जौनपुर: श्रमजीवी एक्सप्रेस विस्फोट कांड में मंगलवार को बांग्लादेशी आतंकी हिलालुद्दीन उर्फ हेलाल और पश्चिम बंगाल के नफीकुल विश्वास को अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम कोर्ट ने मृत्युदंड की सजा सुनाई है. इसके साथ ही 5-5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. करीब दो सप्ताह पहले कोर्ट ने दोनों को दोषी करार देते हुए सजा पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.
श्रमजीवी एक्सप्रेस विस्फोट कांड 28 जुलाई 2005 को हुआ था. सिंगरामऊ रेलवे स्टेशन के हरिहरपुर रेलवे क्रासिंग के पास श्रमजीवी एक्सप्रेस की जनरल बोगी में विस्फोट हुआ था. इसमें 14 लोगों की मौत हुई थी और 62 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे. अब करीब 18 साल बाद आरोपियों को दोषी करार देते फांसी की सजा सुनाई गई है. इस मामले में जौनपुर की अदालत में 43 गवाह भी पेश हुए.
इसके पहले मामले में कोर्ट दो आरोपियों को फांसी की सजा सुना चुकी है. इसमें एक अभियुक्त पर बम बनाने और दूसरे पर पटना जंक्शन से ट्रेन में बम रखने का आरोप था. बांग्लादेशी आलमगीर उर्फ रोनी ने ट्रेन की बोगी में बम रखा था. जबकि आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य ओबेदुर्रहमान ने बम बनाया था. कोर्ट ने इन दोनों को 31 अगस्त 2016 को फांसी की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने दोनों दोषियों पर पर 10 लाख 30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था. हालांकि दोनों ने हाईकोर्ट में अपील डाल रखी है.
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