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Janjati Gaurav Divas: पीएम मोदी बोले- प्रकृति से छेड़छाड़ समाज के कल्याण का रास्ता नहीं

Janjati Gaurav Divas: भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जा रहा है. इस अवसर पर पीएम मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद्घाटन किया

पीएम मोदी ने किया बिरसा मुंडा के सम्मान में संग्रहालय का उद्घाटन
पीएम मोदी ने किया बिरसा मुंडा के सम्मान में संग्रहालय का उद्घाटनपीएम मोदी ने किया बिरसा मुंडा के सम्मान में संग्रहालय का उद्घाटन
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Published : Nov 15, 2021, 10:09 AM IST

Updated : Nov 15, 2021, 10:34 AM IST

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से रांची में भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद्घाटन किया. मोदी सरकार ने हाल में घोषणा की थी कि सोमवार को बिरसा मुंडा की जयंती को 'जनजातीय गौरव दिवस' (Janjati Gaurav Divas) के रूप में मनाया जाएगा.

अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, आजादी के इस अमृतकाल में देश ने तय किया है कि भारत की जनजातीय परंपराओं को, शौर्य गाथाओं को देश अब और भी भव्य पहचान देगा. इसी क्रम में ऐतिहासिक फैसला लिया गया है कि आज से हर साल देश 15 नवंबर यानी भगवान विरसा मुंडा के जन्म दिवस को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाएगा.

पीएम मोदी ने कहा, हमारे जीवन में कुछ दिन बड़े सौभाग्य से आते हैं, और जब ये दिन आते हैं तब हमारा कर्तव्य होता है कि उनकी आभा, उनके प्रकाश को अगली पीढ़ियों तक और ज्यादा भव्य रूम में पहुंचाए. आज का ये दिन ऐसा ही पुण्य-पुनीत का अवसर है.

पीएम मोदी के संबोधन की मुख्य बातें

  • आज के ही दिन हमारे श्रद्धेय अटल जी की दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण झारखण्ड राज्य भी अस्तित्व में आया था. ये अटल जी ही थे जिन्होंने देश की सरकार में सबसे पहले अलग आदिवासी मंत्रालय का गठन कर आदिवासी हितों को देश की नीतियों से जोड़ा था.
  • आज इस महत्वपूर्ण अवसर पर देश का पहला जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय देशवासियों के लिए समर्पित हो रहा है. भारत की पहचान और भारत की आजादी के लिए लड़ते हुए भगवान बिरसा मुंडा ने अपने आखिरी दिन रांची की इसी जेल में बिताए थे.
  • भारत की सत्ता, भारत के लिए निर्णय लेने की अधिकार-शक्ति भारत के लोगों के पास आए, ये स्वाधीनता संग्राम का एक स्वाभाविक लक्ष्य था. लेकिन साथ ही, ‘धरती आबा’ की लड़ाई उस सोच के खिलाफ भी थी जो भारत की, आदिवासी समाज की पहचान को मिटाना चाहती थी.
  • आधुनिकता के नाम पर विविधता पर हमला, प्राचीन पहचान और प्रकृति से छेड़छाड़, भगवान बिरसा जानते थे कि ये समाज के कल्याण का रास्ता नहीं है. वो आधुनिक शिक्षा के पक्षधर थे, वो बदलावों की वकालत करते थे, उन्होंने अपने ही समाज की कुरीतियों के, कमियों के खिलाफ बोलने का साहस दिखाया.
  • भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय के अलावा देश के अलग-अलग राज्यों में ऐसे ही 9 और संग्रहालयों पर तेजी से काम हो रहा है.
  • बहुत जल्द गुजरात के राजपीपला, आंध्र प्रदेश के लम्बासिंगी, छत्तीसगढ़ के रायपुर, केरल के कोझीकोड, मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा, तेलंगाना के हैदराबाद, मणिपुर के टमिंगलोंग, मिजोरम के कैल्सि में, गोवा के पोंडा में इन संग्राहलयों को हम साकार रूप लेते हुए देखेंगे.

वहीं, इससे पहले प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा जनजातीय समुदायों के अमूल्य योगदान, विशेष रूप से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके बलिदान को रेखांकित किया है. बयान के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी ने 2016 में स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा निभाई गई भूमिका का उल्लेख किया और बहादुर जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति को समर्पित संग्रहालयों के निर्माण की परिकल्पना रखी, ताकि देश की आने वाली पीढ़ियों को उनके बलिदानों के बारे में जानकारी प्राप्त हो सके.

जनजातीय कार्य मंत्रालय ने अब तक दस आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालयों के निर्माण को मंजूरी दी है. ये संग्रहालय विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों के जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की यादों को संजोकर रखेंगे.

पीएमओ ने कहा कि 'भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय' झारखंड राज्य सरकार के सहयोग से रांची के पुराने केंद्रीय कारावास में बनाया गया है, जहां बिरसा मुंडा ने अपने प्राणों की आहुति दी थी. प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि यह राष्ट्र और जनजातीय समुदायों के लिए उनके बलिदान को श्रद्धांजलि होगी.

पीएमओ ने एक बयान में कहा कि जनजातीय संस्कृति एवं इतिहास को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में संग्रहालय महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. यह भी प्रदर्शित करेगा कि किस तरह आदिवासियों ने अपने जंगलों, भूमि अधिकारों, अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए संघर्ष किया और यह राष्ट्र निर्माण के लिए उनकी वीरता और बलिदान को भी प्रदर्शित करेगा.

बयान के अनुसार, यह संग्रहालय बिरसा मुंडा के साथ, शहीद बुधु भगत, सिद्धू-कान्हू, नीलांबर-पीतांबर, दिवा-किसुन, तेलंगा खड़िया, गया मुंडा, जात्रा भगत, पोटो एच, भगीरथ मांझी और गंगा नारायण सिंह जैसे विभिन्न आंदोलनों से जुड़े अन्य जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में भी जानकारी प्रदर्शित करेगा. संग्रहालय में बिरसा मुंडा की 25 फीट की प्रतिमा और क्षेत्र के अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की नौ फीट की प्रतिमा मौजूद होंगी.

पढ़ें: पीएम मोदी ने बिरसा मुंडा की जयंती पर दी श्रद्धांजलि, सम्मान में संग्रहालय का करेंगे उद्घाटन

स्मृति उद्यान को 25 एकड़ क्षेत्र में विकसित किया गया है और इसमें संगीतमय झरना, खान-पान परिसर, बाल उद्यान और अन्य मनोरंजन सुविधाएं उपलब्ध होंगी.

पीटीआई-भाषा

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से रांची में भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद्घाटन किया. मोदी सरकार ने हाल में घोषणा की थी कि सोमवार को बिरसा मुंडा की जयंती को 'जनजातीय गौरव दिवस' (Janjati Gaurav Divas) के रूप में मनाया जाएगा.

अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, आजादी के इस अमृतकाल में देश ने तय किया है कि भारत की जनजातीय परंपराओं को, शौर्य गाथाओं को देश अब और भी भव्य पहचान देगा. इसी क्रम में ऐतिहासिक फैसला लिया गया है कि आज से हर साल देश 15 नवंबर यानी भगवान विरसा मुंडा के जन्म दिवस को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाएगा.

पीएम मोदी ने कहा, हमारे जीवन में कुछ दिन बड़े सौभाग्य से आते हैं, और जब ये दिन आते हैं तब हमारा कर्तव्य होता है कि उनकी आभा, उनके प्रकाश को अगली पीढ़ियों तक और ज्यादा भव्य रूम में पहुंचाए. आज का ये दिन ऐसा ही पुण्य-पुनीत का अवसर है.

पीएम मोदी के संबोधन की मुख्य बातें

  • आज के ही दिन हमारे श्रद्धेय अटल जी की दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण झारखण्ड राज्य भी अस्तित्व में आया था. ये अटल जी ही थे जिन्होंने देश की सरकार में सबसे पहले अलग आदिवासी मंत्रालय का गठन कर आदिवासी हितों को देश की नीतियों से जोड़ा था.
  • आज इस महत्वपूर्ण अवसर पर देश का पहला जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय देशवासियों के लिए समर्पित हो रहा है. भारत की पहचान और भारत की आजादी के लिए लड़ते हुए भगवान बिरसा मुंडा ने अपने आखिरी दिन रांची की इसी जेल में बिताए थे.
  • भारत की सत्ता, भारत के लिए निर्णय लेने की अधिकार-शक्ति भारत के लोगों के पास आए, ये स्वाधीनता संग्राम का एक स्वाभाविक लक्ष्य था. लेकिन साथ ही, ‘धरती आबा’ की लड़ाई उस सोच के खिलाफ भी थी जो भारत की, आदिवासी समाज की पहचान को मिटाना चाहती थी.
  • आधुनिकता के नाम पर विविधता पर हमला, प्राचीन पहचान और प्रकृति से छेड़छाड़, भगवान बिरसा जानते थे कि ये समाज के कल्याण का रास्ता नहीं है. वो आधुनिक शिक्षा के पक्षधर थे, वो बदलावों की वकालत करते थे, उन्होंने अपने ही समाज की कुरीतियों के, कमियों के खिलाफ बोलने का साहस दिखाया.
  • भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय के अलावा देश के अलग-अलग राज्यों में ऐसे ही 9 और संग्रहालयों पर तेजी से काम हो रहा है.
  • बहुत जल्द गुजरात के राजपीपला, आंध्र प्रदेश के लम्बासिंगी, छत्तीसगढ़ के रायपुर, केरल के कोझीकोड, मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा, तेलंगाना के हैदराबाद, मणिपुर के टमिंगलोंग, मिजोरम के कैल्सि में, गोवा के पोंडा में इन संग्राहलयों को हम साकार रूप लेते हुए देखेंगे.

वहीं, इससे पहले प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा जनजातीय समुदायों के अमूल्य योगदान, विशेष रूप से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके बलिदान को रेखांकित किया है. बयान के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी ने 2016 में स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा निभाई गई भूमिका का उल्लेख किया और बहादुर जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति को समर्पित संग्रहालयों के निर्माण की परिकल्पना रखी, ताकि देश की आने वाली पीढ़ियों को उनके बलिदानों के बारे में जानकारी प्राप्त हो सके.

जनजातीय कार्य मंत्रालय ने अब तक दस आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालयों के निर्माण को मंजूरी दी है. ये संग्रहालय विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों के जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की यादों को संजोकर रखेंगे.

पीएमओ ने कहा कि 'भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय' झारखंड राज्य सरकार के सहयोग से रांची के पुराने केंद्रीय कारावास में बनाया गया है, जहां बिरसा मुंडा ने अपने प्राणों की आहुति दी थी. प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि यह राष्ट्र और जनजातीय समुदायों के लिए उनके बलिदान को श्रद्धांजलि होगी.

पीएमओ ने एक बयान में कहा कि जनजातीय संस्कृति एवं इतिहास को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में संग्रहालय महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. यह भी प्रदर्शित करेगा कि किस तरह आदिवासियों ने अपने जंगलों, भूमि अधिकारों, अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए संघर्ष किया और यह राष्ट्र निर्माण के लिए उनकी वीरता और बलिदान को भी प्रदर्शित करेगा.

बयान के अनुसार, यह संग्रहालय बिरसा मुंडा के साथ, शहीद बुधु भगत, सिद्धू-कान्हू, नीलांबर-पीतांबर, दिवा-किसुन, तेलंगा खड़िया, गया मुंडा, जात्रा भगत, पोटो एच, भगीरथ मांझी और गंगा नारायण सिंह जैसे विभिन्न आंदोलनों से जुड़े अन्य जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में भी जानकारी प्रदर्शित करेगा. संग्रहालय में बिरसा मुंडा की 25 फीट की प्रतिमा और क्षेत्र के अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की नौ फीट की प्रतिमा मौजूद होंगी.

पढ़ें: पीएम मोदी ने बिरसा मुंडा की जयंती पर दी श्रद्धांजलि, सम्मान में संग्रहालय का करेंगे उद्घाटन

स्मृति उद्यान को 25 एकड़ क्षेत्र में विकसित किया गया है और इसमें संगीतमय झरना, खान-पान परिसर, बाल उद्यान और अन्य मनोरंजन सुविधाएं उपलब्ध होंगी.

पीटीआई-भाषा

Last Updated : Nov 15, 2021, 10:34 AM IST
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