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SC से स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को झटका, ज्योतिष पीठ के नए शंकराचार्य के रूप में अभिषेक पर रोक - Hearing on new Shankaracharya in Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उत्तराखंड में ज्योतिष पीठ के नए शंकराचार्य के रूप में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (Swami Avimukteshwaranand Saraswati) के अभिषेक पर रोक लगा दी है.

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Published : Oct 15, 2022, 5:59 PM IST

दिल्ली/देहरादून: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उत्तराखंड में ज्योतिष पीठ के नए शंकराचार्य के रूप में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (Swami Avimukteshwaranand Saraswati) के अभिषेक पर रोक लगा दी है. दरअसल, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति बीआर गवई (Justices BR Gavai) और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना (BV Nagarathna) की पीठ को सूचित किया कि पुरी में गोवर्धन मठ के शंकराचार्य ने एक हलफनामा दायर किया है कि ज्योतिष पीठ के नए शंकराचार्य के रूप में अविमुक्तेश्वरानंद की नियुक्ति का समर्थन नहीं किया गया है. इसके बाद शीर्ष अदालत ने उक्‍त आदेश पार‍ित किया है. मामले में अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ज्योतिष पीठ बदरीनाथ में ब्रह्मलीन शंकरचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी के विवाद पर सुनवाई कर रहा है. कोर्ट में एक याचिका दायर कर आरोप लगाया गया है कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा ज्योतिष पीठ के उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्त किए जाने का झूठा दावा किया था.

पढे़ं- संत समाज ने शंकराचार्य की नियुक्ति पर उठाए सवाल, 'नियमों के तहत नहीं हुई प्रक्रिया'

यह मामला 2020 से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. याचिका में कहा गया है कि यह सुनिश्चित करने का एक जानबूझकर प्रयास किया गया है कि इस अदालत के समक्ष कार्यवाही निष्फल हो जाए और एक व्यक्ति जो योग्य नहीं है, अपात्र है, वह अनधिकृत रूप से पद ग्रहण कर लें.

याचिका में बताया गया कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिष पीठ बदरीनाथ के शंकराचार्य के रूप में अभिषेक से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट अंतरिम आदेश से रोके. उनके द्वारा गलत तरीके से उत्तराधिकारी घोषित किया गया है. इसके लिए आवश्यक दस्तावेज दाखिल किए जा रहे हैं. आरोप लगाया कि नए शंकराचार्य की नियुक्ति पूरी तरह से झूठी है, क्योंकि यह नियुक्ति की स्वीकृत प्रक्रिया का पूर्ण उल्लंघन है.

पढे़ं- स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और स्वामी सदानंद सरस्वती होंगे शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी

उधर, सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सनातन धर्म के विद्वानों ने पीठ के शंकराचार्य को लेकर चिंता जताई है. हिन्दू विद्वानों के अनुसार शंकराचार्य के बिना कोई पीठ नहीं रह सकती. दरअसल, शंकराचार्य हिंदू धर्म की अद्वैत वेदांत परंपरा में मठों के प्रमुखों को कहा जाता है.

यह हिंदू समाज के सबसे बड़े धर्मगुरू माने जाते हैं. आदि शंकराचार्य ने उत्तर में बद्रीकाश्रम ज्योतिष पीठ, पश्चिम में द्वारका के शारदा पीठ, पूर्व में पुरी में गोवर्धन पीठ और कर्नाटक के चिक्कमगलूर जिले में श्रृंगेरी शारदा पीठम में चार मठों की स्थापना की थी. बीते दिनों द्वारका शारदा पीठ एवं बदरीनाथ ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य रहे स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ब्रह्मलीन होने के बाद उनके दो शिष्यों को दोनों मठों का शंकराचार्य घोषित किया गया था.

दिल्ली/देहरादून: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उत्तराखंड में ज्योतिष पीठ के नए शंकराचार्य के रूप में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (Swami Avimukteshwaranand Saraswati) के अभिषेक पर रोक लगा दी है. दरअसल, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति बीआर गवई (Justices BR Gavai) और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना (BV Nagarathna) की पीठ को सूचित किया कि पुरी में गोवर्धन मठ के शंकराचार्य ने एक हलफनामा दायर किया है कि ज्योतिष पीठ के नए शंकराचार्य के रूप में अविमुक्तेश्वरानंद की नियुक्ति का समर्थन नहीं किया गया है. इसके बाद शीर्ष अदालत ने उक्‍त आदेश पार‍ित किया है. मामले में अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ज्योतिष पीठ बदरीनाथ में ब्रह्मलीन शंकरचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी के विवाद पर सुनवाई कर रहा है. कोर्ट में एक याचिका दायर कर आरोप लगाया गया है कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा ज्योतिष पीठ के उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्त किए जाने का झूठा दावा किया था.

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यह मामला 2020 से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. याचिका में कहा गया है कि यह सुनिश्चित करने का एक जानबूझकर प्रयास किया गया है कि इस अदालत के समक्ष कार्यवाही निष्फल हो जाए और एक व्यक्ति जो योग्य नहीं है, अपात्र है, वह अनधिकृत रूप से पद ग्रहण कर लें.

याचिका में बताया गया कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिष पीठ बदरीनाथ के शंकराचार्य के रूप में अभिषेक से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट अंतरिम आदेश से रोके. उनके द्वारा गलत तरीके से उत्तराधिकारी घोषित किया गया है. इसके लिए आवश्यक दस्तावेज दाखिल किए जा रहे हैं. आरोप लगाया कि नए शंकराचार्य की नियुक्ति पूरी तरह से झूठी है, क्योंकि यह नियुक्ति की स्वीकृत प्रक्रिया का पूर्ण उल्लंघन है.

पढे़ं- स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और स्वामी सदानंद सरस्वती होंगे शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी

उधर, सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सनातन धर्म के विद्वानों ने पीठ के शंकराचार्य को लेकर चिंता जताई है. हिन्दू विद्वानों के अनुसार शंकराचार्य के बिना कोई पीठ नहीं रह सकती. दरअसल, शंकराचार्य हिंदू धर्म की अद्वैत वेदांत परंपरा में मठों के प्रमुखों को कहा जाता है.

यह हिंदू समाज के सबसे बड़े धर्मगुरू माने जाते हैं. आदि शंकराचार्य ने उत्तर में बद्रीकाश्रम ज्योतिष पीठ, पश्चिम में द्वारका के शारदा पीठ, पूर्व में पुरी में गोवर्धन पीठ और कर्नाटक के चिक्कमगलूर जिले में श्रृंगेरी शारदा पीठम में चार मठों की स्थापना की थी. बीते दिनों द्वारका शारदा पीठ एवं बदरीनाथ ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य रहे स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ब्रह्मलीन होने के बाद उनके दो शिष्यों को दोनों मठों का शंकराचार्य घोषित किया गया था.

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