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उम्मीदवारों के चयन के 48 घंटे के भीतर पार्टियों को देनी होगी मुकदमों की जानकारी

सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड वाले दिशानिर्देश को सख्त किया है और अपने पुराने फैसले में सुधार किया है. अब सभी राजनीतिक दलों को अपने उम्मीदवारों की घोषणा के 48 घंटे के भीतर उनसे जुड़ी जानकारी साझा करनी होगी.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Aug 10, 2021, 11:23 AM IST

Updated : Aug 10, 2021, 12:41 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों द्वारा उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी सार्वजनिक किए जाने के संबंध में अपने फैसले में सुधार किया है. शीर्ष अदालत ने आदेश दिया है कि अब सभी राजनीतिक दलों को अपने उम्मीदवारों की घोषणा के 48 घंटे के भीतर उनसे जुड़ी जानकारी साझा करनी होगी.

जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने अपने 13 फरवरी, 2020 के फैसले को संशोधित करते हुए यह आदेश दिया.

फरवरी 2020 के फैसले में एक निर्देश में, शीर्ष अदालत ने राजनीतिक दलों द्वारा उम्मीदवार के चयन के 48 घंटे के भीतर या नामांकन दाखिल करने की पहली तारीख से कम से कम दो सप्ताह पहले, जो भी पहले हो, प्रकाशित करने का आदेश दिया था.

अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उसने उक्त फैसले के पैरा 4.4 में सुधार किया है और चयन के 48 घंटे के भीतर इसे प्रकाशित किया जाएगा. इसके अलावा बेंच ने कुछ अतिरिक्त निर्देश भी पारित किए हैं.

शीर्ष अदालत ने नवंबर 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनावों में उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास को प्रकाशित करने में विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा विफलता का आरोप लगाते हुए दायर अवमानना याचिकाओं पर फैसला सुनाया.

चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को उम्मीदवारों के बारे में यह जानकारी अखबारों में प्रकाशित करने का निर्देश दिया था.

बिहार विधानसभा चुनावों में अपने उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास का खुलासा करने के आदेशों का पालन नहीं करने के लिए सीपीएम और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी थी.

चुनाव आयोग ने अदालत से कहा था कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत उनके चुनाव चिह्नों को निलंबित करेगा.

चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि एनसीपी ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 26 उम्मीदवारों को और सीपीएम ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले चार उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है.

यह भी पढ़ें- Pegasus Spyware पर बोले रमन्ना- किसी को भी नहीं लांघनी चाहिए सीमा

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की ओर से वकील दिनेश द्विवेदी ने कहा कि बसपा ने एक उम्मीदवार को निष्कासित कर दिया, जब पार्टी को पता चला कि वह अपने आपराधिक इतिहास का खुलासा करने में विफल रहा है और एक झूठा हलफनामा दायर किया है.

सीपीएम की ओर से वकील ने बिना शर्त माफी मांगते हुए कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए था. हमारा भी विचार है कि राजनीति का अपराधीकरण नहीं होना चाहिए.

(एजेंसी इनपुट)

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों द्वारा उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी सार्वजनिक किए जाने के संबंध में अपने फैसले में सुधार किया है. शीर्ष अदालत ने आदेश दिया है कि अब सभी राजनीतिक दलों को अपने उम्मीदवारों की घोषणा के 48 घंटे के भीतर उनसे जुड़ी जानकारी साझा करनी होगी.

जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने अपने 13 फरवरी, 2020 के फैसले को संशोधित करते हुए यह आदेश दिया.

फरवरी 2020 के फैसले में एक निर्देश में, शीर्ष अदालत ने राजनीतिक दलों द्वारा उम्मीदवार के चयन के 48 घंटे के भीतर या नामांकन दाखिल करने की पहली तारीख से कम से कम दो सप्ताह पहले, जो भी पहले हो, प्रकाशित करने का आदेश दिया था.

अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उसने उक्त फैसले के पैरा 4.4 में सुधार किया है और चयन के 48 घंटे के भीतर इसे प्रकाशित किया जाएगा. इसके अलावा बेंच ने कुछ अतिरिक्त निर्देश भी पारित किए हैं.

शीर्ष अदालत ने नवंबर 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनावों में उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास को प्रकाशित करने में विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा विफलता का आरोप लगाते हुए दायर अवमानना याचिकाओं पर फैसला सुनाया.

चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को उम्मीदवारों के बारे में यह जानकारी अखबारों में प्रकाशित करने का निर्देश दिया था.

बिहार विधानसभा चुनावों में अपने उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास का खुलासा करने के आदेशों का पालन नहीं करने के लिए सीपीएम और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी थी.

चुनाव आयोग ने अदालत से कहा था कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत उनके चुनाव चिह्नों को निलंबित करेगा.

चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि एनसीपी ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 26 उम्मीदवारों को और सीपीएम ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले चार उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है.

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बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की ओर से वकील दिनेश द्विवेदी ने कहा कि बसपा ने एक उम्मीदवार को निष्कासित कर दिया, जब पार्टी को पता चला कि वह अपने आपराधिक इतिहास का खुलासा करने में विफल रहा है और एक झूठा हलफनामा दायर किया है.

सीपीएम की ओर से वकील ने बिना शर्त माफी मांगते हुए कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए था. हमारा भी विचार है कि राजनीति का अपराधीकरण नहीं होना चाहिए.

(एजेंसी इनपुट)

Last Updated : Aug 10, 2021, 12:41 PM IST
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