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प्रधानमंत्री की घोषणा का किसान आंदोलन स्थलों पर असर नहीं, एमएसपी पर जारी रहेगी लड़ाई

तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा का असर दिल्ली की सीमाओं स्थित आंदोलन स्थल पर देखने को नहीं मिल रहा है. कानून वापसी की घोषणा को आम किसान बड़ी जीत तो मानते हैं लेकिन प्रधानमंत्री द्वारा घर वापस जाने की अपील पर कोई अमल नहीं कर रहे.

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Published : Nov 19, 2021, 5:04 PM IST

Updated : Nov 19, 2021, 5:24 PM IST

नई दिल्ली : ईटीवी भारत ने दिल्ली के टीकरी बॉर्डर पर आम आंदोलनकारी किसानों से बातचीत की, जिसमें उनके सुर भी वही थे जो उनके नेतृत्व संयुक्त किसान मोर्चा के हैं. बातचीत में किसान कहते हैं कि अभी केवल प्रधानमंत्री ने घोषणा की है.

संसद का शीतकालीन सत्र जब शुरु होगा और उसमें तीन कृषि कानूनो को निरस्त करने की औपचारिक प्रक्रिया दोनों सदनों में हो जाएगी. फिर अंत में राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होंगे, उसके बाद ही कानून निरस्त होंगे. किसानों की बात में प्रधानमंत्री के प्रति एक अविश्वाश दिखता है.

इसका कारण पूछने पर कुछ किसान कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के कई ऐसे वायदे हैं जो उन्होनें सत्ता में आने के बाद पूरे नहीं किए. किसानों से उन्होंने अनिवार्य एमएसपी देने का वादा किया था. वह भी स्वामिनाथन आयोग के C2+50 फॉर्मूला से लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने वादा पूरा नहीं किया.

प्रधानमंत्री की घोषणा का किसान आंदोलन स्थलों पर असर नहीं

आंदोलनकारी प्रधानमंत्री द्वारा 2014 के चुनाव में स्विस बैंक मे जमा काला धन और हर देशवासी के खाते में 15 लाख रुपये भेजने की बात को भी याद दिलाया. हालांकि किसानों का यह कहना है कि उन्हें अपने नेतृत्व संयुक्त किसान मोर्चा पर पूरा भरोसा है और उनके निर्णय के अनुसार ही वह काम करेंगे.

टीकरी बॉर्डर पर बैठे ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा से आते हैं. सिख समुदाय के लोगों की संख्या इसमें 80% के आस पास है. गुरु नानक के प्रकाश पर्व जैसे बड़े अवसर पर भी औसत संख्या में मंच के आस पास और टेंट में लोगों की मौजूदगी दिखती है और प्रधानमंत्री की घोषणा पर कोई विशेष उत्साह नजर नहीं आता.

इसका एक कारण यह भी है कि बहुत सारे लोग अभी तक इसे महज एक घोषणा के रूप में ही देख रहे हैं. जब तक प्रधानमंत्री की कही बात को संवैधानिक रूप से पूरा नहीं किया जाता तब तक वह तीन कृषि कानूनों को रद्द नहीं मानेंगे.

यह भी पढ़ें- सरकार का तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान : पीएम मोदी

कुल मिलाकर तीन कृषि कानूनों के वापस लिए जाने के बाद अब आंदोलन के केंद्र में एमएसपी का मुद्दा आता हुआ दिखाई दे रहा है. जो किसानों के लिए सबसे अहम और पुराना मुद्दा है.

नई दिल्ली : ईटीवी भारत ने दिल्ली के टीकरी बॉर्डर पर आम आंदोलनकारी किसानों से बातचीत की, जिसमें उनके सुर भी वही थे जो उनके नेतृत्व संयुक्त किसान मोर्चा के हैं. बातचीत में किसान कहते हैं कि अभी केवल प्रधानमंत्री ने घोषणा की है.

संसद का शीतकालीन सत्र जब शुरु होगा और उसमें तीन कृषि कानूनो को निरस्त करने की औपचारिक प्रक्रिया दोनों सदनों में हो जाएगी. फिर अंत में राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होंगे, उसके बाद ही कानून निरस्त होंगे. किसानों की बात में प्रधानमंत्री के प्रति एक अविश्वाश दिखता है.

इसका कारण पूछने पर कुछ किसान कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के कई ऐसे वायदे हैं जो उन्होनें सत्ता में आने के बाद पूरे नहीं किए. किसानों से उन्होंने अनिवार्य एमएसपी देने का वादा किया था. वह भी स्वामिनाथन आयोग के C2+50 फॉर्मूला से लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने वादा पूरा नहीं किया.

प्रधानमंत्री की घोषणा का किसान आंदोलन स्थलों पर असर नहीं

आंदोलनकारी प्रधानमंत्री द्वारा 2014 के चुनाव में स्विस बैंक मे जमा काला धन और हर देशवासी के खाते में 15 लाख रुपये भेजने की बात को भी याद दिलाया. हालांकि किसानों का यह कहना है कि उन्हें अपने नेतृत्व संयुक्त किसान मोर्चा पर पूरा भरोसा है और उनके निर्णय के अनुसार ही वह काम करेंगे.

टीकरी बॉर्डर पर बैठे ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा से आते हैं. सिख समुदाय के लोगों की संख्या इसमें 80% के आस पास है. गुरु नानक के प्रकाश पर्व जैसे बड़े अवसर पर भी औसत संख्या में मंच के आस पास और टेंट में लोगों की मौजूदगी दिखती है और प्रधानमंत्री की घोषणा पर कोई विशेष उत्साह नजर नहीं आता.

इसका एक कारण यह भी है कि बहुत सारे लोग अभी तक इसे महज एक घोषणा के रूप में ही देख रहे हैं. जब तक प्रधानमंत्री की कही बात को संवैधानिक रूप से पूरा नहीं किया जाता तब तक वह तीन कृषि कानूनों को रद्द नहीं मानेंगे.

यह भी पढ़ें- सरकार का तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान : पीएम मोदी

कुल मिलाकर तीन कृषि कानूनों के वापस लिए जाने के बाद अब आंदोलन के केंद्र में एमएसपी का मुद्दा आता हुआ दिखाई दे रहा है. जो किसानों के लिए सबसे अहम और पुराना मुद्दा है.

Last Updated : Nov 19, 2021, 5:24 PM IST
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