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Sawan Amavasya 2021: श्रावण अमावस्या कब है? जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा- विधि - श्रावण मास की अमावस्या

श्रावण मास की अमावस्या तिथि आज शाम 07 बजकर 11 मिनट से शुरू होगी. वहीं, ये अमावस्या रविवार शाम 07 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी. हिंदू धर्म में स्नान दान के लिए उदया ति​थि मान्य होती है इसलिए सावन माह की हरियाली अमावस्या 08 अगस्त को मनायी जाएगी.

हिंदू धर्म में श्रावण महीने की बहुत मान्यता है
हिंदू धर्म में श्रावण महीने की बहुत मान्यता है
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Published : Aug 7, 2021, 7:30 AM IST

नई दिल्ली: हिंदू धर्म में श्रावण महीने की बहुत मान्यता है. इस मास में पड़ने वाले सभी पर्वों का अपना विशेष महत्व है.बता दें, भोलेनाथ को सावन बहुत प्रिय है. हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास में पड़ने वाले अमावस्या के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रत रखा जाता है. सावन अमावस्या को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इसे हरियाली अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. इस बार श्रावण अमावस्या 8 अगस्त दिन रविवार के मनाया जाएगी. मान्यता के अनुसार इस दिन पवित्र नदी में स्नान करके पितरों को पिंडदान, श्राद्ध कर्म किया जाता है.

आइये जानते हैं कि सावन अमावस्या के तिथि और धार्मिंक महत्व के बारे में

हरियाली अमावस्या का शुभ मुहूर्त

श्रावण मास की अमावस्या तिथि आज शाम 07 बजकर 11 मिनट से शुरू होगी. वहीं, ये अमावस्या रविवार शाम 07 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी.

हिंदू धर्म में स्नान दान के लिए उदया ति​थि मान्य होती है इसलिए सावन माह की हरियाली अमावस्या 08 अगस्त को मनायी जाएगी.

हरियाली अमावस्या का महत्व

सावन मास कृष्ण पक्ष के शिवरात्रि के अगले दिन अमावस्या का पर्व मनाया जाता है. इस दिन प्रातःकाल किसी पवित्र नदी में स्नान और दान का विशेष महत्व है। सावन हरियाली के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए दान, पूजा पाठ, श्राद्ध कर्म आदि करना चाहिए. मान्यता के अनुसार इस दिन पेड़ पौधों की विशेष रूप से पूजा की जाती है इसीलिए इसे हरियाली अमावस्या कहा जाता है. इस दिन पीपल और तुलसी के पौधे की पूजा करते हैं. पुराणों के अनुसार पीपल के पेड़ में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है. इस दिन पेड़ लगाने से शुभ फल की प्राप्ति और जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.

पूजा- विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. इस दिन पवित्र नदी या सरवोर में स्नान करने का महत्व बहुत अधिक होता है, लेकिन इस समय कोरोना वायरस की वजह से घर से बाहर जाने से बचें. इस समय घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें.

स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.

सूर्य देव को अर्घ्य दें.

इस दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए.

पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें.

इस पावन दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें.

इस पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है.

इस दिन विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना भी करें.

नई दिल्ली: हिंदू धर्म में श्रावण महीने की बहुत मान्यता है. इस मास में पड़ने वाले सभी पर्वों का अपना विशेष महत्व है.बता दें, भोलेनाथ को सावन बहुत प्रिय है. हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास में पड़ने वाले अमावस्या के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रत रखा जाता है. सावन अमावस्या को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इसे हरियाली अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. इस बार श्रावण अमावस्या 8 अगस्त दिन रविवार के मनाया जाएगी. मान्यता के अनुसार इस दिन पवित्र नदी में स्नान करके पितरों को पिंडदान, श्राद्ध कर्म किया जाता है.

आइये जानते हैं कि सावन अमावस्या के तिथि और धार्मिंक महत्व के बारे में

हरियाली अमावस्या का शुभ मुहूर्त

श्रावण मास की अमावस्या तिथि आज शाम 07 बजकर 11 मिनट से शुरू होगी. वहीं, ये अमावस्या रविवार शाम 07 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी.

हिंदू धर्म में स्नान दान के लिए उदया ति​थि मान्य होती है इसलिए सावन माह की हरियाली अमावस्या 08 अगस्त को मनायी जाएगी.

हरियाली अमावस्या का महत्व

सावन मास कृष्ण पक्ष के शिवरात्रि के अगले दिन अमावस्या का पर्व मनाया जाता है. इस दिन प्रातःकाल किसी पवित्र नदी में स्नान और दान का विशेष महत्व है। सावन हरियाली के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए दान, पूजा पाठ, श्राद्ध कर्म आदि करना चाहिए. मान्यता के अनुसार इस दिन पेड़ पौधों की विशेष रूप से पूजा की जाती है इसीलिए इसे हरियाली अमावस्या कहा जाता है. इस दिन पीपल और तुलसी के पौधे की पूजा करते हैं. पुराणों के अनुसार पीपल के पेड़ में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है. इस दिन पेड़ लगाने से शुभ फल की प्राप्ति और जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.

पूजा- विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. इस दिन पवित्र नदी या सरवोर में स्नान करने का महत्व बहुत अधिक होता है, लेकिन इस समय कोरोना वायरस की वजह से घर से बाहर जाने से बचें. इस समय घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें.

स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.

सूर्य देव को अर्घ्य दें.

इस दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए.

पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें.

इस पावन दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें.

इस पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है.

इस दिन विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना भी करें.

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