नई दिल्ली: तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मौत (Jayalalithaa death) के बाद कई सवाल उठे थे कि क्या उन्हें सही इलाज मिल रहा था या उसमें कोई लापरवाही थी? अब एम्स नई दिल्ली के मेडिकल बोर्ड ने कहा है कि तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री, जयललिता का उपचार सही चिकित्सा पद्धति के अनुसार था. उन्हें प्रदान की गई देखभाल में कोई त्रुटि नहीं पाई गई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कार्डियॉलजिस्ट डॉक्टर संदीप सेठ के नेतृत्व में डॉक्टरों के पैनल ने चेन्नई के अपोलो अस्पताल के मेडिकल दस्तावेजों की छानबीन की.
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इसके साथ ही रेडियॉलजी से संबंधित जांच की रिकॉर्डिंग भी देखी गई. एम्स के डॉक्टरों के पैनल ने अपनी जांच में निष्कर्ष निकाला कि जयललिता को डायबिटीज, चक्कर आना, एटॉपिक डर्मेटाइटिस (त्वचा पर खुजली और सूजन), इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आंतों में दिक्कत), हाइपोथायराइड और क्रॉनिक ब्रॉन्काइटिस (पुरानी खांसी) जैसी बीमारियां थीं. अपोलो अस्पताल में भर्ती होने से पहले वह इन सारी परेशानियों से जूझ रही थीं.
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अरुमुगासामी कमीशन को भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि अस्पताल में भर्ती होने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री अंगूर, केक और मिठाइयां खा रही थीं. इसमें डॉक्टर शिवकुमार की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है, जिन्होंने 19 सितंबर 2016 को जयललिता का हेल्थ चेकअप किया था. 22 सितंबर 2016 को सीएम हाउस पर एक एंबुलेंस बुलाई गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि अस्पताल में भर्ती करने से पहले जांच में डॉक्टरों ने पाया कि जयललिता अपने पूरे होश में नहीं हैं. इसके साथ ही उनकी नब्ज और ब्लड प्रेशर भी स्थिर नहीं थे.