बेंगलुरू : कावेरी नदी पर बनने वाले मेकेदातु परियोजना पर तमिलनाडु विधानसभा में पास प्रस्ताव के विरोध में कर्नाटक विधान परिषद में भी सभी दल एकजुट दिखे. शुक्रवार को विधान परिषद में सर्वसम्मति से तमिलनाडु विधानसभा के फैसले की निंदा की गई और मेकेदातु प्रोजेक्ट के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया गया. विधान परिषद में पारित प्रस्ताव में जोर दिया गया है कि केंद्र सरकार को नदी-जोड़ने की परियोजना के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) के लिए तब तक सहमति नहीं देनी चाहिए जब तक कि कर्नाटक सरकार इसके लिए सहमत न हो.
राज्य के कानून और संसदीय कार्य मंत्री जेसी मधुस्वामी ने शुक्रवार को विधान परिषद में प्रस्ताव पेश किया था. सदन में कांग्रेस के विपक्ष के नेता बी.के. हरिप्रसाद ने प्रस्ताव का स्वागत किया और कांग्रेस पार्टी की ओर से सरकार के इस कदम का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने मेकेदातु परियोजना के शीघ्र कार्यान्वयन की मांग करते हुए पदयात्रा (विरोध पैदल मार्च) निकाली थी. गौरतलब है कि 24 मार्च को कर्नाटक विधानसभा ने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने मेकेदातु परियोजना के समर्थन में प्रस्ताव पेश किया था, जिसका सभी दलों ने समर्थन किया था.
गौरतलब है कि 21 मार्च को तमिलनाडु विधानसभा ने आम सहमति से एक प्रस्ताव पारित कर मेकेदातु परियोजना को आगे बढ़ाने संबंधी कर्नाटक सरकार के ‘एकतरफा फैसले’ की आलोचना की थी और केन्द्र से प्रस्ताव को खारिज करने का अनुरोध किया था. इसके बाद से कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच विवाद बढ़ गया. इससे पहले भी कावेरी नदी के पानी को बंटवारे को लेकर कई बार दोनों राज्य आमने-सामने आ चुके हैं.
कर्नाटक की ओर से प्रस्तावित मेकेदातु परियोजना का उद्देश्य बंगलूरु शहर के लिये पीने के पानी का भंडारण और आपूर्ति करना है. परियोजना के माध्यम से लगभग 400 मेगावाट (मेगावाट) बिजली उत्पन्न करने का भी प्रस्ताव है. वर्ष 2017 में कर्नाटक सरकार ने इस परियोजना को मंजूरी दी थी. तमिलनाडु की सरकार इस प्रस्ताव का विरोध कर रही है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के हवाले से तमिलनाडु सरकार का दावा करती है कि उसकी सहमति के बिना कर्नाटक को कावेरी नदी पर कोई जलाशय बनाने का कोई अधिकार नहीं है. तमिलनाडु सरकार का कहना है कि मेकेदातु परियोजना से कावेरी का प्रवाह भी प्रभावित होगा, इससे राज्य को नुकसान होगा.