लखनऊ : विकास दुबे की पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई थी, माफिया अतीक अहमद को शूटर्स ने मार गिराया, वहीं श्रीप्रकाश शुक्ला दशकों पहले एनकाउंटर में ढेर हो गया था और दाऊद इब्राहिम तो भारतीय एजेंसियों की पकड़ में ही नहीं आया, लेकिन इनके चाहने वालों ने इन्हें अब भी जिंदा रखा हुआ है. सोशल मीडिया में इन माफिया और अपराधियों के दर्जनों पेज हैं, जहां इनका महिमा मंडन आज भी किया जा रहा है. अब यूपी पुलिस की सोशल मीडिया टीम ने ऐसे पेज ग्रुप का चिन्हीकरण करना शुरू कर दिया है, साथ ही इनका महिमा मंडन करने वालों पर भी नजर रखी जा रही है. पूर्वांचल का माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला, बिकरू कांड के मास्टरमाइंड विकास दुबे, बाहुबली अतीक अहमद और अंडरवर्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के नाम व फोटो के साथ फेसबुक और इंस्टाग्राम में दर्जनों अकाउंट सक्रिय हैं.
90 के दशक में यूपी के पूर्वांचल के माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला ने लोगों के जेहन में दहशत बना रखी थी. वर्ष 1998 में एसटीएफ ने श्रीप्रकाश शुक्ला और उसके साथियों को ढेर कर दिया था, वहीं कानपुर में बिकरू कांड के मास्टरमाइंड विकास दुबे की पुलिस अभिरक्षा में गाड़ी पलट जाने के बाद एनकाउंटर में उसकी मौत हो गई, लेकिन सोशल मीडिया पर श्रीप्रकाश शुक्ला के नाम से दर्जनों और विकास दुबे के नाम से आधा दर्जन फेसबुक अकांउट व पेज हैं. इतना ही नहीं बाहुबली पूर्व सांसद अतीक अहमद की मौत के बाद भी सोशल मीडिया (फेसबुक और इंस्टाग्राम) पर करीब आधा दर्जन से अधिक अकाउंट हैं, अतीक अहमद के नाम से बनाए गए अकाउंट में उसके नाम के साथ फोटो लगाई गई है. कुछ तो ऐसे अकाउंट्स हैं, जो अतीक अहमद की मौत के बाद बनाए गए हैं और हर रोज उसमें पोस्ट किए जा रहे हैं.
फेसबुक पर दाऊद इब्राहिम का अकाउंट : इसके अलावा मुंबई सीरियल ब्लास्ट कर 257 लोगों को मारने वाले अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का कई देशों की खुफिया एजेंसियां सुराग लगा नहीं पाई हैं, वहीं, फेसबुक पर बेखौफ लोग अंडरवर्ड डॉन को अपना हीरो मानकर उसकी प्रोफाइल पिक्चर के साथ बने पेज और अकाउंट को शेयर कर रहे हैं. फेसबुक पर दाऊद इब्राहिम का नाम सर्च करें तो डॉन की फोटो लगी है, दो दर्जन से ज्यादा प्रोफाइल दिखाई देने लगती हैं.
पूर्व डीजीपी एके जैन के मुताबिक, 'बीते दिनों की घटनाक्रम में नजर डालें तो अतीक अहमद और संजीव जीवा की नई उम्र के युवकों ने हत्या कर दी थी, ऐसा हो सकता है कि सोशल मीडिया पर अपराधियों को फोटो और नाम से युवकों का ध्यान आपराधिक प्रवृति की तरफ आकर्षित करने के बाद उन्हें इस्तेमाल किया जा रहा हो. ऐसे में नाम और शोहरत के लिए युवक बड़ी से बड़ी घटनाओं को अंजाम देने लगे हैं. यही कारण है कि सोशल मीडिया पर माफिया के गुर्गे सक्रिय हैं, जो अपने आकाओं की मौत के बाद अपना साम्राज्य खड़ा कर कुर्सी हथियाने में लगे हैं. इसके लिए वह सोशल मीडिया पर नवयुवकों को माफिया की फोटो और नाम का प्रयोग कर नए युवकों को अपराध की दुनिया में खींचने का काम कर रहे हैं.'