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एक गोली भी नहीं चली और पीएफआई का पूरा खेल खत्म, जानें कैसे बनी 'ऑपरेशन ऑक्टोपस' की योजना

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई की योजना दो सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में प्रधानमंत्री की सुरक्षा टीम द्वारा शुरू किया गया था. डोभाल ने केरल और महाराष्ट्र पुलिस के कई अधिकारियों के साथ बैठकें की और गृह मंत्री के निर्देश के अनुसार पूरी योजना की प्लानिंग की.

Ajit Doval News
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Published : Sep 24, 2022, 7:35 AM IST

Updated : Sep 24, 2022, 12:47 PM IST

नई दिल्ली: 22 सितंबर को 11 राज्यों में एनआईए, ईडी और राज्य पुलिस की एक संयुक्त टीम द्वारा किए गए कई छापे में 106 से अधिक पीएफआई सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था. हाल के दिनों में एक साथ इतनी सारी एजेंसियों के द्वारा की गई सबसे बड़ी कार्रवाई थी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस कार्रवाई का कोड नेम क्या था. और इसकी पठकथा कबसे लिखी जा रही थी? और कौन है 'ऑपरेशन ऑक्टोपस' का असली हीरो?

  • Crackdown on PFI was named Operation Octopus: Sources

    Over 106 PFI members were arrested in multiple raids carried out by a joint team of NIA, ED & state police across 11 states on 22nd September

    — ANI (@ANI) September 24, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

दो सितंबर को, जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी कोच्चि में आईएनएस विक्रांत पर कार्यक्रम में शामिल हो रहे थे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनकी सुरक्षा टीम केरल में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के पूरे नेटवर्क को उखाड़ फेंकने की योजना बना रही थी. योजना जिसका नाम था 'ऑपरेशन ऑक्टोपस'. मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों का कहना है कि विमानवाहक पोत की कमीशनिंग के लिए कोच्चि की अपनी यात्रा के दौरान केरल के पुलिस अधिकारियों के कई बैठकें कीं. इन बैठकों में पीएफआई के खिलाफ कार्रवाई की योजना बनाई गयी.

कोच्ची से डोभाल मुंबई गये वहां गवर्नर हाउस में महाराष्ट्र के पुलिस अधिकारियों के साथ भी इसी मुद्दे पर बैठक की. इन बैठकों की गोपनियता का स्तर बताता है कि डोभाल के लिए यह कितना महत्वपूर्ण है. एनएसए के कार्यालय से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इन बैठकों के दौरान वैसी ही गोपनियता रखी गई जैसी जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने या उरी सर्जिकल स्ट्राइक से पहले की गई बैठकों की थी. कहा जा रहा है कि तीन-चार महीने पहले ही इस्लामिक नेताओं के परामर्श के साथ योजना बना ली गई थी. गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर एनएसए डोभाल ने पूरी योजना को गुप्त रखा.

पढ़ें: PFI नेताओं से फंडिंग और विदेशी कनेक्शन के बारे में पूछताछ कर रही NIA

22 सितबंर को यानी जिस दिन एनआईए ने एक साथ देश के 10 राज्यों ने पीएफआई के दफ्तर और उसके कार्यकर्ताओं के घरों छापेमारी की. इस ऑपरेशन में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के 200 से अधिक अधिकारियों, प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों के साथ-साथ, कम से कम दस राज्य पुलिस के आतंकवाद विरोधी दस्तों ने के अधिकारियों ने एक साथ मिलकर काम किया. 15 से अधिक राज्यों में 150 से अधिक स्थानों पर छापे मारे गए और 106 पीएफआई नेताओं और सदस्यों को गिरफ्तार किया गया.

सूत्रों ने कहा कि पीएफआई के आतंकी गुर्गों को पकड़ने और पूछताछ के लिए अलग-अलग स्थानों पर लाने के लिए विमानों को भी समय पर तैयार रखा गया था. एनएसए अजीत डोभाल 24x7 ऑपरेशन की निगरानी कर रहे थे और राज्यों के साथ समन्वय कर रहे थे. सूत्रों ने बताया कि ध्यान देने वाली बात यह है कि पूरे ऑपरेशन के दौरान एक भी गोली नहीं चली. एजेंसियों से मिली जानकारी के आधार पर आतंकी समूहों के खिलाफ इस तरह के और भी ऑपरेशन चलाए जाएंगे.

नई दिल्ली: 22 सितंबर को 11 राज्यों में एनआईए, ईडी और राज्य पुलिस की एक संयुक्त टीम द्वारा किए गए कई छापे में 106 से अधिक पीएफआई सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था. हाल के दिनों में एक साथ इतनी सारी एजेंसियों के द्वारा की गई सबसे बड़ी कार्रवाई थी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस कार्रवाई का कोड नेम क्या था. और इसकी पठकथा कबसे लिखी जा रही थी? और कौन है 'ऑपरेशन ऑक्टोपस' का असली हीरो?

  • Crackdown on PFI was named Operation Octopus: Sources

    Over 106 PFI members were arrested in multiple raids carried out by a joint team of NIA, ED & state police across 11 states on 22nd September

    — ANI (@ANI) September 24, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

दो सितंबर को, जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी कोच्चि में आईएनएस विक्रांत पर कार्यक्रम में शामिल हो रहे थे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनकी सुरक्षा टीम केरल में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के पूरे नेटवर्क को उखाड़ फेंकने की योजना बना रही थी. योजना जिसका नाम था 'ऑपरेशन ऑक्टोपस'. मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों का कहना है कि विमानवाहक पोत की कमीशनिंग के लिए कोच्चि की अपनी यात्रा के दौरान केरल के पुलिस अधिकारियों के कई बैठकें कीं. इन बैठकों में पीएफआई के खिलाफ कार्रवाई की योजना बनाई गयी.

कोच्ची से डोभाल मुंबई गये वहां गवर्नर हाउस में महाराष्ट्र के पुलिस अधिकारियों के साथ भी इसी मुद्दे पर बैठक की. इन बैठकों की गोपनियता का स्तर बताता है कि डोभाल के लिए यह कितना महत्वपूर्ण है. एनएसए के कार्यालय से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इन बैठकों के दौरान वैसी ही गोपनियता रखी गई जैसी जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने या उरी सर्जिकल स्ट्राइक से पहले की गई बैठकों की थी. कहा जा रहा है कि तीन-चार महीने पहले ही इस्लामिक नेताओं के परामर्श के साथ योजना बना ली गई थी. गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर एनएसए डोभाल ने पूरी योजना को गुप्त रखा.

पढ़ें: PFI नेताओं से फंडिंग और विदेशी कनेक्शन के बारे में पूछताछ कर रही NIA

22 सितबंर को यानी जिस दिन एनआईए ने एक साथ देश के 10 राज्यों ने पीएफआई के दफ्तर और उसके कार्यकर्ताओं के घरों छापेमारी की. इस ऑपरेशन में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के 200 से अधिक अधिकारियों, प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों के साथ-साथ, कम से कम दस राज्य पुलिस के आतंकवाद विरोधी दस्तों ने के अधिकारियों ने एक साथ मिलकर काम किया. 15 से अधिक राज्यों में 150 से अधिक स्थानों पर छापे मारे गए और 106 पीएफआई नेताओं और सदस्यों को गिरफ्तार किया गया.

सूत्रों ने कहा कि पीएफआई के आतंकी गुर्गों को पकड़ने और पूछताछ के लिए अलग-अलग स्थानों पर लाने के लिए विमानों को भी समय पर तैयार रखा गया था. एनएसए अजीत डोभाल 24x7 ऑपरेशन की निगरानी कर रहे थे और राज्यों के साथ समन्वय कर रहे थे. सूत्रों ने बताया कि ध्यान देने वाली बात यह है कि पूरे ऑपरेशन के दौरान एक भी गोली नहीं चली. एजेंसियों से मिली जानकारी के आधार पर आतंकी समूहों के खिलाफ इस तरह के और भी ऑपरेशन चलाए जाएंगे.

Last Updated : Sep 24, 2022, 12:47 PM IST
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