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पीएम मोदी मानहानि मामला: बॉम्बे हाईकोर्ट से राहुल गांधी को राहत, स्थानीय अदालत में पेशी से 25 जनवरी तक राहत - PM Modi defamation case

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को बॉम्बे हाईकोर्ट से उस मामले में राहत मिली है, जिसमें उन पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कथित टिप्पणी करते हुए मानहानि की है. इस मामले में उन्हें अदालत में पेश होना था.

PM Modi defamation case
पीएम मोदी मानहानि मामला
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Published : Dec 5, 2022, 6:23 PM IST

मुंबई: बॉम्बे उच्च न्यायालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कथित टिप्पणी से संबंधित मानहानि के मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को यहां की एक अदालत में पेश होने से मिली राहत की अवधि सोमवार को 25 जनवरी तक बढ़ा दी. न्यायमूर्ति अमित बोरकर की एकल पीठ ने स्थानीय अदालत द्वारा जारी समन को चुनौती देने वाली गांधी की याचिका पर सुनवाई 20 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी. न्यायमूर्ति बोरकर ने कहा, 'पहले दी गई अंतरिम राहत 25 जनवरी, 2023 तक जारी रहेगी.'

गांधी के वकील सुदीप पासबोला ने अदालत से कहा कि यह एक ऐसा मामला है, जहां एक व्यक्ति प्रधानमंत्री पर की गई, कथित टिप्पणियों से मानहानि होने का दावा कर रहा है. न्यायमूर्ति बोरकर ने कहा कि अदालत मामले की सुनवाई 20 जनवरी को करेगी. स्थानीय अदालत ने खुद को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कार्यकर्ता बताने वाले महेश श्रीश्रीमल नामक व्यक्ति द्वारा दायर मानहानि की शिकायत पर गांधी को पेश होने का निर्देश दिया था.

मामला राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर 2018 में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ गांधी द्वारा कथित तौर पर की गई 'चौकीदार चोर है' टिप्पणी से संबंधित है. गांधी ने बाद में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और स्थानीय अदालत द्वारा जारी किए गए समन को चुनौती दी. उच्च न्यायालय ने नवंबर 2021 में मजिस्ट्रेट को मानहानि की शिकायत पर सुनवाई स्थगित करने का निर्देश दिया था, जिसका मतलब था कि कांग्रेस नेता को मजिस्ट्रेट के सामने पेश होने की आवश्यकता नहीं होगी.

मजिस्ट्रेट ने अगस्त 2019 में गांधी के खिलाफ फौजदारी कार्यवाही शुरू की थी. हालांकि, कांग्रेस नेता ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में दावा किया कि उन्हें इस बारे में जुलाई 2021 में ही पता चला. शिकायतकर्ता का आरोप था कि गांधी ने सितंबर 2018 में राजस्थान में एक रैली की थी, जहां उन्होंने मोदी के खिलाफ मानहानिकारक बयान दिए. शिकायत में कहा गया कि उक्त मानहानिकारक बयान के कारण, मोदी को विभिन्न समाचार चैनलों और सोशल मीडिया मंचों पर 'ट्रोल' किया गया.

इसमें कहा गया कि इसके चार दिन बाद, गांधी ने एक वीडियो पर टिप्पणी की और अपने निजी ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट किया, 'भारत के 'कमांडर-इन-थीफ' के बारे में दुखद सच्चाई.' शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि गांधी 'मोदी के खिलाफ मानहानिकारक बयान दे रहे हैं और उन्हें 'कमांडर इन थीफ' कहकर उन्होंने भाजपा के सभी सदस्यों और मोदी से जुड़े भारतीय नागरिकों के खिलाफ चोरी का सीधा आरोप लगाया है.'

पढ़ें: SC ने ताज महल संबंधी याचिका खारिज करते हुए कहा, हम यहां इतिहास खंगालने के लिए नहीं हैं

अधिवक्ता कुशल मोर के माध्यम से दायर अपनी याचिका में गांधी ने कहा कि संबंधित शिकायत शिकायतकर्ता के अव्यक्त राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के एकमात्र उद्देश्य से प्रेरित तुच्छ मुकदमेबाजी का उदाहरण है. उन्होंने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता के पास शिकायत दर्ज कराने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि मानहानि का मामला केवल उस व्यक्ति द्वारा शुरू किया जा सकता है, जिसकी कथित रूप से मानहानि की गई हो. कांग्रेस नेता ने मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द करने और याचिका पर सुनवाई लंबित रहने तक कार्यवाही पर रोक लगाने का आग्रह किया था.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई: बॉम्बे उच्च न्यायालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कथित टिप्पणी से संबंधित मानहानि के मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को यहां की एक अदालत में पेश होने से मिली राहत की अवधि सोमवार को 25 जनवरी तक बढ़ा दी. न्यायमूर्ति अमित बोरकर की एकल पीठ ने स्थानीय अदालत द्वारा जारी समन को चुनौती देने वाली गांधी की याचिका पर सुनवाई 20 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी. न्यायमूर्ति बोरकर ने कहा, 'पहले दी गई अंतरिम राहत 25 जनवरी, 2023 तक जारी रहेगी.'

गांधी के वकील सुदीप पासबोला ने अदालत से कहा कि यह एक ऐसा मामला है, जहां एक व्यक्ति प्रधानमंत्री पर की गई, कथित टिप्पणियों से मानहानि होने का दावा कर रहा है. न्यायमूर्ति बोरकर ने कहा कि अदालत मामले की सुनवाई 20 जनवरी को करेगी. स्थानीय अदालत ने खुद को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कार्यकर्ता बताने वाले महेश श्रीश्रीमल नामक व्यक्ति द्वारा दायर मानहानि की शिकायत पर गांधी को पेश होने का निर्देश दिया था.

मामला राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर 2018 में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ गांधी द्वारा कथित तौर पर की गई 'चौकीदार चोर है' टिप्पणी से संबंधित है. गांधी ने बाद में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और स्थानीय अदालत द्वारा जारी किए गए समन को चुनौती दी. उच्च न्यायालय ने नवंबर 2021 में मजिस्ट्रेट को मानहानि की शिकायत पर सुनवाई स्थगित करने का निर्देश दिया था, जिसका मतलब था कि कांग्रेस नेता को मजिस्ट्रेट के सामने पेश होने की आवश्यकता नहीं होगी.

मजिस्ट्रेट ने अगस्त 2019 में गांधी के खिलाफ फौजदारी कार्यवाही शुरू की थी. हालांकि, कांग्रेस नेता ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में दावा किया कि उन्हें इस बारे में जुलाई 2021 में ही पता चला. शिकायतकर्ता का आरोप था कि गांधी ने सितंबर 2018 में राजस्थान में एक रैली की थी, जहां उन्होंने मोदी के खिलाफ मानहानिकारक बयान दिए. शिकायत में कहा गया कि उक्त मानहानिकारक बयान के कारण, मोदी को विभिन्न समाचार चैनलों और सोशल मीडिया मंचों पर 'ट्रोल' किया गया.

इसमें कहा गया कि इसके चार दिन बाद, गांधी ने एक वीडियो पर टिप्पणी की और अपने निजी ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट किया, 'भारत के 'कमांडर-इन-थीफ' के बारे में दुखद सच्चाई.' शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि गांधी 'मोदी के खिलाफ मानहानिकारक बयान दे रहे हैं और उन्हें 'कमांडर इन थीफ' कहकर उन्होंने भाजपा के सभी सदस्यों और मोदी से जुड़े भारतीय नागरिकों के खिलाफ चोरी का सीधा आरोप लगाया है.'

पढ़ें: SC ने ताज महल संबंधी याचिका खारिज करते हुए कहा, हम यहां इतिहास खंगालने के लिए नहीं हैं

अधिवक्ता कुशल मोर के माध्यम से दायर अपनी याचिका में गांधी ने कहा कि संबंधित शिकायत शिकायतकर्ता के अव्यक्त राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के एकमात्र उद्देश्य से प्रेरित तुच्छ मुकदमेबाजी का उदाहरण है. उन्होंने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता के पास शिकायत दर्ज कराने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि मानहानि का मामला केवल उस व्यक्ति द्वारा शुरू किया जा सकता है, जिसकी कथित रूप से मानहानि की गई हो. कांग्रेस नेता ने मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द करने और याचिका पर सुनवाई लंबित रहने तक कार्यवाही पर रोक लगाने का आग्रह किया था.

(पीटीआई-भाषा)

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