लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने श्री रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट द्वारा अयोध्या में जमीन खरीदने में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए जांच कराए जाने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की है कि उक्त याचिका दाखिल करने के पीछे अच्छी नियत नहीं है.
यह आदेश न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने अयोध्या निवासी दुर्गा प्रसाद यादव की याचिका पर पारित किया. याचिका में अयोध्या के पूर्व कमिश्नर एमपी अग्रवाल, पूर्व डीआईजी दीपक कुमार, पूर्व जिलाधिकारी अनुज कुमार झा, पूर्व एडीएम गोरेलाल शुक्ला, पूर्व एसडीएम अर्पित गुप्ता इत्या दि अधिकारियों को भी विपक्षी पक्षकार बनाया गया था. याचिका में आरोप लगाया गया था कि महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट और श्री रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा जिन लोगों से अयोध्या में जमीनें खरीदी गईं, उन लोगों ने वास्तविक खाताधारकों से जमीन खरीद कर उक्त दोनों ट्रस्ट को बेंचा और इस प्रक्रिया में काफी अनियमितताएं कारित की गईं. याचिका में दोनों ट्रस्टों समेत अयोध्या जिले में तैनात तत्कालीन बड़े अधिकारियों के खिलाफ जांच की मांग की गई थी. कहा गया कि मंदिर निर्माण के लिए जमीन लेने के नाम पर उक्त ट्रस्टों और विपक्षी पक्षकारों ने खूब पैसा कमाया. याचिका का राज्य सरकार की ओर से विरोध किया गया.
न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस और सरकार की ओर से पेश किए गए दस्तावेजों पर गौर करते हुए अपने आदेश में कहा कि याची की जमीन एयरपोर्ट विस्तार के लिए ली गई थी. सम्भव है कि इससे याची नाराज हो. न्यायालय ने यह भी पाया कि याची के एक पड़ोसी बंशीलाल यादव ने याची के खिलाफ आपराधिक मुकदमा भी दर्ज कराया है, जिसमें आरोप है कि एयरपोर्ट के लिए जमीन देने की सहमति देने पर उसने पड़ोसी की दीवार तोड़ने के साथ-साथ उसे गाली-गलौज और धमकी दी थी. न्यायालय ने कहा कि याचिका में उठाए गए मामले में राज्य सरकार पहले से एक जांच कमेटी से जांच करा रही है.
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