मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद के चर्चित रामपुर तिराहा कांड में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के आदेश पर सुनवाई कर रही स्थानीय अदालत ने 23 फरवरी को 23 आरोपी पुलिसकर्मियों के गैर जमानती वारंट जारी किए थे. शुक्रवार को 18 अभियुक्तों ने अदालत में पेश होकर अपने वारंट रिकॉल कराए. इसके साथ ही अदालत में पेश नहीं होने वाले शेष अभियुक्तों के कुर्की के वारंट जारी किए गए.
पृथक उत्तराखंड की मांग को लेकर 1 अक्टूबर 1994 को सैकड़ों की संख्या में लोग गाड़ियों और बसों में सवार होकर देहरादून से दिल्ली की ओर जा रहे थे. मुजफ्फरनगर में छपार थाना क्षेत्र के रामपुर तिराहे पर पहुंचते ही सभी लोगों को बैरिकेडिंग लगाकर रोक लिया गया था. सभी लोग वहीं पर बैठकर प्रदर्शन करने लगे थे. राम में आंदोलनकारियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया था.
आरोप है कि पुलिस ने उत्तराखंड गठन की मांग कर रहे लोगों पर फायरिंग भी की, जिसमें सात लोगों की जान चली गई थी. महिलाओं के साथ ज्यादती करने के आरोप भी पुलिस पर लगे थे. इस मामले को लेकर उत्तराखंड गठन समिति ने आंदोलन छेड़ दिया था और थाना छपार में घटना से जुड़े अलग-अलग आधा दर्जन से अधिक मामले दर्ज कराए गए थे. इसके बाद सीबीआई ने मामले की जांच कर कोर्ट में चार्जशीट पेश की थी.
हाल ही में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने घटना के मुकदमे की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट से अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या सात शक्ति सिंह की अदालत में ट्रांसफर करने के आदेश दिए थे. उसके बाद उन्होंने 23 फरवरी को सुनवाई करते हुए मुकदमे से संबंधित आरोपी 23 पुलिसकर्मियों के गैर जमानती वारंट जारी कर सीबीआई को निर्देशित किया था कि उन्हें तीन मार्च को कोर्ट में पेश करें. इसलिए शुक्रवार को 18 आरोपी कोर्ट में पेश हुए. इसके अलावा जो पांच पुलिसवाले पेश नहीं हुए उनके खिलाफ कुर्की के आदेश जारी किए गए हैं.
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