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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में काशी में तैयार 1008 छिद्र वाले कलश का होगा इस्तेमाल, ये है खासियत - रामलला अभिशेक

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों पर हैं. रामलला के अभिषेक के लिए काशी में खास तरह का कलश (Ramlala Pran Pratistha Special Kalash ) तैयार किया जा रहा है. इस कलश की अपनी अलग खासियत है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 5, 2024, 12:20 PM IST

Updated : Jan 6, 2024, 6:15 AM IST

काशी में तैयार हो रहा खास तरह का कलश.

वाराणसी : अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में अब कुछ ही दिन रह गए हैं. भव्य मंदिर के लोकार्पण और गर्भगृह में भगवान रामलला के अभिषेक को लेकर जोर-शोर से तैयारियां चल रहीं हैं. वाराणसी से रामलला के लिए कई चीजें भेजी जा रहीं हैं. ब्राह्मणों का एक दल दो दिन पहले काशी से अयोध्या पहुंच चुका है. वहां पर यज्ञ कुंड और पूजा की अन्य तैयारियां शुरू कर दी गईं हैं. इन सब के बीच रामलला के अभिषेक के लिए काशी में खास तरह का कलश भी तैयार किया जा रहा है. इस कलश में 1008 छिद्र होंगे. 25 दिसंबर को इसका ऑर्डर मिला था. अब इसका निर्माण अंतिम चरण में है.

रामलला के गर्भ गृह में कलश को मिलेगा स्थान : पिछले 35 सालों से काशीपुरा के लालू वर्मा खास तरह के पात्र, बर्तन आदि तैयार करने के लिए जाने जाते हैं. हाल ही में उन्होंने 121 ब्राह्मण के लिए विशेष कमंडल और पात्र तैयार किए थे. काशीपुरा एरिया पूजा पाठ के बर्तनों को तैयार करने के लिए जाना जाता है. विशेष पात्र हो या फिर अभिषेक के कलश सब कुछ यहां की संकरी गलियों में तैयार होता है. देश के कोने-कोने में यहां की तैयार चीजें भेजी जाती हैं. यहां के कारीगर इसे बनाने में एक्सपर्ट हैं. यही वजह है कि वाराणसी के लालू वर्मा को खास तरह का कलश बनाने का का काम मिला है. इस कलश को रामलला के गर्भ गृह में लगाया जाएगा. इस कलश की अपनी खासियत है.

कलश का इस्तेमाल अभिषेक के दौरान किया जाएगा.
कलश का इस्तेमाल अभिषेक के दौरान किया जाएगा.

कलश में भरा जाएगा 81 नदियों का पानी : लालू वर्मा का कहना है कि 25 दिसंबर को उनको सहस्त्र छिद्र कलश तैयार करने के लिए अनुष्ठान के मुख्य आचार्य पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित की तरफ से कहा गया है. यह कलश भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान उस समय इस्तेमाल किया जाएगा जब 121 ब्राह्मण अलग-अलग 81 नदियों से आए जल को इस पात्र में भरकर मंत्रोचार के साथ अभिषेक शुरू करेंगे. उस दौरान प्रभु के ऊपर लगातार जल गिरते रहना चाहिए. इस प्रक्रिया के लिए ही इस जर्मन सिल्वर कलश को तैयार करवाया गया है. इस कलश में 1008 छेद हैं. नदियों और औषधीय गुणों से तैयार किया जल प्रभु रामलला पर अभिषेक के मंत्रों के साथ गिरता रहेगा. लालू का कहना है कि इस तरह का कलश बहुत कम तैयार होता है.

छह हजार रुपये आ रही लागत : 1008 छिद्र वाले कलश को विशेष अनुष्ठान के लिए ही तैयार करवाया जाता है. जीएस यानी जर्मन सिल्वर के इस प्रोडक्ट को बनाने में लगभग 6000 रुपये की लागत आई है. 12 जनवरी से पहले इसे तैयार करके अयोध्या भेजना है. इसलिए इसमें हम तीन दिनों से लगातार जुटे हुए हैं. इसके पहले ब्राह्मण का सारा सामान तैयार करके उसे हमने सुपुर्द कर दिया है. अब यह कलश भी तैयार करके 10 जनवरी तक ही हम मुख्य आचार्य तक इसे पहुंचा देंगे, ताकि भगवान रामलला के अभिषेक का यह विशेष समान समय से पहले ही वहां पहुंच जाए.

यह भी पढ़ें : देवरहा बाबा ने 33 साल पहले ही कर दी थी राम मंदिर को लेकर भविष्यवाणी, बोले थे- कोई अड़ंगा नहीं डालेगा

काशी में तैयार हो रहा खास तरह का कलश.

वाराणसी : अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में अब कुछ ही दिन रह गए हैं. भव्य मंदिर के लोकार्पण और गर्भगृह में भगवान रामलला के अभिषेक को लेकर जोर-शोर से तैयारियां चल रहीं हैं. वाराणसी से रामलला के लिए कई चीजें भेजी जा रहीं हैं. ब्राह्मणों का एक दल दो दिन पहले काशी से अयोध्या पहुंच चुका है. वहां पर यज्ञ कुंड और पूजा की अन्य तैयारियां शुरू कर दी गईं हैं. इन सब के बीच रामलला के अभिषेक के लिए काशी में खास तरह का कलश भी तैयार किया जा रहा है. इस कलश में 1008 छिद्र होंगे. 25 दिसंबर को इसका ऑर्डर मिला था. अब इसका निर्माण अंतिम चरण में है.

रामलला के गर्भ गृह में कलश को मिलेगा स्थान : पिछले 35 सालों से काशीपुरा के लालू वर्मा खास तरह के पात्र, बर्तन आदि तैयार करने के लिए जाने जाते हैं. हाल ही में उन्होंने 121 ब्राह्मण के लिए विशेष कमंडल और पात्र तैयार किए थे. काशीपुरा एरिया पूजा पाठ के बर्तनों को तैयार करने के लिए जाना जाता है. विशेष पात्र हो या फिर अभिषेक के कलश सब कुछ यहां की संकरी गलियों में तैयार होता है. देश के कोने-कोने में यहां की तैयार चीजें भेजी जाती हैं. यहां के कारीगर इसे बनाने में एक्सपर्ट हैं. यही वजह है कि वाराणसी के लालू वर्मा को खास तरह का कलश बनाने का का काम मिला है. इस कलश को रामलला के गर्भ गृह में लगाया जाएगा. इस कलश की अपनी खासियत है.

कलश का इस्तेमाल अभिषेक के दौरान किया जाएगा.
कलश का इस्तेमाल अभिषेक के दौरान किया जाएगा.

कलश में भरा जाएगा 81 नदियों का पानी : लालू वर्मा का कहना है कि 25 दिसंबर को उनको सहस्त्र छिद्र कलश तैयार करने के लिए अनुष्ठान के मुख्य आचार्य पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित की तरफ से कहा गया है. यह कलश भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान उस समय इस्तेमाल किया जाएगा जब 121 ब्राह्मण अलग-अलग 81 नदियों से आए जल को इस पात्र में भरकर मंत्रोचार के साथ अभिषेक शुरू करेंगे. उस दौरान प्रभु के ऊपर लगातार जल गिरते रहना चाहिए. इस प्रक्रिया के लिए ही इस जर्मन सिल्वर कलश को तैयार करवाया गया है. इस कलश में 1008 छेद हैं. नदियों और औषधीय गुणों से तैयार किया जल प्रभु रामलला पर अभिषेक के मंत्रों के साथ गिरता रहेगा. लालू का कहना है कि इस तरह का कलश बहुत कम तैयार होता है.

छह हजार रुपये आ रही लागत : 1008 छिद्र वाले कलश को विशेष अनुष्ठान के लिए ही तैयार करवाया जाता है. जीएस यानी जर्मन सिल्वर के इस प्रोडक्ट को बनाने में लगभग 6000 रुपये की लागत आई है. 12 जनवरी से पहले इसे तैयार करके अयोध्या भेजना है. इसलिए इसमें हम तीन दिनों से लगातार जुटे हुए हैं. इसके पहले ब्राह्मण का सारा सामान तैयार करके उसे हमने सुपुर्द कर दिया है. अब यह कलश भी तैयार करके 10 जनवरी तक ही हम मुख्य आचार्य तक इसे पहुंचा देंगे, ताकि भगवान रामलला के अभिषेक का यह विशेष समान समय से पहले ही वहां पहुंच जाए.

यह भी पढ़ें : देवरहा बाबा ने 33 साल पहले ही कर दी थी राम मंदिर को लेकर भविष्यवाणी, बोले थे- कोई अड़ंगा नहीं डालेगा

Last Updated : Jan 6, 2024, 6:15 AM IST
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