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ICMR अध्ययन, कोविशील्ड की पूर्ण खुराक के 31 दिन बाद भी लोग हुए कोरोना संक्रमित - आईसीएमआर के प्रवक्ता डॉ लोकेश

कोविशील्ड टीके की दूसरी खुराक लगाने के बाद भी लोग कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं. यह बात आईसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी द्वारा किए गए अध्ययन में सामने आई. पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट

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Published : Aug 26, 2022, 8:54 PM IST

नई दिल्ली: इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV, पुणे) द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि कोविशील्ड टीकाकरण की दूसरी खुराक के 31 दिनों के बाद लोग कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं. यह अध्ययन कोरोना महामारी की तीसरी लहर के दौरान किया गया था. इस संबंध में आईसीएमआर के प्रवक्ता डॉ. लोकेश ने शुक्रवार को ईटीवी भारत से कहा, 'हां, महामारी की तीसरी लहर के दौरान पुन: संक्रमण की अवधि का पता लगाने के लिए आईसीएमआर-एनआईवी, पुणे द्वारा अध्ययन किया गया था.' इसमें चार कोविड-19 व्यक्तियों को कोविशील्ड वैक्सीन (ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका फॉर्मूलेशन) की दो खुराक के साथ चार सप्ताह के अंतराल पर अध्ययन किया गया.

वहीं अध्ययन के निष्कर्षों में कहा गया है, 'सार्स-कोव-2 के संक्रमण की वास्तविक पुष्टि आरटी पीसीआर के साथ गले और नाक के स्वाब की जांच से हुई. इसमें संक्रमण कोविशील्ड टीकाकरण की दूसरी खुराक के 31 दिनों के बाद हुआ.' साथ ही पूर्ण जीनोम सीक्वेंसिंग ने कप्पा और डेल्टा वेरिएंट के साथ पुन: संक्रमण का खुलासा किया. इस दौरान निष्कर्षों में कहा गया है कि संक्रमण के दो मामलों में एक कप्पा और एक डेल्टा वेरिएंट का देखा गया. इसमें बुखार, गले में खराश, खांसी, सिरदर्द, कमजोरी, भूख न लगना के अलावा गंध और स्वाद के सही नहीं मिलने का पता चला. इसके अलावा चार मामले ऐसे थे जिसमें 275 दिनों के बाद सार्स-कोव-2 बीए.2 के उप वेरिएंट के बाद फिर से संक्रमित हो गए.

अध्ययन में कहा गया है कि फिर से संक्रमण के मामलों में एक रोगी स्पर्शोन्मुख (Asymptomatic patients) था, जबकि तीन अन्य रोगियों को हल्का बुखार, सर्दी, खांसी और गले में खराश थी. इसी प्रकार ओमीक्रोन के फिर से संक्रमण के मामलों में कई तरह के म्यूटेशन सामने आए जिसमें K417N, S477N, T478K, E484A, Q493R, Q498R, N501Y, Y505H आदि शामिल हैं. इसमें सफलता के आठ महीने बाद एकत्र किए गए एस-1 आरबीडी आईजीबी एंटीबॉडी के लिए 303.6 के ज्यामितीय माध्य अनुमापांक (जीएमटी) की तुलना में देखा गया कि प्री रीइन्फेक्शन अवधि में प्रतिरक्षा को कम करने का सुझाव देता है.

हालांकि इस एनएबी के अनुपालन में इसे बी.1, डेल्टा और बीए.1 के खिलाफ देखा गया. बूस्टर टीकाकरण खुराक की आवश्यकता पर जोर देते हुए, अध्ययन में कहा गया है कि टीकाकरण की पूरी खुराक के बाद संक्रमण के बाद प्रतिरक्षा की कम प्रतिक्रिया देखी गई है. अध्ययन में कहा है कि टीकाकरण या संक्रमण के साथ प्रतिरक्षा स्थिति के बावजूद दुनिया भर में कई सफलताएं और पुन: संक्रमण देखे गए हैं. वहीं बूस्टर खुराक टीकाकरण के साथ इसे ध्यान में रखते हुए मास्क का उपयोग, हाथ की स्वच्छता और शारीरिक दूरी को जारी रखना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए अच्छी रणनीति होगी.

ये भी पढ़ें - देश में कोरोना मामले फिर बढ़े, पिछले 24 घंटों में 10 हजार से ज्यादा नए केस

नई दिल्ली: इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV, पुणे) द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि कोविशील्ड टीकाकरण की दूसरी खुराक के 31 दिनों के बाद लोग कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं. यह अध्ययन कोरोना महामारी की तीसरी लहर के दौरान किया गया था. इस संबंध में आईसीएमआर के प्रवक्ता डॉ. लोकेश ने शुक्रवार को ईटीवी भारत से कहा, 'हां, महामारी की तीसरी लहर के दौरान पुन: संक्रमण की अवधि का पता लगाने के लिए आईसीएमआर-एनआईवी, पुणे द्वारा अध्ययन किया गया था.' इसमें चार कोविड-19 व्यक्तियों को कोविशील्ड वैक्सीन (ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका फॉर्मूलेशन) की दो खुराक के साथ चार सप्ताह के अंतराल पर अध्ययन किया गया.

वहीं अध्ययन के निष्कर्षों में कहा गया है, 'सार्स-कोव-2 के संक्रमण की वास्तविक पुष्टि आरटी पीसीआर के साथ गले और नाक के स्वाब की जांच से हुई. इसमें संक्रमण कोविशील्ड टीकाकरण की दूसरी खुराक के 31 दिनों के बाद हुआ.' साथ ही पूर्ण जीनोम सीक्वेंसिंग ने कप्पा और डेल्टा वेरिएंट के साथ पुन: संक्रमण का खुलासा किया. इस दौरान निष्कर्षों में कहा गया है कि संक्रमण के दो मामलों में एक कप्पा और एक डेल्टा वेरिएंट का देखा गया. इसमें बुखार, गले में खराश, खांसी, सिरदर्द, कमजोरी, भूख न लगना के अलावा गंध और स्वाद के सही नहीं मिलने का पता चला. इसके अलावा चार मामले ऐसे थे जिसमें 275 दिनों के बाद सार्स-कोव-2 बीए.2 के उप वेरिएंट के बाद फिर से संक्रमित हो गए.

अध्ययन में कहा गया है कि फिर से संक्रमण के मामलों में एक रोगी स्पर्शोन्मुख (Asymptomatic patients) था, जबकि तीन अन्य रोगियों को हल्का बुखार, सर्दी, खांसी और गले में खराश थी. इसी प्रकार ओमीक्रोन के फिर से संक्रमण के मामलों में कई तरह के म्यूटेशन सामने आए जिसमें K417N, S477N, T478K, E484A, Q493R, Q498R, N501Y, Y505H आदि शामिल हैं. इसमें सफलता के आठ महीने बाद एकत्र किए गए एस-1 आरबीडी आईजीबी एंटीबॉडी के लिए 303.6 के ज्यामितीय माध्य अनुमापांक (जीएमटी) की तुलना में देखा गया कि प्री रीइन्फेक्शन अवधि में प्रतिरक्षा को कम करने का सुझाव देता है.

हालांकि इस एनएबी के अनुपालन में इसे बी.1, डेल्टा और बीए.1 के खिलाफ देखा गया. बूस्टर टीकाकरण खुराक की आवश्यकता पर जोर देते हुए, अध्ययन में कहा गया है कि टीकाकरण की पूरी खुराक के बाद संक्रमण के बाद प्रतिरक्षा की कम प्रतिक्रिया देखी गई है. अध्ययन में कहा है कि टीकाकरण या संक्रमण के साथ प्रतिरक्षा स्थिति के बावजूद दुनिया भर में कई सफलताएं और पुन: संक्रमण देखे गए हैं. वहीं बूस्टर खुराक टीकाकरण के साथ इसे ध्यान में रखते हुए मास्क का उपयोग, हाथ की स्वच्छता और शारीरिक दूरी को जारी रखना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए अच्छी रणनीति होगी.

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