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Odisha Train Tragedy: डीएनए से होगी शवों की पहचान, दिल्ली से मदद के लिए आई स्पेशल टीम

बालासोर ट्रेन हादसे में मौतों की संख्या 250 से पार हो चुकी है. घटनास्थल पर बचाव अभियान पूरा हो चुका है. वहीं, अब सरकार के लिए नई चुनौती सामने आ गई है. सौकड़ों शवों की पहचान करने में सरकार को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. शवों की पहचान में देरी होने के कारण उन्हें संरक्षित रखना भी जरूरी हो गया, जिसके लिए दिल्ली से विशेष टीम ओडिशा आई है, जो शवों को कुछ और दिन संरक्षित रखने की कोशिश करेगी.

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Published : Jun 5, 2023, 3:58 PM IST

Updated : Jun 5, 2023, 9:38 PM IST

भुवनेश्वर : ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे में बचाव अभियान पूरा हो चुका है. घायल यात्रियों को विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है और कई को छुट्टी भी दे दी गई है. लेकिन ओडिशा सरकार के सामने बड़ी चुनौती शवों की पहचान की है. जहां कुछ शव लावारिस पड़े हैं, वहीं दो अलग-अलग परिवारों ने एक ही शव पर दावा किया है. अधिकारियों ने कहा कि शव बुरी हालत में होने के कारण परिवार के सदस्यों को पहचान करने में कठिनाई हो रही है.

जानकारी के मुताबिक, एम्स भुवनेश्वर के मुर्दाघर में 124 शवों को संरक्षित किया गया है, जबकि अन्य 70 को राजधानी अस्पताल, सम अस्पताल, अमरी अस्पताल, केआईएमएस अस्पताल और भुवनेश्वर के हाई-टेक अस्पताल के मुर्दाघर में रखा गया है. वहीं, आज दिल्ली से एक विशेष टीम ओडिशा आई है, जो इन शवों को कुछ दिन और सुरक्षित रखने की कोशिश करेगी. बहरहाल, शवों की शिनाख्त की प्रक्रिया जारी है. ओडिशा सरकार की ओर से हेल्प डेस्क के माध्यम से सभी सहायता प्रदान की जा रही है.

उन्होंने कहा, हम उन्हें शवों की तस्वीरें दिखा रहे हैं और विभिन्न अस्पतालों में इलाज करा रहे यात्रियों की सूची भी दिखा रहे हैं. अगर किसी को पता चलता है कि उसका प्रियजन अस्पताल में इलाज करा रहा है, तो हम उसे संबंधित अस्पताल ले जाते हैं. यदि वे किसी की पहचान करते हैं, तो हम उन्हें सभी सहायता प्रदान करते हैं. उन्होंने बताया कि इसके अलावा, पीड़ितों के रिश्तेदारों के रहने की व्यवस्था भी की गई है.

राज्य विकास आयुक्त अनु गर्ग ने कहा कि कुछ समस्याएं हैं जिन पर अभी भी काम किया जा रहा है. उन्होंने कहा, "शवों की पहचान में समस्या आमतौर पर इतनी बड़ी विनाशकारी त्रासदी में होती है. लेकिन, राज्य प्रशासन रेलवे और भारत सरकार के अधिकारियों के साथ संयुक्त रूप से मुद्दों को हल करने के लिए सभी प्रयास कर रहा है. भारत सरकार की एक विशेष टीम दिल्ली से आई है, जो लाशों को कुछ और दिन संरक्षित रखने की कोशिश करेगी."

भुवनेश्वर नगर निगम (बीएमसी) आयुक्त विजय अमृता कुलंगे ने कहा, "हम कुछ शवों की पहचान करने में समस्याओं का सामना कर रहे हैं, क्योंकि शव बहुत खराब स्थिति में हैं और चेहरों की ठीक से पहचान नहीं हो पा रही है. ऐसे मामलों में हमें डीएनए परीक्षण करके आगे बढ़ना होगा. उन्होंने कहा कि डॉक्टर शवों को संभालते समय सभी प्रक्रियाओं का पालन कर रहे हैं. अब तक 50 शवों की शिनाख्त कर परिजनों को सौंपे गए हैं. अभी भी सौ से अधिक शवों की शिनाख्त मृतक के परिजनों द्वारा की जानी बाकी है."

एम्स-भुवनेश्वर में रखे जाएंगे अज्ञात शव : एम्स-भुवनेश्वर में बालासोर ट्रेन हादसे के पीड़ितों के अज्ञात और लावारिस शवों को कंटेनर में रखने का फैसला किया है. अस्पताल प्रशासन ने पारादीप से पांच कंटेनरों की व्यवस्था की है. बचाव अभियान पूरा होने के तुरंत बाद कुल मिलाकर 124 शवों को बाहानगा रेलवे स्टेशन के पास दुर्घटनास्थल से एम्स-भुवनेश्वर ले जाया गया था. शवों को प्रमुख स्वास्थ्य संस्थान के मुर्दाघर और एनाटॉमी विभाग में रखा गया था.

(अतिरिक्त इनपुट-एजेंसी)

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भुवनेश्वर : ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे में बचाव अभियान पूरा हो चुका है. घायल यात्रियों को विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है और कई को छुट्टी भी दे दी गई है. लेकिन ओडिशा सरकार के सामने बड़ी चुनौती शवों की पहचान की है. जहां कुछ शव लावारिस पड़े हैं, वहीं दो अलग-अलग परिवारों ने एक ही शव पर दावा किया है. अधिकारियों ने कहा कि शव बुरी हालत में होने के कारण परिवार के सदस्यों को पहचान करने में कठिनाई हो रही है.

जानकारी के मुताबिक, एम्स भुवनेश्वर के मुर्दाघर में 124 शवों को संरक्षित किया गया है, जबकि अन्य 70 को राजधानी अस्पताल, सम अस्पताल, अमरी अस्पताल, केआईएमएस अस्पताल और भुवनेश्वर के हाई-टेक अस्पताल के मुर्दाघर में रखा गया है. वहीं, आज दिल्ली से एक विशेष टीम ओडिशा आई है, जो इन शवों को कुछ दिन और सुरक्षित रखने की कोशिश करेगी. बहरहाल, शवों की शिनाख्त की प्रक्रिया जारी है. ओडिशा सरकार की ओर से हेल्प डेस्क के माध्यम से सभी सहायता प्रदान की जा रही है.

उन्होंने कहा, हम उन्हें शवों की तस्वीरें दिखा रहे हैं और विभिन्न अस्पतालों में इलाज करा रहे यात्रियों की सूची भी दिखा रहे हैं. अगर किसी को पता चलता है कि उसका प्रियजन अस्पताल में इलाज करा रहा है, तो हम उसे संबंधित अस्पताल ले जाते हैं. यदि वे किसी की पहचान करते हैं, तो हम उन्हें सभी सहायता प्रदान करते हैं. उन्होंने बताया कि इसके अलावा, पीड़ितों के रिश्तेदारों के रहने की व्यवस्था भी की गई है.

राज्य विकास आयुक्त अनु गर्ग ने कहा कि कुछ समस्याएं हैं जिन पर अभी भी काम किया जा रहा है. उन्होंने कहा, "शवों की पहचान में समस्या आमतौर पर इतनी बड़ी विनाशकारी त्रासदी में होती है. लेकिन, राज्य प्रशासन रेलवे और भारत सरकार के अधिकारियों के साथ संयुक्त रूप से मुद्दों को हल करने के लिए सभी प्रयास कर रहा है. भारत सरकार की एक विशेष टीम दिल्ली से आई है, जो लाशों को कुछ और दिन संरक्षित रखने की कोशिश करेगी."

भुवनेश्वर नगर निगम (बीएमसी) आयुक्त विजय अमृता कुलंगे ने कहा, "हम कुछ शवों की पहचान करने में समस्याओं का सामना कर रहे हैं, क्योंकि शव बहुत खराब स्थिति में हैं और चेहरों की ठीक से पहचान नहीं हो पा रही है. ऐसे मामलों में हमें डीएनए परीक्षण करके आगे बढ़ना होगा. उन्होंने कहा कि डॉक्टर शवों को संभालते समय सभी प्रक्रियाओं का पालन कर रहे हैं. अब तक 50 शवों की शिनाख्त कर परिजनों को सौंपे गए हैं. अभी भी सौ से अधिक शवों की शिनाख्त मृतक के परिजनों द्वारा की जानी बाकी है."

एम्स-भुवनेश्वर में रखे जाएंगे अज्ञात शव : एम्स-भुवनेश्वर में बालासोर ट्रेन हादसे के पीड़ितों के अज्ञात और लावारिस शवों को कंटेनर में रखने का फैसला किया है. अस्पताल प्रशासन ने पारादीप से पांच कंटेनरों की व्यवस्था की है. बचाव अभियान पूरा होने के तुरंत बाद कुल मिलाकर 124 शवों को बाहानगा रेलवे स्टेशन के पास दुर्घटनास्थल से एम्स-भुवनेश्वर ले जाया गया था. शवों को प्रमुख स्वास्थ्य संस्थान के मुर्दाघर और एनाटॉमी विभाग में रखा गया था.

(अतिरिक्त इनपुट-एजेंसी)

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Last Updated : Jun 5, 2023, 9:38 PM IST
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