शिमला: हिमाचल सरकार की तरफ से बनाए गए 6 सीपीएस की नियुक्ति को चुनौती देने वाले मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो पाई. कोर्ट नंबर तीन में ये मामला लगा था. इस बीच, अदालती प्रक्रिया के तहत दो बार हिमाचल सरकार के वकील को बुलाया गया, लेकिन वे पेश नहीं हुए. हिमाचल सरकार की तरफ से इस केस की पैरवी का जिम्मा अभिषेक मनु सिंघवी को दिया गया है. दो बार बुलाए जाने पर भी पेश न होने के कारण सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी. फिलहाल, आगामी डेट के बारे में अभी कोई पुख्ता सूचना नहीं है. ऐसे में अब इस केस में दिलचस्पी लेने वालों की नजरें शनिवार को हिमाचल हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिक गई हैं.
उल्लेखनीय है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में हिमाचल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक पिटीशन के जरिए मामले के स्थानांतरण का आग्रह किया है. चूंकि सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई नहीं हो सकी, लिहाजा सर्वोच्च अदालत की तरफ से कई रिमार्कस भी नहीं आया है. इस तरह हिमाचल हाईकोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी. हाईकोर्ट ने इस केस में पिछली सुनवाई के दौरान सीपीएस की नियुक्ति की प्रक्रिया, उन्हें दिए गए कार्यभार, वेतन व नियुक्ति संबंधी अन्य दस्तावेज तलब किए हैं. राज्य सरकार को शनिवार को ये रिकॉर्ड हाईकोर्ट में पेश करना होगा. हिमाचल हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर व न्यायमूर्ति बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है.
हिमाचल सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका के अनुसार पहले से ही सर्वोच्च न्यायालय में इस नेचर के केस सुनवाई के लिए मौजूद हैं. राज्य सरकार ने याचिका के माध्यम से आग्रह किया है कि हिमाचल से जुड़ा केस भी सर्वोच्च अदालत में सुना जाए. उल्लेखनीय है कि हिमाचल में कांग्रेस सरकार ने छह सीपीएस बनाए हैं. उनकी नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए हिमाचल भाजपा के विधायक सतपाल सिंह सत्ती व अन्य की तरफ से चुनौती दी गई है. वहीं, डिप्टी सीएम की नियुक्ति को भी चुनौती दी गई है.
मामले में डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने हाईकोर्ट में अलग से आवेदन दाखिल कर कहा है कि उनका नाम इस मामले से हटाया जाए. डिप्टी सीएम का तर्क है कि उनकी नियुक्ति कानून के दायरे में हुई है. सीपीएस बनाए गए सुंदर सिंह ठाकुर, राम कुमार चौधरी, संजय अवस्थी, किशोरी लाल, मोहन लाल ब्राक्टा व आशीष बुटेल की नियुक्ति को भाजपा विधायक सतपाल सिंह सत्ती व अन्यों ने चुनौती दी है. चुनौती याचिका में कहा गया है कि ये नियुक्तियां संविधान के प्रावधानों के अनुरूप नहीं है. फिलहाल, हिमाचल हाईकोर्ट में शनिवार की सुनवाई पर सियासी गलियारों में भी उत्सुकता है.