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चीन-नेपाल सीमा की ओर जाने वाली कई सड़कें बंद, बढ़ी परेशानी

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Published : Sep 6, 2021, 8:21 PM IST

उत्तराखंड में हो रही तेज बारिश से जीवन अस्त व्यस्त हो गया है. मूसलाधार बारिश के चलते उत्तराखंड के कई गांवों का संपर्क देश और दुनिया से टूट गया है.

चीन-नेपाल सीमा की ओर जाने वाली सड़क बंद
चीन-नेपाल सीमा की ओर जाने वाली सड़क बंद

पिथौरागढ़ : देश के ज्यादातर राज्यों में हो रही मूसलाधार बारिश ने कहर मचा रखा है. बारिश के चलते आम लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. उत्तराखंड में बारिश से भीषण ताबाही मची है. बारिश के चलते चीन और नेपाल बॉर्डर को जोड़ने वाली धारचूला की दारमा, व्यास और चौदास घाटियों का लंबे समय से शेष दुनिया से संर्पक कट गया है. दारमा घाटी को जोड़ने वाली सड़क ढाई महीने से बंद है. वहीं व्यास और चौदास घाटियों में भी सड़कों का बुरा हाल है.

सड़क टूटने से कई गांव से कटा संपर्क

सड़क बंद होने से तीन घाटियों के 90 से अधिक गांवों की 30 हजार से अधिक आबादी अलग-थलग पड़ी हुई है. हालात ऐसे हैं कि कई गांवों में रोजमर्रा की जरूरी चीजों का संकट गहराने लगा है. सड़कों के बंद होने से बॉर्डर पर तैनात आईटीबीपी, एसएसबी और सेना के जवानों को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है. 16 जून को आई आसमानी आफत ने दारमा और चौदास घाटी को जोड़ने वाली सड़क को पूरी तरह तबाह कर डाला है. बॉर्डर की इस मुख्य सड़क पर दर्जनों जगह भारी लैंडस्लाइड हुआ है. जिसे हटाना स्थानीय प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है. व्यास घाटी को जोड़ने वाली सड़क का भी बुरा हाल है.

बारिश के चलते चीन-नेपाल सीमा की ओर जाने वाली सड़क बंद

बता दें कि लिपुलेख बॉर्डर को जोड़ने वाली सड़क व्यास घाटी से होकर जाती है. इस बार की बारिश ने बीआरओ की इस सड़क की पोल खोलकर रख दी है. इस सड़क पर दर्जनों लैंडस्लाइड प्रोन एरिया बन गए हैं. जहां बरसात के दौरान लगातार भारी मलबा गिर रहा है. सड़क बंद होने के बाद जरूरी चीजों की आपूर्ति रुक गई है.

खाने पीने के समान की बढ़ी कीमतें

मार्ग बंद होने से सीमांत के इलाकों में जरूरी चीजों का संकट पैदा हो गया है. गांव की छोटी दुकानों में जो समान बचा है, उसकी कीमत कई गुना बढ़ गई है. यही नहीं इन आपदाग्रस्त इलाकों में घायलों और मरीजों के लिए तो परेशानियां और बढ़ गई हैं. सरकार ने बॉर्डर की तीनों घाटियों में आपदा और राहत कार्यों के संचालन के लिए के लिए एक हेलीकॉप्टर भी दिया है. लेकिन, हजारों की आबादी के लिए ये इंतजाम भी नाकाफी साबित हो रहा है.

प्राकृतिक आपदा ने तीन घाटियों में जो तबाही मचाई है, उससे सड़कों के जल्द खुलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. ऐसे में तय है कि आने वाले दिन घाटियों में रहने वाले लोगों के लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं.

इसे भी पढ़ें-मौत को मात देकर ऐसे निकले स्कूटी सवार, वीडियो देख खुली रह जाएंगी आंखें

घाटियों के ये गांव हैं प्रभावित

  • दारमा घाटी के ये गांव हैं प्रभावित: सेला, चल, नागलिंग, बालिंग, बोन, फिलम, दुग्तू, सौन, दांतू, गो, ढाकर, तिदांग, मार्छा, सीपू
  • व्यास घाटी के प्रभावित गांव: बूंदी, गर्ब्यांग, नपलच्यू, गुंजी, नाभी, रोंगकांग, कुटी.
  • चौदास घाटी के प्रभावित गांव: पांगू, धारपांगू, तंतागांव, रौतों, हिमखोला, छलमाछिलासो, सोसा, नारायण आश्रम, सिर्खा, सिर्दांग, रुंग, कुरीला, जयकोट, पस्ती

पिथौरागढ़ : देश के ज्यादातर राज्यों में हो रही मूसलाधार बारिश ने कहर मचा रखा है. बारिश के चलते आम लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. उत्तराखंड में बारिश से भीषण ताबाही मची है. बारिश के चलते चीन और नेपाल बॉर्डर को जोड़ने वाली धारचूला की दारमा, व्यास और चौदास घाटियों का लंबे समय से शेष दुनिया से संर्पक कट गया है. दारमा घाटी को जोड़ने वाली सड़क ढाई महीने से बंद है. वहीं व्यास और चौदास घाटियों में भी सड़कों का बुरा हाल है.

सड़क टूटने से कई गांव से कटा संपर्क

सड़क बंद होने से तीन घाटियों के 90 से अधिक गांवों की 30 हजार से अधिक आबादी अलग-थलग पड़ी हुई है. हालात ऐसे हैं कि कई गांवों में रोजमर्रा की जरूरी चीजों का संकट गहराने लगा है. सड़कों के बंद होने से बॉर्डर पर तैनात आईटीबीपी, एसएसबी और सेना के जवानों को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है. 16 जून को आई आसमानी आफत ने दारमा और चौदास घाटी को जोड़ने वाली सड़क को पूरी तरह तबाह कर डाला है. बॉर्डर की इस मुख्य सड़क पर दर्जनों जगह भारी लैंडस्लाइड हुआ है. जिसे हटाना स्थानीय प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है. व्यास घाटी को जोड़ने वाली सड़क का भी बुरा हाल है.

बारिश के चलते चीन-नेपाल सीमा की ओर जाने वाली सड़क बंद

बता दें कि लिपुलेख बॉर्डर को जोड़ने वाली सड़क व्यास घाटी से होकर जाती है. इस बार की बारिश ने बीआरओ की इस सड़क की पोल खोलकर रख दी है. इस सड़क पर दर्जनों लैंडस्लाइड प्रोन एरिया बन गए हैं. जहां बरसात के दौरान लगातार भारी मलबा गिर रहा है. सड़क बंद होने के बाद जरूरी चीजों की आपूर्ति रुक गई है.

खाने पीने के समान की बढ़ी कीमतें

मार्ग बंद होने से सीमांत के इलाकों में जरूरी चीजों का संकट पैदा हो गया है. गांव की छोटी दुकानों में जो समान बचा है, उसकी कीमत कई गुना बढ़ गई है. यही नहीं इन आपदाग्रस्त इलाकों में घायलों और मरीजों के लिए तो परेशानियां और बढ़ गई हैं. सरकार ने बॉर्डर की तीनों घाटियों में आपदा और राहत कार्यों के संचालन के लिए के लिए एक हेलीकॉप्टर भी दिया है. लेकिन, हजारों की आबादी के लिए ये इंतजाम भी नाकाफी साबित हो रहा है.

प्राकृतिक आपदा ने तीन घाटियों में जो तबाही मचाई है, उससे सड़कों के जल्द खुलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. ऐसे में तय है कि आने वाले दिन घाटियों में रहने वाले लोगों के लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं.

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घाटियों के ये गांव हैं प्रभावित

  • दारमा घाटी के ये गांव हैं प्रभावित: सेला, चल, नागलिंग, बालिंग, बोन, फिलम, दुग्तू, सौन, दांतू, गो, ढाकर, तिदांग, मार्छा, सीपू
  • व्यास घाटी के प्रभावित गांव: बूंदी, गर्ब्यांग, नपलच्यू, गुंजी, नाभी, रोंगकांग, कुटी.
  • चौदास घाटी के प्रभावित गांव: पांगू, धारपांगू, तंतागांव, रौतों, हिमखोला, छलमाछिलासो, सोसा, नारायण आश्रम, सिर्खा, सिर्दांग, रुंग, कुरीला, जयकोट, पस्ती
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