देहरादून: भारत की पुरुष बैडमिंटन टीम ने रविवार को फाइनल मुकाबले में 14 बार के चैंपियन इंडोनेशिया को 3-0 से हराकर इतिहास रच दिया. भारतीय टीम ने पहली बार फाइनल जीतकर थॉमस कप 2022 (Thomas Cup 2022) में गोल्ड मेडल अपने नाम किया है. टीम का हिस्सा उत्तराखंड के लक्ष्य सेन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शाबाशी दी है. पीएम मोदी ने फोन पर लक्ष्य सेन के दादा और पिता का भी जिक्र किया, तो लक्ष्य की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.
अरे भाई बाल मिठाई खिलानी पड़ेगी: इंडोनेशिया पर फतह के बाद लक्ष्य सेन को हर जगह से बधाई संदेश मिल रहे हैं. उत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद के लक्ष्य सेन को सबसे बड़ी खुशी तब मिली जब प्रधानमंत्री ने उनकी टीम और उनसे बात की. प्रधानमंत्री ने रविवार शाम को उनसे फोन पर बात करते हुए कहा तुम्हारी तीनों पीढ़ियां बैडमिंटन खेल रहीं हैं. ऐसे में भाई तुम्हें बाल मिठाई (uttarakhand Bal Mithai) खिलानी पड़ेगी.
सीएम धामी ने भी दी बधाई: वहीं सीएम पुष्कर धामी ने लक्ष्य सेन की ऐतिहासिक उपलब्धि पर बधाई देते हुए कहा कि लक्ष्य सेन के रहते भारत की टीम ने थॉमस कप जीता है, यह उत्तराखंड के लिए गौरव की बात है. लक्ष्य सेन का उनकी सरकार की तरफ से पहले भी प्रोत्साहन करने का काम किया गया. हमारी खेल नीति में ऐसे खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. लक्ष्य सेन को पूरे उत्तराखंड की तरफ से बधाइयां.
भारत की ऐतिहासिक जीत: भारत की तरफ से लक्ष्य सेन ने इंडोनेशिया के एंथनी गिनटिंग को 21-8 17-21 16-21 से हराकर टीम को 1-0 की अहम बढ़त दिलाई. इसके बाद डबल्स में भारत की सात्विक और चिराग की जोड़ी ने धमाकेदार खेल दिखाते हुए 18-21, 23-21, 21-19 से जीत हासिल कर टीम को 2-0 की बढ़त दिलाई. फिर तीसरे मैच में के श्रीकांत ने जोनाथन को सीधे गेम में 21-15, 23-21 से हराकर टीम को 3-0 की बढ़त दिलाते हुए ऐतिहासिक जीत दिला दी.
कौन हैं लक्ष्य सेन: उत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद में 16 अगस्त, 2001 को पैदा होने वाले लक्ष्य सेन अब तक स्पेन में हुए वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रांज मेडल जीत चुके हैं. तो वहीं, जर्मन ओपन में सिल्वर मेडल, आल इंग्लैंड टूर्नामेंट में सिल्वर, दिल्ली में हुए इंडिया ओपन में गोल्ड मेडल और थॉमस कप में टीम को गोल्ड मेडल मिला है.
10 वर्ष की उम्र में जीता पहला अंतरराष्ट्रीय खिताब: लक्ष्य सेन ने चार साल की उम्र से खेलना शुरू कर दिया था. लक्ष्य की 10वीं तक की पढ़ाई अल्मोड़ा के बीयरशिवा स्कूल (Bearsheba Schoo) में ही हुई. लक्ष्य सेन के दादा सीएल सेन को अल्मोड़ा में बैडमिंटन का पितामह कहा जाता है. लक्ष्य के पिता डीके सेन बैडमिंटन के नामी कोच हैं और वर्तमान में प्रकाश पादुकोण अकादमी से जुड़े हैं. लक्ष्य सेन ने 10 वर्ष की उम्र में पहला अंतरराष्ट्रीय खिताब जीता था, तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
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बाल मिठाई की खासियत: बाल मिठाई की नगरी और अल्मोड़ा दोनों शब्द एक दूसरे के पूरक कहे जा सकते हैं. इस मिठाई की डिमांड विदेशों में बसे भारतीय करते रहते हैं. बाहर से आने वाले पर्यटक वापस लौटते समय अल्मोड़ा की बाल मिठाई ले जाना नहीं भूलते हैं. शुद्ध खोये से बनी इस मिठाई की एक खासियत यह है कि यह मिठाई जल्द खराब नहीं होती है.
ऐसे तैयार होती है बाल मिठाई: मिठाई बनाने के लिए खोया, चीनी, खसखस और पानी की आवश्यकता होती है. खोया जिसे मावा भी कहा जाता है, उसे एक कड़ाई में डाल कर खूब पकाया जाता है. फिर उसमें चीनी मिलाई जाती है. जब तक मावे का रंग भूरा नहीं हो जाता तब तक इसे पकाया जाता है. फिर उसे ट्रे में ठंडा होने तक रखा जाता है. ठंडा होने के बाद उसे चाकू की मदद से काट कर छोटे-छोटे पीस बना दिए जातें है. फिर चीनी की चासनी में पीस बनाकर छाना जाता है. उसके बाद उसको एक बर्तन में ठण्डा करके आयताकार टुकड़ों में काटा जाता है. फिर पोस्त यानि खसखस और चीनी को मिलाकर छोटे छोटे बाल दाने तैयार किए जाते हैं.