नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिशन द्वारा आयोजित विदाई समारोह में बोलते हुए जस्टिस राव ने कहा कि जब उच्च न्यायालय से एक न्यायाधीश को सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किया जाता है. उसे यह समझने में 1.5-2 साल लगते हैं कि चीजें कैसे काम करती हैं और जब तक वे समझते हैं, वे सेवानिवृत्ति हो जाते हैं. इसलिए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को कम से कम 7-8 साल मिलने चाहिए.
न्यायमूर्ति राव ने कहा कि जब एक न्यायाधीश चुना जाता है तो उन्हें एक न्यायाधीश के रूप में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए समय दिया जाना चाहिए. विशेष रूप से सर्वोच्च न्यायालय में जब महत्वपूर्ण मुद्दों पर फैसला किया जा रहा है. सही समय पर ब्रेक पाने में भाग्यशाली और ऐसे लोग हैं जो उससे कहीं अधिक सक्षम हैं. राव ने कहा कि जब मैंने दिल्ली आने के बारे में सोचा तो परिवार और दोस्तों का विरोध था. लेकिन जब तक आप चुनौती स्वीकार नहीं करते, तब तक सफल नहीं होंगे.
जस्टिस राव ने कहा कि 13 मई 2016 को सातवें व्यक्ति को बार से सीधे बेंच में पदोन्नत किया गया. इससे पहले उन्होंने शीर्ष अदालत में एक वकील के रूप में अभ्यास किया और भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल रहे. वह पहली पीढ़ी के न्यायाधीश हैं. उन्होंने कहा कि मैंने एक फिल्म में छोटी सी भूमिका में अभिनय किया. आप सभी जानते हैं कि वकील अदालत में काम करते हैं. न्यायाधीश भी करते हैं. अभिनय भी पेशे का एक हिस्सा है.
जस्टिस राव ने विदाई देते हुए कहा शीर्ष अदालत से वे 7 जून 2022 को सेवानिवृत्त होंगे लेकिन अगले सप्ताह से छुट्टी शुरू होने के कारण उनका अंतिम कार्य दिवस आज था. सेवानिवृत्ति के बाद जस्टिस राव हैदराबाद अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र के प्रमुख होंगे.
यह भी पढ़ें- Gyanvapi Mosque Case: जिला जज को ट्रांसफर हुआ केस, सील रहेगा 'शिवलिंग' वाला एरिया