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सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार व धर्म परिवर्तन मामले में यूनिवर्सिटी के कुलपति को गिरफ्तारी से दी राहत

इलाहाबाद कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजेंद्र बिहारी लाल को उच्चतम न्यायालय से एक बड़ी राहत मिली है. बिहारी लाल को दुष्कर्म और धर्म परिवर्तन से जुड़े एक मामले में गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की है. बिहारी लाल ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. Allahabad High Court, Allahabad Agricultural University, Supreme Court

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 19, 2023, 3:42 PM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश में सैम हिगिनबॉटम कृषि, प्रौद्योगिकी और विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति (वीसी) प्रोफेसर राजेंद्र बिहारी लाल को बलात्कार और धर्म परिवर्तन से जुड़े एक मामले में गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की. इस कॉलेज को पहले इलाहाबाद कृषि विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता था.

न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की अवकाश पीठ ने मामले में बिहारी लाल को 20 दिसंबर, 2023 को आत्मसमर्पण करने के निर्देश देने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार किया. याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने पीठ के समक्ष दलील दी कि उच्च न्यायालय ने 11 दिसंबर, 2023 को आदेश पारित किया था, जिसे 14 दिसंबर, 2023 को अपलोड किया गया था, जिसमें उन्हें आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया गया था.

उच्च न्यायालय ने यह आदेश एक महिला कर्मचारी द्वारा दर्ज मामले में पारित किया, जिसने अपनी बर्खास्तगी से पहले वर्ष 2022 तक विश्वविद्यालय में काम किया था, जिसमें वर्ष 2005 में जबरन धर्म परिवर्तन और उसके बाद बलात्कार का आरोप लगाया गया था. शीर्ष अदालत को बताया गया कि धर्मांतरण विरोधी कानून भी 2021 में है. शीर्ष अदालत ने वकील की दलीलें सुनने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया.

सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी, 2024 तक या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी. शीर्ष अदालत ने कहा कि 'उस दिन तक, जिला हमीरपुर में 4 नवंबर, 2023 को दर्ज एफआईआर में याचिकाकर्ता को गिरफ्तारी से बचाने वाला एक अंतरिम आदेश होगा.' शीर्ष अदालत ने मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश के आदेश के अधीन उपयुक्त पीठ के समक्ष 3 जनवरी, 2024 को आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया है.

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश में सैम हिगिनबॉटम कृषि, प्रौद्योगिकी और विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति (वीसी) प्रोफेसर राजेंद्र बिहारी लाल को बलात्कार और धर्म परिवर्तन से जुड़े एक मामले में गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की. इस कॉलेज को पहले इलाहाबाद कृषि विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता था.

न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की अवकाश पीठ ने मामले में बिहारी लाल को 20 दिसंबर, 2023 को आत्मसमर्पण करने के निर्देश देने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार किया. याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने पीठ के समक्ष दलील दी कि उच्च न्यायालय ने 11 दिसंबर, 2023 को आदेश पारित किया था, जिसे 14 दिसंबर, 2023 को अपलोड किया गया था, जिसमें उन्हें आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया गया था.

उच्च न्यायालय ने यह आदेश एक महिला कर्मचारी द्वारा दर्ज मामले में पारित किया, जिसने अपनी बर्खास्तगी से पहले वर्ष 2022 तक विश्वविद्यालय में काम किया था, जिसमें वर्ष 2005 में जबरन धर्म परिवर्तन और उसके बाद बलात्कार का आरोप लगाया गया था. शीर्ष अदालत को बताया गया कि धर्मांतरण विरोधी कानून भी 2021 में है. शीर्ष अदालत ने वकील की दलीलें सुनने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया.

सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी, 2024 तक या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी. शीर्ष अदालत ने कहा कि 'उस दिन तक, जिला हमीरपुर में 4 नवंबर, 2023 को दर्ज एफआईआर में याचिकाकर्ता को गिरफ्तारी से बचाने वाला एक अंतरिम आदेश होगा.' शीर्ष अदालत ने मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश के आदेश के अधीन उपयुक्त पीठ के समक्ष 3 जनवरी, 2024 को आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया है.

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