नई दिल्ली: Hockey को आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय खेल घोषित किए जाने, एथलेटिक्स जैसे खेलों को बढ़ावा और फंड के उचित आवंटन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है. SC ने याचिका दाखिल करने वाले वकील से कहा, आपका उद्देश्य अच्छा हो सकता है, लेकिन हम इस मामले में कुछ नहीं कर सकते और न ही ऐसा आदेश दे सकते हैं.
कोर्ट ने कहा, आप चाहें तो सरकार को ज्ञापन दे सकते हैं. जस्टिस यूयू ललित ने कहा, लोगों के भीतर एक अभियान चलाया जाना चाहिए. मैरी कॉम जैसी खिलाड़ी विपरीत हालातों से जूझते हुए ऊपर उठीं, इसमें अदालत कुछ नहीं कर सकती. हमारी सहानुभूति है, लेकिन हम मदद नहीं कर सकते.
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दरअसल, याचिकाकर्ता वकील विशाल तिवारी ने खेल उद्योग के लिए आवंटित धन की सार्वजनिक जवाबदेही शुरू करने और खेलों के उचित प्रसारण के साथ अधिक से अधिक प्रचार गतिविधियों को करने के लिए निर्देश देने की मांग की थी. जनहित याचिका में हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल घोषित करने की भी मांग की थी.
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याचिका में कहा गया था कि एक धारणा है कि हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल या खेल है, लेकिन इसे अभी तक सरकार की ओर से आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं दी गई है.
इसमें स्कूल और कॉलेज स्तर पर ओलंपिक के एथलेटिक्स खेलों को बढ़ावा देने और स्कूलों और कॉलेजों में खेल कार्यक्रम को संचालित करने के लिए एक विशेष समिति के गठन के निर्देश मांगे गए थे. ओलंपिक में खेले जाने वाले एथलेटिक्स खेलों और खेलों की उन्नति के लिए सरकार को निर्देश जारी करने और खिलाड़ियों को उन्नत प्रशिक्षण, बुनियादी ढांचा और धन प्रदान करने के लिए भी प्रार्थना की गई थी.
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टोक्यो ओलंपिक में महिला और पुरुष हॉकी टीम के बेहतरीन प्रदर्शन के बाद हॉकी को अधिकारिक रूप से राष्ट्रीय खेल घोषित किए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल की गई थी.