नई दिल्ली : पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भले ही बीजेपी ने चार राज्यों में जीत हासिल कर ली है, मगर उसकी सीटें पहले के मुकाबले कम हुई हैं. इसके कारण राज्यसभा में विपक्ष को फायदा होगा. इसके अलावा राष्ट्रपति चुनाव में बड़ी जीत कन्फर्म करने के लिए बीजेपी को एनडीए गठबंधन के बाहर सहयोगी दलों की तलाश करनी होगी.
2017 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में भी बीजेपी उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को कई गैर कांग्रेस दलों का समर्थन मिल गया था. तब राष्ट्रपति चुनाव में कुल 4,896 सांसदों और विधायकों ने वोट डाले थे. तब एनडीए प्रत्याशी रामनाथ कोविंद को 10,98,903 मूल्य के वोटों में 7,02,044 मत मिले जबकि मीरा कुमार को 3,67,314 मत मिले थे. उत्तरप्रदेश में उत्तर प्रदेश में कोविंद को 335 मत और मीरा कुमार को 65 वोट मिले थे. इस बार एनडीए के खाते में सिर्फ 273 सीटें हैं. यानी 2017 के मुकाबले 62 वोट बीजेपी के पास कम हैं.
![Presidential election 2022 v](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/14738034_info-graphics.jpg)
देश भर की विधानसभाओं में बीजेपी के पास 1,431 विधायक हैं. कांग्रेस 753 विधायकों के साथ दूसरे नंबर पर हैं. गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेसी दलों के पास कुल 1,923 विधायक हैं. पंजाब में जीत के बाद आम आदमी पार्टी के पास1 पर्सेंट, टीएमसी के पास 3.05 पर्सेंट, जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी के पास 4 फीसदी, तेलंगाना में टीआरएस के पास 2.2 फीसदी और बीजद के पास लगभग 3 फीसदी वोट हैं. एनडीए के लोकसभा में 334 और राज्यसभा में 115 सदस्य हैं. राज्यसभा के 106 सदस्य ही राष्ट्रपति चुनाव में वोट डाल सकते हैं. मनोनीत सदस्यों के पास वोटिंग का अधिकार नहीं है. प्रत्येक सांसद के वोट का मूल्य 708 निर्धारित है. 2017 में रामनाथ कोविंद के पक्ष में 522 सांसदों ने वोट डाले थे.
![Presidential election 2022 v](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/14738034_info-graphicspsd2.jpg)
पिछले चुनाव में उत्तराखंड में कोविंद को 59 जबकि मीरा कुमार को 11 मत प्राप्त हुए थे. अब बीजेपी के पास 47 विधायक हैं, यानी उत्तराखंड में भी 12 विधायक कम हुए हैं. पिछले राष्ट्रपति चुनाव के बाद बीजेपी झारखंड में काफी सीटें गंवा चुकी है. 2017 में जम्मू-कश्मीर से भी रामनाथ कोविंद को बढ़त मिली थी, इस बार इस राज्य में असेबंली भंग है. छत्तीसगढ़ से भी कांग्रेस के विधायक ज्यादा हैं. यानी पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार बीजेपी के वोट कम हुए हैं.
इसके अलावा जुलाई तक राज्यसभा में विपक्षी दलों की संख्या बढ़ेगी. एक्सपर्ट मानते हैं कि अगर गैर एनडीए के राजनीतिक दल लामबंद हो जाए तो भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को जीत के लिए 1.5 फीसदी वोट की जरूरत होगी. हालांकि यह उम्मीद की जा रही है कि पिछले चुनाव की तरह इस बार भी नवीन पटनायक के बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस विधानसभा से संसद तक एनडीए कैंडिडेट को सपोर्ट कर सकते हैं. इस तरह बीजेपी प्रत्याशी को जीतने में बड़ी मुश्किल नहीं होगी.
राष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल वोट
प्रतिनिधि | संख्या | वोट का कुल मूल्य |
विधायक | 4,120 | 549,495 |
सासंद | 776 | 549,408 |
कुल जनप्रतिनिधि | 4,896 | 1,098,903 |
राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों के सदस्यों के मत का कुल मूल्य 5,49,408 है तो सभी राज्यों के विधायकों का मत मूल्य 5,49,495 है. इस तरह कुल मतों का मूल्य 10,98,903 है. सभी राज्यों में विधायकों के वोट का वैल्यू अलग-अलग है. यह प्रदेश की आबादी और विधायकों की संख्या के हिसाब से तय होती है. उत्तरप्रदेश के एक विधायक के वोट का वैल्यू 83,824 है जबकि सिक्किम के एक विधायक के मत का मूल्य सिर्फ सात है. महाराष्ट्र के एक विधायक के वोट का वैल्यू 50,400 है. जब वोटिंग के बाद काउंटिग होती है तो वोट वैल्यू जोड़े जाते हैं. इस आधार पर चुनाव में जीत के लिये 50 प्रतिशत से एक वोट अधिक की जरूरत होती है.