बोस्टन (अमेरिका) : वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस (SARS-CoV-2 virus) का पता लगाने के लिए एक नई प्रणाली विकसित की है, जिसमें मौजूदा तरीकों की तुलना में अधिक तेजी से, अधिक किफायती तरीके से और अधिक सटीकता (more accurate COVID-19 detection) से जांच परिणाम मिलने की उम्मीद है.
पत्रिका 'नैनो लेटर्स' में प्रकाशित यह शोध अभी सैद्धांतिक चरण में है, लेकिन अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि इन संसूचकों (detectors) को वस्तुतः किसी भी वायरस का पता लगाने के अनुकूल ढाला जा सकता है.
अमेरिका स्थित 'मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी' के एक दल ने बताया कि फिलहाल विशिष्ट वायरल प्रोटीन का पता लगाने वाली रैपिड जांच और कई घंटों में होने वाली पोलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) के जरिए सार्स-सीओवी-2 वायरस संबंधी जांच की जाती है. सार्स-सीओवी-2 वायरस के कारण ही कोविड-19 होता है.
उन्होंने कहा कि इनमें से कोई भी जांच वायरस की मात्रा को उच्च सटीकता के साथ नहीं बता सकती. शोधकर्ताओं के अनुसार, पीसीआर जांच द्वारा भी संक्रमित व्यक्ति में संक्रमण की पुष्टि नहीं होने की संभावना 25 प्रतिशत से अधिक हो सकती है.
टीम का विश्लेषण दर्शाता है कि नई जांच प्रणाली में संक्रमित व्यक्ति में संक्रमण की पुष्टि नहीं होने की संभावना एक प्रतिशत से भी कम है. यह जांच वायरल की कम मात्रा होने पर भी कुछ ही सेकंड में संक्रमण का पता लगा सकती है.
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शोधकर्ताओं ने बताया कि इस जांच प्रणाली में उपयोग किए जाने वाले सेंसर किफायती सामग्री का इस्तेमाल करते हैं और एक बार में कई नमूनों का विश्लेषण करने के लिए उन उपकरणों का दायरा बढ़ाया जा सकता है.
(पीटीआई-भाषा)