हैदराबाद: चुनावी रणनीतिकार और राजनीतिक पंडित के तौर पर 2014 से सुर्खियों में आए प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt Amarinder Singh) का साथ छोड़ते हुए प्रधान सलाहकार के पद से इस्तीफा दे दिया है. प्रशांत किशोर के इस्तीफे को भले ही सीएम अमरिंदर ने स्वीकार कर लिया है, लेकिन अंदरखाने में प्रशांत के इस कदम ने उनको अशांत जरूर कर दिया. अपने इस्तीफे को लेकर प्रशांत ने त्याग पत्र में लिखा कि वह सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रोल से अस्थायी ब्रेक चाहते हैं.
प्रशांत किशोर ने पत्र में आगे लिखा कि मैं सार्वजनिक जीवन में सक्रिय भूमिका से अस्थायी ब्रेक लेने की वजह से मैं आपके प्रधान सलाहकार के रूप में जिम्मेदारियों को संभालने में सक्षम नहीं हूं. मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया मुझे इस जिम्मेदारी से मुक्त करने की कृपा करें. आगे मुझे क्या करना है, यह तय करना बाकी है. मुझे इस पद के लिए चुनने पर आपका शुक्रिया.
प्रशांत किशोर ने मार्च 2021 में पंजाब के सीएम के प्रधान सलाहकार का पद संभाला था. इसकी जानकारी खुद अमरिंदर सिंह ने ट्वीट करके दी थी. पिछले दिनों प्रशांत किशोर की विपक्षी दलों के साथ काफी नजदीकी नजर आई थी और उन्होंने उससे पहले एनसीपी मुखिया शरद पवार के साथ कई मीटिंग की थी.
तब 2024 के लिए तीसरे मोर्च के कयास लगाए जा रहे थे. बाद में दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ राहुल और प्रियंका गांधी से भी मुलाकात की. इसी के बाद उनके कांग्रेस में शामिल होने के कयास लगने शुरू हो गए थे.
इस्तीफे की एक वजह ये भी
पीके का इस्तीफा इसलिए भी कैप्टन के लिए झटका माना जा रहा है, क्योंकि पंजाब में पहले ही कांग्रेस की राजनीति कैप्टन और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच में बंटती हुई नजर आ रही है. सिद्धू को कैप्टन की सहमति के बिना ही कांग्रेस ने प्रदेश प्रधान की कमान सौंपी थी. वहीं, अहम पहलू यह भी है कि पीके कैप्टन और सिद्धू के बीच में कड़ी भी हैं, क्योंकि सिद्धू को कांग्रेस में लाने में पीके ने अहम भूमिका अदा की थी, जबकि पीके कैप्टन के प्रधान रणनीतिकार भी थे.
ऐसे में माना जा रहा था कि पीके इस बार भी कैप्टन और सिद्धू के बीच की दूरी मिटाने में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं. अब चुनावी रणनीतिकार प्रशांत ने इस्तीफा देकर कांग्रेस को अधर में लटका दिया है.
मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि पीके ने मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार पद से इस्तीफा दे दिया है. वहीं, पीके ने संकेत दिए हैं कि वह भले ही किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए रणनीति नहीं बनाएंगे, लेकिन उनकी कंपनी आई-पैक राजनीतिक क्षेत्र में काम करती रहेगी.