकी में 41साल बाद कांस्य पदक पर कब्जा किया है.

कहानी गोल्डन ब्वॉय नीरज चोपड़ा की

नीरज चोपड़ा ने रचा इतिहास.
नीरज चोपड़ा ने रचा इतिहास.
नीरज चोपड़ा हरियाणा के पानीपत के खांद्रा गांव के रहने वाले हैं. उनका जन्म 24 दिसंबर 1997 को एक किसान परिवार में हुआ. खेलों से नीरज के जुड़ाव की शुरुआत काफी दिलचस्प तरीके से हुई. संयुक्त परिवार में रहने वाले नीरज बचपन में काफी मोटे थे और परिवार के दबाव में वजन कम करने के लिए वह खेलों से जुड़े. वह 13 साल की उम्र तक काफी शरारती थे. वह गांव में मधुमक्खियों के छत्ते से छेड़छाड़ करने के साथ भैसों की पूंछ खींचने जैसी शरारत करते थे. उनके पिता सतीश कुमार चोपड़ा बेटे को अनुशासित करने के लिए कुछ करना चाहते थे. काफी मनाने के बाद नीरज दौड़ने के लिए तैयार हुए जिससे उनका वजन घट सके.
नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल जीता.
नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल जीता.

घर से 15 किलोमीटर अभ्यास करने जाते थे नीरज
उनके चाचा उन्हें गांव से 15 किलोमीटर दूर पानीपत स्थित शिवाजी स्टेडियम लेकर गये. नीरज को दौड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं थी और जब उन्होंने स्टेडियम में कुछ खिलाड़ियों को भाला फेंक का अभ्यास करते देखा तो उन्हें इस खेल से प्यार हो गया. उन्होंने इसमें हाथ आजमाने का फैसला किया और अब वह एथलेटिक्स में देश के सबसे बड़े खिलाड़ियों में से एक बन गये हैं. अनुभवी भाला फेंक खिलाड़ी जयवीर चौधरी ने 2011 में नीरज की प्रतिभा को पहचाना था. नीरज इसके बाद बेहतर सुविधाओं की तलाश में पंचकूला के ताऊ देवी लाल स्टेडियम में आ गये और 2012 के आखिर में वह अंडर-16 राष्ट्रीय चैंपियन बन गए थे.

भाला फेंकते नीरज चोपड़ा.
भाला फेंकते नीरज चोपड़ा.

नीरज को इस खेल में अगले स्तर पर पहुंचने के लिए वित्तीय मदद की जरूरत थी, जिसमें बेहतर उपकरण और बेहतर आहार की आवश्यकता थी. ऐसे में उनके संयुक्त किसान परिवार ने उनकी मदद की और 2015 में नीरज राष्ट्रीय शिविर में शामिल हो गए. नीरज ने 2017 में सेना से जुड़ने के बाद कहा था कि हम किसान हैं, परिवार में किसी के पास सरकारी नौकरी नहीं है और मेरा परिवार बड़ी मुश्किल से मेरा साथ देता आ रहा है. लेकिन अब यह एक राहत की बात है कि मैं अपने प्रशिक्षण को जारी रखने के अलावा अपने परिवार का आर्थिक रूप से समर्थन करने में सक्षम हूं.

नीरज चोपड़ा.
नीरज चोपड़ा.

नीरज का सफर

2016 : पोलैंड में हुए आईएएएफ चैंपियनशिप में 86.48 मीटर दूर भाला फेंककर गोल्ड जीता

2017 : नीरज ने 85.23 मीटर थ्रो कर एशियन एथलेक्टिस चैंपियनशिप में गोल्ड पर कब्जा किया

2018 : एशियाड में 88.06 मीटर दूर भाला फेंककर स्वर्ण पदक जीता था

2021: इंडियन ग्रांड प्रिक्स में नीरज ने 88.07 मीटर का थ्रो कर अपने रेकॉर्ड को तोड़ा था

2021 : टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर रचा इतिहास

भाला फेंकते नीरज चोपड़ा.
भाला फेंकते नीरज चोपड़ा.

अर्जुन पुरस्कार और विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित हैं सूबेदार नीरज
2016 में आईएएएफ चैंपियनशिप में उत्कृष्ट प्रदर्शन के बाद उन्हें सेना ने जूनियर कमीशंड ऑफिसर बनने का ऑफर दिया. वह सेना में सूबेदार के पद पर तैनात हैं. आर्मी स्पोर्टस कंट्रोल बोर्ड के मुताबिक, वह खिलाड़ियों को नॉन कमीशंड पोस्ट पर जॉब देती है. मगर नीरज चोपड़ा को उनकी काबिलियत के कारण जूनियर कमीशंड ऑफिसर बनाया गया. उन्हें सेना के ( Vishisht Seva Medal) मेडल से भी सम्मानित किया जा चुका है. 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतने के बाद उन्हें अर्जुन पुरस्कार से भी नवाजा गया.

पीएम मोदी समेत देश की कई हस्तियों ने दी बधाई
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी सहित कई देश की कई हस्तियों ने भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा को स्वर्ण पदक जीतने के बाद बधाई दी और उनकी प्रशंसा के पुल बांधे.

हैदराबाद : टोक्यो में शनिवार का दिन भारत के लिए स्वर्णिम रहा. कुश्ती में बजरंग पूनिया के कांस्य पदक जीतने के कुछ ही देर बाद नीरज चोपड़ा के गोल्ड जीतने की खुशखबरी आई. जैवलीन थ्रो में भारत के नीरज चोपड़ा ने 87.58 मीटर भाला फेंककर यह इतिहास रचा.

हुंकार भरते नीरज चोपड़ा.
हुंकार भरते नीरज चोपड़ा.

टोक्यो ओलंपिक में यह भारत का पहला गोल्ड मेडल है. इससे पहले अभिनव विंद्रा ने 2008 के बीजिंग ओलंपिक में एकल प्रतिस्पर्धा (शूटिंग) में गोल्ड मेडल जीता था. ट्रैक एंड फील्ड कैटिगरी में यह भारत का पहला स्वर्ण पदक है. अभी तक ओलंपिक आयोजनों में भारत को कुल 10 गोल्ड मेडल मिले हैं. इनमें से 8 गोल्ड मेडल हॉकी में मिले हैं. हॉकी ग्रुप इंवेट कैटेगरी में आता है.

भारत ने पहली बार 1920 में एंटवर्प ओलंपिक के एथलेटिक्स में भाग लिया था. तब से लेकर रियो 2016 तक उसका कोई भी एथलीट पदक नहीं जीत पाया था. दिग्गज मिल्खा सिंह और पीटी ऊषा क्रमशः 1960 और 1984 में मामूली अंतर से मेडल हासिल करने से चूक गए थे.

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) नार्मन प्रिचर्ड को भारत की ही उपलब्धि मानता है. नॉर्मन प्रिचर्ड ने पेरिस ओलंपिक 1900 में 200 मीटर और 200 मीटर बाधा दौड़ में पदक जीता था. जीते गये पदकों को भारत के नाम पर दर्ज किया जाता है. लेकिन विभिन्न शोध तथा अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ (अब विश्व एथलेटिक्स) के अनुसार उन्होंने तब ग्रेट ब्रिटेन का प्रतिनिधित्व किया था. भारत 1928 के ओलंपिक से स्वतंत्र रूप से भाग ले रहा है.

नीरज चोपड़ा.
नीरज चोपड़ा.

1952 में पहली बार भारत ने जीते थे दो मेडल
1928 से 1948 तक कुल चार ओलंपिक हुए, जिसमें भारत को एक-एक मेडल मिलता रहा. ये मेडल हॉकी में मिले थे. 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में भारत को एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक मिला था. 1956 ( मेलबर्न) मे भी हॉकी के बलबूते ही एक गोल्ड मेडल मिला.1960 के रोम ओलंपिक में भारत को एक रजत, 1964 के टोक्यो ओलंपिक में एक गोल्ड, 1968 (मैक्सिको) में एक कांस्य पदक मिला. ये सभी पदक हॉकी के खाते में ही दर्ज है.

2004 तक चला एक मेडल का सिलसिला
पुरुष हॉकी में ही 1972 में एक कांस्य और 1980 में एक गोल्ड मिला था. इसके बाद 15 साल तक भारत को ओलंपिक में कोई मेडल नहीं मिला. 1996 के अटलांटा ओलंपिक में लिएंडर पेस ने टेनिस में कांस्य पदक जीतकर एक बार फिर मेडल हासिल करने की शुरुआत की. 2000 में कर्णम मल्लेश्वरी ने भी वेटलिफ्टिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर यह परंपरा जारी रखी. 2004 के एथेंस ओलंपिक में राज्यवर्द्धन सिंह राठौर ने सिल्वर मेडल जीता था.

2008 के ओलंपिक में भारतीय एथलीट एक गोल्ड और दो कांस्य जीतने में सफल रहे. 2012 के लंदन ओलंपिक में दो सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज के साथ भारतीय खिलाड़ियों ने अपना दम दिखाया. कुश्ती में सुशील कुमार और निशानेबाजी में विजय कुमार ने सिल्वर मेडल जीता था. लंदन में सायना नेहवाल, एम सी मैरिकॉम, योगेश्वर दत्त और गगन नारंग ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था.

2016 में एक सिल्वर और एक कांस्य से ही भारत को संतोष करना पड़ा. 2021 के भारत टोक्यो ओलंपिक में भारत अबतक कुल 7 पदक ( एक गोल्ड, दो सिल्वर, 4 ब्रॉन्ज) जीतकर 47वें पायदान पर पहुंच गया है.

टोक्यो में 7 मेडल, लंदन को पीछे छोड़ गए भारतीय एथलीट
लंदन ओलंपिक्स के बाद टोक्यो भारत के लिए सफलतम ओलंपिक डेस्टिनेशन बन गया है. लंदन ओलंपिक में भारत ने दो सिल्वर और 4 कांस्य के साथ कुल 6 मेडल जीते थे. टोक्यो में अब तक 7 भारतीय मेडल जीत चुके हैं. टोक्यो ओलंपिक की मेडल टैली में मीराबाई चानू ने सिल्वर के साथ भारत के लिए शुरुआत की थी. इसके बाद पीवी सिंधु, लवलीना और बजरंग पूनिया ने कांस्य जीता. पहलवान रवि दहिया ने सिल्वर मेडल जीता. भारत की पुरुष टीम ने भी हॉकी में 41साल बाद कांस्य पदक पर कब्जा किया है.

कहानी गोल्डन ब्वॉय नीरज चोपड़ा की

नीरज चोपड़ा ने रचा इतिहास.
नीरज चोपड़ा ने रचा इतिहास.
नीरज चोपड़ा हरियाणा के पानीपत के खांद्रा गांव के रहने वाले हैं. उनका जन्म 24 दिसंबर 1997 को एक किसान परिवार में हुआ. खेलों से नीरज के जुड़ाव की शुरुआत काफी दिलचस्प तरीके से हुई. संयुक्त परिवार में रहने वाले नीरज बचपन में काफी मोटे थे और परिवार के दबाव में वजन कम करने के लिए वह खेलों से जुड़े. वह 13 साल की उम्र तक काफी शरारती थे. वह गांव में मधुमक्खियों के छत्ते से छेड़छाड़ करने के साथ भैसों की पूंछ खींचने जैसी शरारत करते थे. उनके पिता सतीश कुमार चोपड़ा बेटे को अनुशासित करने के लिए कुछ करना चाहते थे. काफी मनाने के बाद नीरज दौड़ने के लिए तैयार हुए जिससे उनका वजन घट सके.
नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल जीता.
नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल जीता.

घर से 15 किलोमीटर अभ्यास करने जाते थे नीरज
उनके चाचा उन्हें गांव से 15 किलोमीटर दूर पानीपत स्थित शिवाजी स्टेडियम लेकर गये. नीरज को दौड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं थी और जब उन्होंने स्टेडियम में कुछ खिलाड़ियों को भाला फेंक का अभ्यास करते देखा तो उन्हें इस खेल से प्यार हो गया. उन्होंने इसमें हाथ आजमाने का फैसला किया और अब वह एथलेटिक्स में देश के सबसे बड़े खिलाड़ियों में से एक बन गये हैं. अनुभवी भाला फेंक खिलाड़ी जयवीर चौधरी ने 2011 में नीरज की प्रतिभा को पहचाना था. नीरज इसके बाद बेहतर सुविधाओं की तलाश में पंचकूला के ताऊ देवी लाल स्टेडियम में आ गये और 2012 के आखिर में वह अंडर-16 राष्ट्रीय चैंपियन बन गए थे.

भाला फेंकते नीरज चोपड़ा.
भाला फेंकते नीरज चोपड़ा.

नीरज को इस खेल में अगले स्तर पर पहुंचने के लिए वित्तीय मदद की जरूरत थी, जिसमें बेहतर उपकरण और बेहतर आहार की आवश्यकता थी. ऐसे में उनके संयुक्त किसान परिवार ने उनकी मदद की और 2015 में नीरज राष्ट्रीय शिविर में शामिल हो गए. नीरज ने 2017 में सेना से जुड़ने के बाद कहा था कि हम किसान हैं, परिवार में किसी के पास सरकारी नौकरी नहीं है और मेरा परिवार बड़ी मुश्किल से मेरा साथ देता आ रहा है. लेकिन अब यह एक राहत की बात है कि मैं अपने प्रशिक्षण को जारी रखने के अलावा अपने परिवार का आर्थिक रूप से समर्थन करने में सक्षम हूं.

नीरज चोपड़ा.
नीरज चोपड़ा.

नीरज का सफर

2016 : पोलैंड में हुए आईएएएफ चैंपियनशिप में 86.48 मीटर दूर भाला फेंककर गोल्ड जीता

2017 : नीरज ने 85.23 मीटर थ्रो कर एशियन एथलेक्टिस चैंपियनशिप में गोल्ड पर कब्जा किया

2018 : एशियाड में 88.06 मीटर दूर भाला फेंककर स्वर्ण पदक जीता था

2021: इंडियन ग्रांड प्रिक्स में नीरज ने 88.07 मीटर का थ्रो कर अपने रेकॉर्ड को तोड़ा था

2021 : टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर रचा इतिहास

भाला फेंकते नीरज चोपड़ा.
भाला फेंकते नीरज चोपड़ा.

अर्जुन पुरस्कार और विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित हैं सूबेदार नीरज
2016 में आईएएएफ चैंपियनशिप में उत्कृष्ट प्रदर्शन के बाद उन्हें सेना ने जूनियर कमीशंड ऑफिसर बनने का ऑफर दिया. वह सेना में सूबेदार के पद पर तैनात हैं. आर्मी स्पोर्टस कंट्रोल बोर्ड के मुताबिक, वह खिलाड़ियों को नॉन कमीशंड पोस्ट पर जॉब देती है. मगर नीरज चोपड़ा को उनकी काबिलियत के कारण जूनियर कमीशंड ऑफिसर बनाया गया. उन्हें सेना के ( Vishisht Seva Medal) मेडल से भी सम्मानित किया जा चुका है. 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतने के बाद उन्हें अर्जुन पुरस्कार से भी नवाजा गया.

पीएम मोदी समेत देश की कई हस्तियों ने दी बधाई
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी सहित कई देश की कई हस्तियों ने भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा को स्वर्ण पदक जीतने के बाद बधाई दी और उनकी प्रशंसा के पुल बांधे.

Last Updated : Aug 8, 2021, 1:14 PM IST
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