हैदराबाद : तेलंगाना उच्च न्यायालय ने टीआरएस के विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में मंगलवार को बड़ा निर्देश दिया है. अदालत ने केसीआर की पार्टी द्वारा लगाए गए बीजेपी पर आरोपों की जांच का आदेश राज्य पुलिस को दिया है. बता दें कि मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की पार्टी टीआरएस की तरफ से कहा गया था कि उनके चार विधायकों से पार्टी बदलने के लिए बीजेपी की तरफ संपर्क किया गया था. पार्टी विधायकों को पैसे की लालच भी दी गयी थी. पूरे मामले पर प्रतिद्वंद्वी भाजपा ने तेलंगाना उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर केंद्रीय जांच ब्यूरो जैसी "तटस्थ" एजेंसी से जांच कराने की मांग की थी. जिसके बाद अदालत ने भाजपा की याचिका पर सुनवाई लंबित रहने तक राज्य पुलिस को जांच करने का आदेश दे दिया.
क्या है मामला - साइबराबाद पुलिस ने एक विधायक पायलट रोहित रेड्डी की गुप्त सूचना पर छापेमारी की थी. उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये और तीन अन्य को 50-50 करोड़ रुपये देने की पेशकश की थी. आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था. उन्हें 27 अक्टूबर की रात को एक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, लेकिन उन्होंने सबूतों के अभाव में उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने से इनकार कर दिया. कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने आरोपी को रिहा कर दिया.
बाद में पुलिस ने निचली अदालत के आदेशों को चुनौती देते हुए तेलंगाना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. रामचंद्र भारती और रोहित रेड्डी के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत का ऑडियो भी रिलीज किया गया. आरोपियों ने विधायकों को खरीदने के 'सौदे' पर चर्चा की और भाजपा के कुछ शीर्ष नेताओं के नाम भी बताए. इसका एक वीडियो खुद मुख्यमंत्री केसीआर ने भी रिलीज किया.