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प्रसिद्ध ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग का लखनऊ से था गहरा नाता, यहां दिखाया जाता है उनके जीवन पर शो

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Published : Jan 9, 2023, 5:04 PM IST

भौतिक विज्ञानी, ब्रह्माण्ड विज्ञानी और लेखक स्टीफन हॉकिंग ने अपनी भयानक शारीरिक परिस्थितियों के बावजूद कई कीर्तिमान स्थापित किए. दुनिया भर देशों ने उनकी प्रतिभा का लोहा माना. वहीं भारत के लिए भी उन्होंने कई अभूतपूर्व योगदान दिए. राजधानी लखनऊ से उनका गहरा नाता रहा.

प्रसिद्ध ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग.
प्रसिद्ध ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग.

जानकारी देते आंचलिक विज्ञान केंद्र के डायरेक्टर मुईनुद्दीन अंसारी.

लखनऊ : स्टीफन विलियम हॉपकिंस, एक विश्व प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी, ब्रह्माण्ड विज्ञानी, लेखक और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में सैद्धांतिक ब्रह्मांड विज्ञान केंद्र के शोध निर्देशक थे. स्टीफन जब ऑक्सफोर्ड में स्कूल जाते थे, तब उनके पिता फ्रैंक हॉकिंग लखनऊ में शोध कर रहे थे. उस समय 9-10 साल के रहे स्टीफन छुट्टियों में लखनऊ आकर पिता के पास रहते थे. फ्रैंक हॉकिंग केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई) में एक साल तक रहे थे.

आंचलिक विज्ञान केंद्र (Regional Science Center) के डायरेक्टर मुईनुद्दीन अंसारी ने बताया कि अलग 3 साल पहले आंचलिक विज्ञान केंद्र में एक प्रदर्शनी लगी थी. जहां पर स्टीफन हॉकिंग के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई थी. फिलहाल प्रदर्शनी तो हट गई है, लेकिन जब भी विज्ञान से संबंधित प्रदेश के अन्य जिले से बच्चे विजिट के लिए आते हैं तो उन्हें स्टीफन हॉकिंग की जीवनी पर आधारित एक शो जरूर दिखाया जाता है. इस शो में उनके बारे में विस्तृत जानकारी है. शो में दिखाया गया है कि 8 जनवरी 1942 में जन्मे, हॉकिंग को 21 साल की उम्र में मोटर न्यूरॉन बीमारी का पता चला था और डॉक्टर ने कहा था कि हॉकिंग के पास कम समय बहुत कम है, लेकिन उन्होंने 20वीं और 21वीं सदी के सबसे प्रभावशाली वैज्ञानिकों में से एक बनकर चिकित्सा राय को खारिज कर दिया. स्टीफन हॉकिंग (Physicist Stephen hawking) एक विश्व प्रसिद्ध भौतिक वैज्ञानिक हैं, लेकिन उनके क्षेत्र के बाहर कम ही लोग जानते हैं कि उन्होंने आम आदमी के लिए क्या कुछ किया है.

फ्रैंक हॉकिंग (frank hawking) को वर्ष 1951 में सीडीआरआई के पहले निदेशक सर एडवर मेलेन्बी उन्हें संस्थान लेकर आए थे. सीडीआरआई के प्रवक्ता डॉ. संजीव (CDRI spokesperson Dr. Sanjeev) ने बताया कि सर मेलेन्बी ब्रिटेन से थे और उनके फ्रैंक से करीबी ताल्लुक थे. सीडीआरआई तब छतर मंजिल में स्थित था. राजधानी में जब फ्रैंक काम कर रहे थे तब स्टीफन हॉकिंग उनके पास कुछ दिन रहने आए थे. बताया जाता है कि स्टीफन की बहन ने राजधानी के एक स्कूल में शिक्षा ग्रहण की थी. आंचलिक विज्ञान केंद्र में तीन साल पहले एक प्रदर्शनी लगाई गई थी. जहां पर प्रोफेसर स्टीफन के बारे में पूरी जानकारी प्रदर्शित की गई थी जहां पर लिखा था कि स्टीफन हॉकिंग मानते थे कि 'मैं मानता हूं कि मोटर न्यूरॉन बीमारी होने के अलावा मैं हर चीज में बहुत भाग्यशाली रहा हूं और यहां तक ​​कि बीमारी से भी मुझे इतना झटका नहीं लगा है. बहुत लोगों की मदद से मैं इस बीमारी के प्रभावों को दूर करने में कामयाब रहा. मुझे इसके बावजूद सफल होने का संतोष है.'

प्रदर्शनी में ग्राफिक डिस्प्ले, मल्टीमीडिया, ऑडियो क्लिपिंग, ब्लैक होल के 3डी मॉडल और वीडियो क्लिपिंग के माध्यम से प्रोफेसर हॉकिंग के जीवन और उनकी वैज्ञानिक उपलब्धियों के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला जाता है. विज्ञान आंचलिक केंद्र में प्रदेशभर से स्कूली बच्चे विजिट करने के लिए आते हैं यहां पर उन्हें स्टीफन हॉकिंग के शो भी दिखाए जाते हैं. प्रोफ़ेसर हॉकिंग ने 20वीं सदी के भौतिकी के दो महान सिद्धांतों- आइंस्टीन के सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत और क्वांटम यांत्रिकी में महारत हासिल की है और जहां वे टूटते हैं या ओवरलैप करते हैं, जैसे कि ब्लैक होल के किनारे के बारे में आश्चर्यजनक खोज की है.

प्रोफेसर हॉकिंग न केवल अपनी असाधारण बुद्धिमत्ता और ब्लैक होल, क्वांटम यांत्रिकी और सापेक्षता के बारें में हमारे ज्ञान में योगदान के लिए प्रसिद्ध थे, बल्कि जटिल सैद्धांतिक सिद्धांतों को एक ऐसी भाषा में समझाने में उनकी सफलता के लिए भी प्रसिद्ध थे. आम दर्शकों के लिए सघन सैद्धांतिक भौतिकी को कुछ बोधगम्य बनाना आसान काम नहीं है. प्रोफेसर हॉकिंग ने अपनी बीमारी के बावजूद एक पूर्ण और पूर्ण जीवन व्यतीत किया. और उनके वैज्ञानिक कार्यों ने छात्रों की पीढ़ियों को गुरुत्वाकर्षण और क्वांटम यांत्रिकी की समस्याओं का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया. उनकी प्राथमिक वैज्ञानिक उपलब्धियों में क्लासिकल ग्रेविटी और सिंगुलैरिटीज पर उनका काम, ब्लैक-होल थर्मोडायनामिक्स और हॉकिंग रेडिएशन पर उनके प्रसिद्ध परिणाम और गुरुत्वाकर्षण को मापने के उनके प्रयास शामिल हैं.

सीडीआरआई (cdri) के प्रवक्ता संजीव ने कहा कि हॉकिंग की प्रतिभा, जो यकीनन नोबेल पुरस्कार की हकदार है. भौतिक सिद्धांत के कई अलग-अलग लेकिन समान रूप से मौलिक क्षेत्रों को एक साथ लाने के लिए है. गुरुत्वाकर्षण, ब्रह्मांड विज्ञान, क्वांटम सिद्धांत, ऊष्मप्रवैगिकी और सूचना सिद्धांत हैं. प्रोफेसर हॉकिंग को नोबल पुरस्कार के अलावा हर पुरस्कार और सम्मान मिला था, जो प्रयोगों द्वारा सत्यापित कार्यों के लिए दिया जाता है. विडंबना यह है कि हॉकिंग रेडिएशन, उनका सबसे महत्वपूर्ण काम, नोबेल पुरस्कार के लिए एक असंभव उम्मीदवार लगता है क्योंकि इसका पता लगाना असंभव लगता है. अपने जीवन के अंत तक हॉकिंग ने क्वांटम-ग्रेविटी समस्या और उससे संबंधित मुद्दों पर अपना शोध जारी रखा. अपनी भयानक शारीरिक परिस्थितियों के बावजूद, प्रोफेसर हॉकिंग लगभग हमेशा जीवन के प्रति सकारात्मक रहें.

जानकारी देते आंचलिक विज्ञान केंद्र के डायरेक्टर मुईनुद्दीन अंसारी.

लखनऊ : स्टीफन विलियम हॉपकिंस, एक विश्व प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी, ब्रह्माण्ड विज्ञानी, लेखक और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में सैद्धांतिक ब्रह्मांड विज्ञान केंद्र के शोध निर्देशक थे. स्टीफन जब ऑक्सफोर्ड में स्कूल जाते थे, तब उनके पिता फ्रैंक हॉकिंग लखनऊ में शोध कर रहे थे. उस समय 9-10 साल के रहे स्टीफन छुट्टियों में लखनऊ आकर पिता के पास रहते थे. फ्रैंक हॉकिंग केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई) में एक साल तक रहे थे.

आंचलिक विज्ञान केंद्र (Regional Science Center) के डायरेक्टर मुईनुद्दीन अंसारी ने बताया कि अलग 3 साल पहले आंचलिक विज्ञान केंद्र में एक प्रदर्शनी लगी थी. जहां पर स्टीफन हॉकिंग के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई थी. फिलहाल प्रदर्शनी तो हट गई है, लेकिन जब भी विज्ञान से संबंधित प्रदेश के अन्य जिले से बच्चे विजिट के लिए आते हैं तो उन्हें स्टीफन हॉकिंग की जीवनी पर आधारित एक शो जरूर दिखाया जाता है. इस शो में उनके बारे में विस्तृत जानकारी है. शो में दिखाया गया है कि 8 जनवरी 1942 में जन्मे, हॉकिंग को 21 साल की उम्र में मोटर न्यूरॉन बीमारी का पता चला था और डॉक्टर ने कहा था कि हॉकिंग के पास कम समय बहुत कम है, लेकिन उन्होंने 20वीं और 21वीं सदी के सबसे प्रभावशाली वैज्ञानिकों में से एक बनकर चिकित्सा राय को खारिज कर दिया. स्टीफन हॉकिंग (Physicist Stephen hawking) एक विश्व प्रसिद्ध भौतिक वैज्ञानिक हैं, लेकिन उनके क्षेत्र के बाहर कम ही लोग जानते हैं कि उन्होंने आम आदमी के लिए क्या कुछ किया है.

फ्रैंक हॉकिंग (frank hawking) को वर्ष 1951 में सीडीआरआई के पहले निदेशक सर एडवर मेलेन्बी उन्हें संस्थान लेकर आए थे. सीडीआरआई के प्रवक्ता डॉ. संजीव (CDRI spokesperson Dr. Sanjeev) ने बताया कि सर मेलेन्बी ब्रिटेन से थे और उनके फ्रैंक से करीबी ताल्लुक थे. सीडीआरआई तब छतर मंजिल में स्थित था. राजधानी में जब फ्रैंक काम कर रहे थे तब स्टीफन हॉकिंग उनके पास कुछ दिन रहने आए थे. बताया जाता है कि स्टीफन की बहन ने राजधानी के एक स्कूल में शिक्षा ग्रहण की थी. आंचलिक विज्ञान केंद्र में तीन साल पहले एक प्रदर्शनी लगाई गई थी. जहां पर प्रोफेसर स्टीफन के बारे में पूरी जानकारी प्रदर्शित की गई थी जहां पर लिखा था कि स्टीफन हॉकिंग मानते थे कि 'मैं मानता हूं कि मोटर न्यूरॉन बीमारी होने के अलावा मैं हर चीज में बहुत भाग्यशाली रहा हूं और यहां तक ​​कि बीमारी से भी मुझे इतना झटका नहीं लगा है. बहुत लोगों की मदद से मैं इस बीमारी के प्रभावों को दूर करने में कामयाब रहा. मुझे इसके बावजूद सफल होने का संतोष है.'

प्रदर्शनी में ग्राफिक डिस्प्ले, मल्टीमीडिया, ऑडियो क्लिपिंग, ब्लैक होल के 3डी मॉडल और वीडियो क्लिपिंग के माध्यम से प्रोफेसर हॉकिंग के जीवन और उनकी वैज्ञानिक उपलब्धियों के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला जाता है. विज्ञान आंचलिक केंद्र में प्रदेशभर से स्कूली बच्चे विजिट करने के लिए आते हैं यहां पर उन्हें स्टीफन हॉकिंग के शो भी दिखाए जाते हैं. प्रोफ़ेसर हॉकिंग ने 20वीं सदी के भौतिकी के दो महान सिद्धांतों- आइंस्टीन के सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत और क्वांटम यांत्रिकी में महारत हासिल की है और जहां वे टूटते हैं या ओवरलैप करते हैं, जैसे कि ब्लैक होल के किनारे के बारे में आश्चर्यजनक खोज की है.

प्रोफेसर हॉकिंग न केवल अपनी असाधारण बुद्धिमत्ता और ब्लैक होल, क्वांटम यांत्रिकी और सापेक्षता के बारें में हमारे ज्ञान में योगदान के लिए प्रसिद्ध थे, बल्कि जटिल सैद्धांतिक सिद्धांतों को एक ऐसी भाषा में समझाने में उनकी सफलता के लिए भी प्रसिद्ध थे. आम दर्शकों के लिए सघन सैद्धांतिक भौतिकी को कुछ बोधगम्य बनाना आसान काम नहीं है. प्रोफेसर हॉकिंग ने अपनी बीमारी के बावजूद एक पूर्ण और पूर्ण जीवन व्यतीत किया. और उनके वैज्ञानिक कार्यों ने छात्रों की पीढ़ियों को गुरुत्वाकर्षण और क्वांटम यांत्रिकी की समस्याओं का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया. उनकी प्राथमिक वैज्ञानिक उपलब्धियों में क्लासिकल ग्रेविटी और सिंगुलैरिटीज पर उनका काम, ब्लैक-होल थर्मोडायनामिक्स और हॉकिंग रेडिएशन पर उनके प्रसिद्ध परिणाम और गुरुत्वाकर्षण को मापने के उनके प्रयास शामिल हैं.

सीडीआरआई (cdri) के प्रवक्ता संजीव ने कहा कि हॉकिंग की प्रतिभा, जो यकीनन नोबेल पुरस्कार की हकदार है. भौतिक सिद्धांत के कई अलग-अलग लेकिन समान रूप से मौलिक क्षेत्रों को एक साथ लाने के लिए है. गुरुत्वाकर्षण, ब्रह्मांड विज्ञान, क्वांटम सिद्धांत, ऊष्मप्रवैगिकी और सूचना सिद्धांत हैं. प्रोफेसर हॉकिंग को नोबल पुरस्कार के अलावा हर पुरस्कार और सम्मान मिला था, जो प्रयोगों द्वारा सत्यापित कार्यों के लिए दिया जाता है. विडंबना यह है कि हॉकिंग रेडिएशन, उनका सबसे महत्वपूर्ण काम, नोबेल पुरस्कार के लिए एक असंभव उम्मीदवार लगता है क्योंकि इसका पता लगाना असंभव लगता है. अपने जीवन के अंत तक हॉकिंग ने क्वांटम-ग्रेविटी समस्या और उससे संबंधित मुद्दों पर अपना शोध जारी रखा. अपनी भयानक शारीरिक परिस्थितियों के बावजूद, प्रोफेसर हॉकिंग लगभग हमेशा जीवन के प्रति सकारात्मक रहें.

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