नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति की दर 5.1 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया. यह मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) के दायरे में बनाये रखने के लक्ष्य के अनुरूप है.
चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा पेश करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर (governor) शक्तिकान्त दास (Shaktikant Das) ने शुक्रवार को मुख्य नीतिगत दर रेपो रेट(Rapo Rate) को चार प्रतिशत पर कायम रखने की घोषणा की.
वित्त वर्ष की पहली तिमाही में मुद्रास्फीति (Inflation) 5.2 प्रतिशत, दूसरी में 5.4 प्रतिशत, तीसरी में 4.7 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
गवर्नर ने कहा कि अभी तक जो उपाय किए गए हैं और साथ ही महंगाई के ऊपर की ओर जाने के जोखिमों पर विचार के बाद चालू वित्त वर्ष में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 5.1 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है.
रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा हमारा अनुमान है कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserve) 600 अरब डालर से ऊपर निकल गया है. उन्होंने कहा, आरबीआई 17 जून को 40 हजार करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियों (Security) की खरीद करेगा। दूसरी तिमाही में 1.20 लाख करोड़ रुपये की प्रतिभूति खरीदी जाएंगी.
शक्तिकांत दास ने बताया कि रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 10.5 प्रतिशत से घटा कर 9.5 प्रतिशत किया गया है.
गवर्नर दास ने आगे कहा, आरबीआई 17 जून को 40 हजार करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद करेगा। दूसरी तिमाही में 1.20 लाख करोड़ रुपये की प्रतिभूति खरीदी जाएंगी.
रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा हमारा अनुमान है कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डालर से ऊपर निकल गया है.
रिजर्व बैंक का चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति दर 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान
भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति की दर 5.1 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया.
मुद्रास्फीति में हाल में आई गिरावट से कुछ गुंजाइश बनी है, आर्थिक वृद्धि को पटरी पर लाने के लिये सभी तरफ से नीतिगत समर्थन की आवश्यकता है.
रिजर्व बैंक ने प्रमुख ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखा. आर्थिक वृद्धि की निरंतरता बनाये रखने के लिये मौद्रिक नीति में नरम रुख जारी रहेगा.
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) की तीन दिवसीय बैठक बुधवार को शुरू हुई थी.
उम्मीद जताई जा रही है कि एमपीसी (MPC) कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के प्रकोप के चलते पैदा हुई अनिश्चितता के कारण नीतिगत दरों में यथास्थिति बरकरार रखने का फैसला कर सकती है.
एमपीसी द्वारा मुद्रास्फीति में तेजी की आशंका के चलते भी इस दौरान ब्याज दरों में किसी बदलाव की उम्मीद कम है.
आरबीआई ने अप्रैल में हुई पिछली एमपीसी बैठक में प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था. इस समय रेपो दर चार प्रतिशत पर और रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत पर है.
गवर्नर ने कहा कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर यदि गहराती है और इसकी वजह से देशभर में गतिविधियों पर अंकुश लगते हैं तो मुद्रास्फीति के ऊपर की ओर जाने का जोखिम है.
उन्होंने कहा कि ऐसे परिदृश्य में खाद्य वस्तुओं के कीमतों को आपूर्ति पक्ष की दिक्कतों से बचाने की जरूरत है। इसके लिए लगातार निगरानी और तैयारियों की जरूरत होगी. केंद्र के साथ राज्यों को इस बारे में समयबद्ध उपाय करने होंगे.