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बिहार में रैली से पहले बोले ओमप्रकाश राजभर- 'नीतीश की खाल उधेड़ने वाले बयान पर कायम हूं'

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (Suheldev Bharatiya Samaj Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर पटना के गांधी मैदान में बड़ी रैली करने जा रहे हैं. इस दौरान उन्होंने जातीय जनगणना को लेकर सीएम नीतीश पर दिए बयान पर कायम रहने की बात कही. उन्होंने और भी दूसरे मुद्दों पर अपनी बात ईटीवी भारत के साथ की. पढ़ें Om Prakash Rajbhar Latest News-

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Published : Oct 27, 2022, 2:25 PM IST

पटना: बिहार में जातीय जनगणना (Caste Census In Bihar) के मुद्दे पर सीएम नीतीश कुमार के खाल उधेड़ देने की बात पर मैं आज भी कायम हूं. यह कहना है उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और वर्तमान में विधायक तथा सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर का. राजधानी पटना में गुरुवार को अपनी रैली करने आए ओमप्रकाश राजभर ने तमाम मुद्दों पर ईटीवी भारत के साथ इंटरव्य में खास बातचीत की. गौरतलब है कि आज पटना के गांधी मैदान में ओमप्रकाश राजभर सावधान रैली निकाल रहे हैं.

ये भी पढ़ें- ओम प्रकाश राजभर के बिगड़े बोल, कहा- 'नीतीश कुमार जातिगत जनगणना कराए नहीं तो खाल उधेड़ दूंगा'


सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की पटना में रैली: ओम प्रकाश राजभर से यह पूछे जाने पर कि राजधानी पटना में सुभासपा की रैली करने के लिए आपका राजनीतिक उद्देश्य क्या है? तो इस सवाल के जवाब में उन्होंंने कहा कि- सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की स्थापना दिवस को एक बार यूपी में मनाते हैं और एक बार बिहार में मनाते हैं. पिछली बार स्थापना दिवस को हमने यूपी में मनाया था. इस बार बिहार के लोगों की ख्वाहिश थी कि बिहार में स्थापना दिवस मनाया जाए. इस बार चर्चा का कारण यह है कि पटना के गांधी मैदान में एक छोटी पार्टी रैली करने का इतना बड़ा साहस कर रही है. हमारा मुद्दा जातीय जनगणना से लेकर फ्री शिक्षा, गरीबों का इलाज फ्री, घरेलू बिजली का बिल माफ करने के संबंध में है. यह चीज जब हम जनता के बीच में लेकर जा रहे हैं तो जनता हमारा स्वागत कर रही है.

बिहार में ओमप्रकाश राजभर : ओमप्रकाश राजभर का यह भी कहना था कि इस रैली की तैयारी को लेकर हमने बिहार में 13 सभाएं की. मैं कटिहार गया तो वहां 5- 6 हजार लोगों ने शिरकत की. मधेपुरा में भी दस हजार के करीब लोग जुटे. पश्चिमी चंपारण, सिवान, नालंदा, कैमूर, बक्सर जहां भी मैं गया, लोगों ने स्वागत किया. इन मुद्दों को लेकर के एक अपार जनसमर्थन हमें मिला. कपड़ा, मकान, शिक्षा और दवाई यही चीज हमें चाहिए. इन चीजों पर अगर कोई ललकार रहा है तो ओमप्रकाश राजभर और प्रेमचंद प्रजापति ललकार रहे हैं.

''1931 में पहली जातीय जनगणना (First Caste Census In India) हुई थी. उसके बाद फिर जातियों की गिनती नहीं हुई. जातीय जनगणना जब तक नहीं होगी, वंचित समाज को तब तक हिस्सा नहीं मिलेगा. जब गिनती ही नहीं है तो हिस्सा कैसे मिलेगा. एक समान अनिवार्य फ्री शिक्षा यह बड़ा मुद्दा है. गरीबों का इलाज फ्री यह भी बड़ा मुद्दा है. रोजगारपरक शिक्षा यह भी बड़ा मुद्दा है. घरेलू बिजली बिल माफ करना बड़ा मुद्दा है. पत्रकार आयोग का गठन, फोटोग्राफर बीमा योजनाएं यह हमारे लिए बड़े मुद्दे हैं. यह आपके हमारे और जनता के हित के लिए हैं इन चीजों को लागू करना हमारा मकसद है''- ओमप्रकाश राजभर, राष्ट्रीय अध्यक्ष, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी



'कुछ जातियां वोट देने की मशीन नहीं': इस सवाल पर कि विधानसभा चुनाव में आपने गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा था, उसमें कहां चूक हुई थी. जिसके कारण उम्मीद के अनुरूप सफलता नहीं मिली थी उसे आप कैसे मजबूत करेंगे? इस पर ओमप्रकाश राजभर का कहना था कि संगठन का कमजोर होना. हम जब चुनाव लड़ते हैं तो लोकसभा में हमें 40-45 से लेकर 65000 तक वोट मिलते हैं. हम 16, अट्ठारह, उन्नीस लोकसभा सीट पर चुनाव लड़े. अब धीरे-धीरे संगठन का विस्तार होता चला गया है. हमने कटिहार, मधेपुरा, सुपौल में मीटिंग की. हमने 13 जगहों पर मीटिंग की और जो संदेश हमें प्राप्त हुआ. आज अगर हम राजबंशी या राजभर की बात करें तो वोट तो चाहिए. राजभर, पाल, प्रजापति समेत तमाम लोगों का वोट तो चाहिए लेकिन इनके विषय में क्यों नहीं सोचा जाता. इन के दरवाजे तक शिक्षा, नौकरी, रोजगार कैसे पहुंचे? इस विषय में देश के नेता क्यों नहीं सोचते. देश में 67 जातियों के अलावा और किसी की गिनती नहीं होती. राजनीति में जो जीत गया वह सिकंदर और जिसको टिकट नहीं मिलेगा वह जीत गया और हार गया.

''75 साल की आजादी में 71 साल से वोट पड़ रहा है. सभी पार्टियों को राजवंशी राजभर का वोट चाहिए. लेकिन एक भी राजभर विधायक नहीं है. कई जातियां हैं जिनके विधायक नहीं हैं. इनको केवल वोट देने का मशीन समझा जा रहा है. हम समझा रहे हैं कि आप वोट देने की मशीन नहीं है. बाबा साहब ने जो मत देने का पावर दिया था, इसी मत से सब कुछ हासिल कर सकते हो. राजनीति के साथ शिक्षा भी हासिल कर सकते हो. आप अपने पावर को समझो अपने पावर को इकट्ठा करो. अब वह लोग पावर इकट्ठा करने के मूड में हो गए हैं''- ओमप्रकाश राजभर, राष्ट्रीय अध्यक्ष, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी


'राजनीति में न कोई दोस्त ना दुश्मन': राष्ट्रपति के चुनाव में एनडीए उम्मीदवार को आपने सपोर्ट किया था, भविष्य में क्या बीजेपी के साथ आप की जुगलबंदी हो सकती है? यह पूछे जाने पर ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि राजनीति में न कोई किसी का दुश्मन होता है और न ही दोस्त. अगर बिहार की बात करें तो नीतीश जी ने कहा था कि राजनीति से संन्यास ले लूंगा लेकिन बीजेपी के साथ नहीं जाऊंगा. बीजेपी को बड़का झूठा पार्टी बताते थे. बाद में गठबंधन की सरकार बना लिए. आरजेडी के विषय में उन्होंने कहा था कि घर बैठ जाऊंगा लेकिन समझौता नहीं करूंगा, लेकिन वो फिर साथ आकर सरकार बना लिए. कश्मीर की बात करें तो महबूबा मुफ्ती और बीजेपी का समझौता हो गया. सपा और बसपा का यूपी में कोई उम्मीद नहीं किया था लेकिन 2019 में दोनों साथ आ गए. राजनीति में कहा नहीं जा सकता है कि कब कौन किसका दोस्त हो जाए और कब कौन किसका दुश्मन.

पहले ये तय हो कौन होगा प्रधानमंत्री का उम्मीदवार: यह पूछे जाने पर कि आपने द्रौपदी मुर्मू का तो राष्ट्रपति के लिए समर्थन कर दिया था, तो क्या नीतीश को प्रधानमंत्री कैंडिडेट के लिए समर्थन करेंगे? इस पर ओमप्रकाश राजभर का कहना था, प्रधानमंत्री बनने का सपना हर नेता सोचता है. हर नेता का सपना होता है. अब उस सपने को साकार करने के लिए कितनी मेहनत, ताकत और गोलबंदी है, उस नेता के ऊपर निर्भर करता है. नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री है. 50 दलों का गठबंधन है. पूरे देश में गठबंधन का दौर में चल रहा है. पहले तो यह तय करें कि पीएम कौन बनेगा? ममता बनर्जी अलग कह रही हैं, अरविंद केजरीवाल अलग कर रहे हैं, शरद पवार अलग कह रहे हैं, अखिलेश अलग कह रहे हैं. पहले तो यह लोग तय कर लें कि पीएम आखिर बनेगा कौन?


नीतीश की खाल उधेड़ लेने वाले बयान पर अब भी कायम: यह पूछे जाने पर कि आपने कहा था कि अगर जाति की जनगणना नहीं होगी तो नीतीश कुमार की खाल उधेड़ लेंगे क्या आप उस बयान पर आज भी कायम है? इस पर ओमप्रकाश राजभर का कहना था कि, भोजपुरी मुझे भी काफी प्रिय है. लेकिन उसके साथ प्रदेश हिंदी भाषा को भी पसंद करता है. हमारे यहां जब कोई काम नहीं करता है या फिर कभी कभी झगड़े होते हैं तो कहते हैं हम तुम्हारी खाल उधेड़ लेंगे. कोई गुस्सा आता है तो कहता है हम तुम्हारी बखिया उधेड़ लेंगे. यह हमारे यूपी की भाषा है. पश्चिमी यूपी की भाषा को अगर यहां बोल देंगे तो लाठी लेकर मारने लगेंगे. कोस कोस पर पानी बदले 4 कोस पर वाणी. हम बोलकर पीछे हटने वाले नेता नहीं है बयान पर कायम हैं. बता दें कि इससे पहले उन्होंने कहा था कि-

''हम क्या चहते हैं, जातियों की गिनती, जातिवाद जनगणना. जा रहा हूं 27 तारीख को गरम करने. नीतीश जी प्रेसवार्ता करके बोले हैं ना जातिवाद जनगणना कराएंगे. कल तो भाजपा के साथ थे तो रोक रहे थे. अब तो आरजेडी के साथ आ गए हो. अब तो नहीं ना रोक रहे हैं. दोनों लोग चिल्ला रहे थे तो देरी किस बात की. विलंब का कारण बताया जाए. नहीं तो ओम प्रकाश राजभर 27 तारीख को तेरी खाल उधेर दूंगा सदन के अंदर देख लेना. तूने कहा है तो उसे करो नहीं करना है तो जवाब दो. पटना गांधी मैदान में जवाब दूंगा.''- ओम प्रकाश राजभर, राष्ट्रीय अध्यक्ष, सुभासपा

पटना: बिहार में जातीय जनगणना (Caste Census In Bihar) के मुद्दे पर सीएम नीतीश कुमार के खाल उधेड़ देने की बात पर मैं आज भी कायम हूं. यह कहना है उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और वर्तमान में विधायक तथा सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर का. राजधानी पटना में गुरुवार को अपनी रैली करने आए ओमप्रकाश राजभर ने तमाम मुद्दों पर ईटीवी भारत के साथ इंटरव्य में खास बातचीत की. गौरतलब है कि आज पटना के गांधी मैदान में ओमप्रकाश राजभर सावधान रैली निकाल रहे हैं.

ये भी पढ़ें- ओम प्रकाश राजभर के बिगड़े बोल, कहा- 'नीतीश कुमार जातिगत जनगणना कराए नहीं तो खाल उधेड़ दूंगा'


सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की पटना में रैली: ओम प्रकाश राजभर से यह पूछे जाने पर कि राजधानी पटना में सुभासपा की रैली करने के लिए आपका राजनीतिक उद्देश्य क्या है? तो इस सवाल के जवाब में उन्होंंने कहा कि- सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की स्थापना दिवस को एक बार यूपी में मनाते हैं और एक बार बिहार में मनाते हैं. पिछली बार स्थापना दिवस को हमने यूपी में मनाया था. इस बार बिहार के लोगों की ख्वाहिश थी कि बिहार में स्थापना दिवस मनाया जाए. इस बार चर्चा का कारण यह है कि पटना के गांधी मैदान में एक छोटी पार्टी रैली करने का इतना बड़ा साहस कर रही है. हमारा मुद्दा जातीय जनगणना से लेकर फ्री शिक्षा, गरीबों का इलाज फ्री, घरेलू बिजली का बिल माफ करने के संबंध में है. यह चीज जब हम जनता के बीच में लेकर जा रहे हैं तो जनता हमारा स्वागत कर रही है.

बिहार में ओमप्रकाश राजभर : ओमप्रकाश राजभर का यह भी कहना था कि इस रैली की तैयारी को लेकर हमने बिहार में 13 सभाएं की. मैं कटिहार गया तो वहां 5- 6 हजार लोगों ने शिरकत की. मधेपुरा में भी दस हजार के करीब लोग जुटे. पश्चिमी चंपारण, सिवान, नालंदा, कैमूर, बक्सर जहां भी मैं गया, लोगों ने स्वागत किया. इन मुद्दों को लेकर के एक अपार जनसमर्थन हमें मिला. कपड़ा, मकान, शिक्षा और दवाई यही चीज हमें चाहिए. इन चीजों पर अगर कोई ललकार रहा है तो ओमप्रकाश राजभर और प्रेमचंद प्रजापति ललकार रहे हैं.

''1931 में पहली जातीय जनगणना (First Caste Census In India) हुई थी. उसके बाद फिर जातियों की गिनती नहीं हुई. जातीय जनगणना जब तक नहीं होगी, वंचित समाज को तब तक हिस्सा नहीं मिलेगा. जब गिनती ही नहीं है तो हिस्सा कैसे मिलेगा. एक समान अनिवार्य फ्री शिक्षा यह बड़ा मुद्दा है. गरीबों का इलाज फ्री यह भी बड़ा मुद्दा है. रोजगारपरक शिक्षा यह भी बड़ा मुद्दा है. घरेलू बिजली बिल माफ करना बड़ा मुद्दा है. पत्रकार आयोग का गठन, फोटोग्राफर बीमा योजनाएं यह हमारे लिए बड़े मुद्दे हैं. यह आपके हमारे और जनता के हित के लिए हैं इन चीजों को लागू करना हमारा मकसद है''- ओमप्रकाश राजभर, राष्ट्रीय अध्यक्ष, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी



'कुछ जातियां वोट देने की मशीन नहीं': इस सवाल पर कि विधानसभा चुनाव में आपने गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा था, उसमें कहां चूक हुई थी. जिसके कारण उम्मीद के अनुरूप सफलता नहीं मिली थी उसे आप कैसे मजबूत करेंगे? इस पर ओमप्रकाश राजभर का कहना था कि संगठन का कमजोर होना. हम जब चुनाव लड़ते हैं तो लोकसभा में हमें 40-45 से लेकर 65000 तक वोट मिलते हैं. हम 16, अट्ठारह, उन्नीस लोकसभा सीट पर चुनाव लड़े. अब धीरे-धीरे संगठन का विस्तार होता चला गया है. हमने कटिहार, मधेपुरा, सुपौल में मीटिंग की. हमने 13 जगहों पर मीटिंग की और जो संदेश हमें प्राप्त हुआ. आज अगर हम राजबंशी या राजभर की बात करें तो वोट तो चाहिए. राजभर, पाल, प्रजापति समेत तमाम लोगों का वोट तो चाहिए लेकिन इनके विषय में क्यों नहीं सोचा जाता. इन के दरवाजे तक शिक्षा, नौकरी, रोजगार कैसे पहुंचे? इस विषय में देश के नेता क्यों नहीं सोचते. देश में 67 जातियों के अलावा और किसी की गिनती नहीं होती. राजनीति में जो जीत गया वह सिकंदर और जिसको टिकट नहीं मिलेगा वह जीत गया और हार गया.

''75 साल की आजादी में 71 साल से वोट पड़ रहा है. सभी पार्टियों को राजवंशी राजभर का वोट चाहिए. लेकिन एक भी राजभर विधायक नहीं है. कई जातियां हैं जिनके विधायक नहीं हैं. इनको केवल वोट देने का मशीन समझा जा रहा है. हम समझा रहे हैं कि आप वोट देने की मशीन नहीं है. बाबा साहब ने जो मत देने का पावर दिया था, इसी मत से सब कुछ हासिल कर सकते हो. राजनीति के साथ शिक्षा भी हासिल कर सकते हो. आप अपने पावर को समझो अपने पावर को इकट्ठा करो. अब वह लोग पावर इकट्ठा करने के मूड में हो गए हैं''- ओमप्रकाश राजभर, राष्ट्रीय अध्यक्ष, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी


'राजनीति में न कोई दोस्त ना दुश्मन': राष्ट्रपति के चुनाव में एनडीए उम्मीदवार को आपने सपोर्ट किया था, भविष्य में क्या बीजेपी के साथ आप की जुगलबंदी हो सकती है? यह पूछे जाने पर ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि राजनीति में न कोई किसी का दुश्मन होता है और न ही दोस्त. अगर बिहार की बात करें तो नीतीश जी ने कहा था कि राजनीति से संन्यास ले लूंगा लेकिन बीजेपी के साथ नहीं जाऊंगा. बीजेपी को बड़का झूठा पार्टी बताते थे. बाद में गठबंधन की सरकार बना लिए. आरजेडी के विषय में उन्होंने कहा था कि घर बैठ जाऊंगा लेकिन समझौता नहीं करूंगा, लेकिन वो फिर साथ आकर सरकार बना लिए. कश्मीर की बात करें तो महबूबा मुफ्ती और बीजेपी का समझौता हो गया. सपा और बसपा का यूपी में कोई उम्मीद नहीं किया था लेकिन 2019 में दोनों साथ आ गए. राजनीति में कहा नहीं जा सकता है कि कब कौन किसका दोस्त हो जाए और कब कौन किसका दुश्मन.

पहले ये तय हो कौन होगा प्रधानमंत्री का उम्मीदवार: यह पूछे जाने पर कि आपने द्रौपदी मुर्मू का तो राष्ट्रपति के लिए समर्थन कर दिया था, तो क्या नीतीश को प्रधानमंत्री कैंडिडेट के लिए समर्थन करेंगे? इस पर ओमप्रकाश राजभर का कहना था, प्रधानमंत्री बनने का सपना हर नेता सोचता है. हर नेता का सपना होता है. अब उस सपने को साकार करने के लिए कितनी मेहनत, ताकत और गोलबंदी है, उस नेता के ऊपर निर्भर करता है. नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री है. 50 दलों का गठबंधन है. पूरे देश में गठबंधन का दौर में चल रहा है. पहले तो यह तय करें कि पीएम कौन बनेगा? ममता बनर्जी अलग कह रही हैं, अरविंद केजरीवाल अलग कर रहे हैं, शरद पवार अलग कह रहे हैं, अखिलेश अलग कह रहे हैं. पहले तो यह लोग तय कर लें कि पीएम आखिर बनेगा कौन?


नीतीश की खाल उधेड़ लेने वाले बयान पर अब भी कायम: यह पूछे जाने पर कि आपने कहा था कि अगर जाति की जनगणना नहीं होगी तो नीतीश कुमार की खाल उधेड़ लेंगे क्या आप उस बयान पर आज भी कायम है? इस पर ओमप्रकाश राजभर का कहना था कि, भोजपुरी मुझे भी काफी प्रिय है. लेकिन उसके साथ प्रदेश हिंदी भाषा को भी पसंद करता है. हमारे यहां जब कोई काम नहीं करता है या फिर कभी कभी झगड़े होते हैं तो कहते हैं हम तुम्हारी खाल उधेड़ लेंगे. कोई गुस्सा आता है तो कहता है हम तुम्हारी बखिया उधेड़ लेंगे. यह हमारे यूपी की भाषा है. पश्चिमी यूपी की भाषा को अगर यहां बोल देंगे तो लाठी लेकर मारने लगेंगे. कोस कोस पर पानी बदले 4 कोस पर वाणी. हम बोलकर पीछे हटने वाले नेता नहीं है बयान पर कायम हैं. बता दें कि इससे पहले उन्होंने कहा था कि-

''हम क्या चहते हैं, जातियों की गिनती, जातिवाद जनगणना. जा रहा हूं 27 तारीख को गरम करने. नीतीश जी प्रेसवार्ता करके बोले हैं ना जातिवाद जनगणना कराएंगे. कल तो भाजपा के साथ थे तो रोक रहे थे. अब तो आरजेडी के साथ आ गए हो. अब तो नहीं ना रोक रहे हैं. दोनों लोग चिल्ला रहे थे तो देरी किस बात की. विलंब का कारण बताया जाए. नहीं तो ओम प्रकाश राजभर 27 तारीख को तेरी खाल उधेर दूंगा सदन के अंदर देख लेना. तूने कहा है तो उसे करो नहीं करना है तो जवाब दो. पटना गांधी मैदान में जवाब दूंगा.''- ओम प्रकाश राजभर, राष्ट्रीय अध्यक्ष, सुभासपा

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