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Delhi HC में शौचालय के संबंध में पीआईएल दाखिल, जानें क्या है मामला

किन्नरों के लिए शौचालय संंबंधी सुविधा को लेकर दिल्ल हाई कोर्ट (Delhi High Court) में एक जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका कानून की अंतिम वर्ष की छात्रा जसमीन कौर छाबड़ा की तरफ से दायर की गई है.

Delhi HC, Transgender
दिल्ल हाई कोर्ट
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Published : Jul 26, 2021, 2:40 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) में सोमवार को जनहित याचिका दायर कर किन्नरों के लिए अलग शौचालय बनाने का निर्देश अधिकारियों को देने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि उनके लिए अलग शौचालय आवश्यक हैं ताकि वे यौन हमले एवं उत्पीड़न का शिकार (Sexual Assault & Harassment) नहीं बनें.

मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने याचिका पर आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय, दिल्ली सरकार, नयी दिल्ली नगरपालिका परिषद्, पूर्वी दिल्ली नगर निगम, दक्षिण और उत्तरी दिल्ली नगर निगम को नोटिस जारी किये हैं. इन सभी को 13 सितंबर से पहले नोटिस के जवाब देने का निर्देश दिया गया है.

पढ़ें: ED बताए गिरफ्तारी के आधार की सूचना कैसे दी जाती है : हाईकोर्ट

याचिका में कहा गया है कि लैंगिक आधार (Gender Equality) पर शौचालय नहीं होना उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के खिलाफ है. प्राधिकरणों के वकील ने निर्देश हासिल करने और जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा जिसके बाद अदालत ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख 13 सितंबर तय की.

कानून की अंतिम वर्ष की छात्रा जसमीन कौर छाबड़ा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने धन जारी कर दिया है लेकिन दिल्ली में किन्नरों या तृतीय लिंगी समुदाय के लिए अलग शौचालय नहीं बनाए गए हैं. इसमें बताया गया है कि मैसूर, भोपाल और लुधियाना में उनके लिए अलग शौचालय पहले ही बनाए जा चुके हैं लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में अभी तक इस दिशा में पहल नहीं की गई है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) में सोमवार को जनहित याचिका दायर कर किन्नरों के लिए अलग शौचालय बनाने का निर्देश अधिकारियों को देने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि उनके लिए अलग शौचालय आवश्यक हैं ताकि वे यौन हमले एवं उत्पीड़न का शिकार (Sexual Assault & Harassment) नहीं बनें.

मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने याचिका पर आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय, दिल्ली सरकार, नयी दिल्ली नगरपालिका परिषद्, पूर्वी दिल्ली नगर निगम, दक्षिण और उत्तरी दिल्ली नगर निगम को नोटिस जारी किये हैं. इन सभी को 13 सितंबर से पहले नोटिस के जवाब देने का निर्देश दिया गया है.

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याचिका में कहा गया है कि लैंगिक आधार (Gender Equality) पर शौचालय नहीं होना उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के खिलाफ है. प्राधिकरणों के वकील ने निर्देश हासिल करने और जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा जिसके बाद अदालत ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख 13 सितंबर तय की.

कानून की अंतिम वर्ष की छात्रा जसमीन कौर छाबड़ा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने धन जारी कर दिया है लेकिन दिल्ली में किन्नरों या तृतीय लिंगी समुदाय के लिए अलग शौचालय नहीं बनाए गए हैं. इसमें बताया गया है कि मैसूर, भोपाल और लुधियाना में उनके लिए अलग शौचालय पहले ही बनाए जा चुके हैं लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में अभी तक इस दिशा में पहल नहीं की गई है.

(पीटीआई-भाषा)

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