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देशद्रोह का मामला: HC ने कहा, शरजील इमाम के भाषण ने नहीं भड़काई हिंसा - अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय

शरजील इमाम की जमानत याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंजूर कर ली. शरजील इमाम पर अलीगढ़ के सिविल लाइंस पुलिस थाने में भादंसं की धाराओं- 124ए, 153ए, 153बी और 505(2) के तहत मामला दर्ज किया गया था.

allahabad hc and Sharjeel Imam (File Photo)
इलाहाबाद उच्च न्यायालय और शरजील इमाम (फाइल फोटो)
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Published : Nov 30, 2021, 7:06 AM IST

प्रयागराज : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय परिसर में संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के विरोध के दौरान भड़काऊ भाषण देने के लिए देशद्रोह के मुकदमे का सामना कर रहे शरजील इमाम की जमानत याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंजूर कर ली. शरजील इमाम पर अलीगढ़ के सिविल लाइंस पुलिस थाने में भादंसं की धाराओं- 124ए, 153ए, 153बी और 505(2) के तहत मामला दर्ज किया गया था.

शरजील की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह ने कहा कि किसी भी मामले में वह भाषण उत्तर प्रदेश राज्य के भीतर दिया गया और अलीगढ़ में दिए गए भाषण के संबंध में प्राथमिकी दर्ज की गई.

पढ़ें : टीकाकरण आदेश यदि व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अनुरूप नहीं तो इस पर विचार करेंगे : SC

अदालत ने कहा कि जहां तक याचिकाकर्ता के आपराधिक इतिहास का संबंध है, उसका उचित मामले में विचार किया जाना है. हालांकि, मौजूदा मामले में कारावास की अवधि पर विचार करते हुए याचिकाकर्ता को जमानत से वंचित नहीं किया जा सकता .

अदालत ने कहा कि दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और रिकार्ड को देखने के बाद यह कहा जा सकता है कि न ही याचिकाकर्ता ने किसी को हथियार उठाने को कहा और न ही उसके भाषण से कोई हिंसा भड़की. इसलिए इस मामले के गुण दोष पर बिना कोई मत प्रकट किए याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किया जाए. याचिकाकर्ता 50,000 रुपये का मुचलका भरे.

(पीटीआई-भाषा)

प्रयागराज : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय परिसर में संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के विरोध के दौरान भड़काऊ भाषण देने के लिए देशद्रोह के मुकदमे का सामना कर रहे शरजील इमाम की जमानत याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंजूर कर ली. शरजील इमाम पर अलीगढ़ के सिविल लाइंस पुलिस थाने में भादंसं की धाराओं- 124ए, 153ए, 153बी और 505(2) के तहत मामला दर्ज किया गया था.

शरजील की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह ने कहा कि किसी भी मामले में वह भाषण उत्तर प्रदेश राज्य के भीतर दिया गया और अलीगढ़ में दिए गए भाषण के संबंध में प्राथमिकी दर्ज की गई.

पढ़ें : टीकाकरण आदेश यदि व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अनुरूप नहीं तो इस पर विचार करेंगे : SC

अदालत ने कहा कि जहां तक याचिकाकर्ता के आपराधिक इतिहास का संबंध है, उसका उचित मामले में विचार किया जाना है. हालांकि, मौजूदा मामले में कारावास की अवधि पर विचार करते हुए याचिकाकर्ता को जमानत से वंचित नहीं किया जा सकता .

अदालत ने कहा कि दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और रिकार्ड को देखने के बाद यह कहा जा सकता है कि न ही याचिकाकर्ता ने किसी को हथियार उठाने को कहा और न ही उसके भाषण से कोई हिंसा भड़की. इसलिए इस मामले के गुण दोष पर बिना कोई मत प्रकट किए याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किया जाए. याचिकाकर्ता 50,000 रुपये का मुचलका भरे.

(पीटीआई-भाषा)

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