ETV Bharat / bharat

मनरेगा के खजाने में फंड नहीं, केंद्र जारी करे पैसा : निखिल डे

मीडिया रिपोर्ट्स में मनरेगा योजना के लिए फंड में कमी होने की खबर सामने आई है. इस पर पीएईजी कार्यकारी समूह के सदस्य निखिल डे ने केंद्र से पैसा जारी करने की मांग की है. उनका कहना है कि दो महीने से मजदूरों का पैसा बकाया है, वहीं मंत्रालय की ओर से साफ किया गया है कि 8921 करोड़ की धनराशि उपलब्ध है.

मनरेगा
मनरेगा
author img

By

Published : Nov 1, 2021, 5:35 PM IST

नई दिल्ली : मजदूर किसान शक्ति संगठन के संस्थापक तथा पीपुल्स एक्शन फॉर इंप्लाइमेंट गारंटी (पीएईजी) कार्यकारी समूह के सदस्य निखिल डे ने कहा कि मनरेगा योजना के लिए आवंटित बजट का 100 प्रतिशत उपयोग किया जा चुका है. गांवों में रोजगार देने वाली मनरेगा योजना का फंड खत्म होने से मनरेगा में रोजगार पाने वाले करोड़ों मजदूर परेशान हैं.

निखिल डे ने कहा कि सितंबर में 90 फीसदी फंड का उपयोग हो गया था. अक्टूबर महीने में पूरा 100 प्रतिशत उपयोग हो चुका है. इस योजना से मजदूरों को जो पैसा मिलता है वह दो महीने से बकाया है. चालू वित्तीय वर्ष में पांच महीने का समय बचा है इसके बावजूद 21 राज्यों के पास मनरेगा का फंड खत्म हो गया. गांवों में रोजगार देने वाली मनरेगा योजना का फंड खत्म होने से मनरेगा में रोजगार पाने वाले करोड़ों मजदूर परेशान हैं. केंद्र सरकार को तुरंत पैसा जारी करना चाहिए.

सुनिए निखिल डे ने क्या कहा

सुप्रीम कोर्ट ने ये दिया था आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में एक आदेश में कहा था कि मनरेगा के तहत मजदूरी का बकाया रहना सरकार के द्वारा किया गया संवैधानिक उल्लंघन है. दिहाड़ी मजदूरों को अगर उनका दिन भर का पैसा नहीं मिला या देर से मिला तो उनके सामने मुसीबतों का पहाड़ खड़ा हो जाएगा.

आंध्र, तमिलनाडु, बंगाल की खराब स्थिति
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मनरेगा योजना के लिए फंड में कमी होने की खबर सामने आई है. चालू वित्तीय वर्ष में 21 राज्यों के पास मनरेगा का फंड खत्म हो गया है. 2021-22 में मनरेगा के लिए 73,000 करोड़ रुपया निर्धारित किया गया था. 29 अक्टूबर तक देय भुगतान सहित कुल व्यय पहले ही 79810 करोड़ तक पहुंच गया था जिससे योजना संकट में आ गई है. 21 राज्यों ने नकारात्मक संतुलन दिखाया है जिसमें आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल सबसे खराब स्थिति में है.
1.11 लाख करोड़ का था बजट
इस योजना का नगेटिव नेट बैलेंस 8686 करोड़ हो गया है. कोरोना की पहली लहर एवं नेशनल लॉकडाउन के दौरान मनरेगा में केंद्र सरकार ने 1.11 लाख करोड़ का बजट दिया था. कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान जब कई लोग बेरोजगार हुए तो मनरेगा ने ही सहारा दिया. पढ़े-लिखे लोगों ने भी मनरेगा के तहत लॉकडाउन में काम किया, लेकिन केंद्र सरकार ने 2021-22 में मनरेगा का बजट घटाकर 73,000 करोड़ कर दिया. उस समय केंद्र सरकार ने कहा था कि अगर पैसा खत्म हो गया तो वह पैसा जारी किया जाएगा.

8921 करोड़ की धनराशि उपलब्ध : मंत्रालय
वहीं, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कहा है कि केंद्र सरकार मनरेगा कार्यक्रम के उचित कार्यान्वयन के लिए मजदूरी और सामग्री भुगतान के लिए धन जारी करने के लिए प्रतिबद्ध है. मंत्रालय ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान अब तक 222 करोड़ से अधिक व्यक्ति दिवस (Persons-Days) सृजित हुए हैं. 2021 में छह करोड़ से अधिक परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है. पिछले बजट की तुलना में वर्तमान में 18% से अधिक धन जारी किया गया है. राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को इस वित्तीय वर्ष में 63793 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. वर्तमान में 8921 करोड़ रुपये की धनराशि उपलब्ध है.

मनरेगा के तहत 100 दिन रोजगार की गारंटी
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MNREGA) देश में ग्रामीण श्रमिकों को रोजगार एवं आजीविका प्रदान करती है. इसका उद्देश्य वित्तीय वर्ष में 100 दिन रोजगार प्रदान करना है. यह दुनिया के एकमात्र ऐसी योजना है जो रोजगार की गारंटी देती है. नौकरी नहीं मिलने की स्थिति में लाभार्थी बेरोजगारी भत्ते का दावा कर सकते हैं. 2006 में UPA के शासनकाल में इस योजना की शुरुआत हुई थी.

पढ़ें- मनरेगा में चार साल में हुआ 935 करोड़ रुपये का गबन: कांग्रेस

नई दिल्ली : मजदूर किसान शक्ति संगठन के संस्थापक तथा पीपुल्स एक्शन फॉर इंप्लाइमेंट गारंटी (पीएईजी) कार्यकारी समूह के सदस्य निखिल डे ने कहा कि मनरेगा योजना के लिए आवंटित बजट का 100 प्रतिशत उपयोग किया जा चुका है. गांवों में रोजगार देने वाली मनरेगा योजना का फंड खत्म होने से मनरेगा में रोजगार पाने वाले करोड़ों मजदूर परेशान हैं.

निखिल डे ने कहा कि सितंबर में 90 फीसदी फंड का उपयोग हो गया था. अक्टूबर महीने में पूरा 100 प्रतिशत उपयोग हो चुका है. इस योजना से मजदूरों को जो पैसा मिलता है वह दो महीने से बकाया है. चालू वित्तीय वर्ष में पांच महीने का समय बचा है इसके बावजूद 21 राज्यों के पास मनरेगा का फंड खत्म हो गया. गांवों में रोजगार देने वाली मनरेगा योजना का फंड खत्म होने से मनरेगा में रोजगार पाने वाले करोड़ों मजदूर परेशान हैं. केंद्र सरकार को तुरंत पैसा जारी करना चाहिए.

सुनिए निखिल डे ने क्या कहा

सुप्रीम कोर्ट ने ये दिया था आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में एक आदेश में कहा था कि मनरेगा के तहत मजदूरी का बकाया रहना सरकार के द्वारा किया गया संवैधानिक उल्लंघन है. दिहाड़ी मजदूरों को अगर उनका दिन भर का पैसा नहीं मिला या देर से मिला तो उनके सामने मुसीबतों का पहाड़ खड़ा हो जाएगा.

आंध्र, तमिलनाडु, बंगाल की खराब स्थिति
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मनरेगा योजना के लिए फंड में कमी होने की खबर सामने आई है. चालू वित्तीय वर्ष में 21 राज्यों के पास मनरेगा का फंड खत्म हो गया है. 2021-22 में मनरेगा के लिए 73,000 करोड़ रुपया निर्धारित किया गया था. 29 अक्टूबर तक देय भुगतान सहित कुल व्यय पहले ही 79810 करोड़ तक पहुंच गया था जिससे योजना संकट में आ गई है. 21 राज्यों ने नकारात्मक संतुलन दिखाया है जिसमें आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल सबसे खराब स्थिति में है.
1.11 लाख करोड़ का था बजट
इस योजना का नगेटिव नेट बैलेंस 8686 करोड़ हो गया है. कोरोना की पहली लहर एवं नेशनल लॉकडाउन के दौरान मनरेगा में केंद्र सरकार ने 1.11 लाख करोड़ का बजट दिया था. कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान जब कई लोग बेरोजगार हुए तो मनरेगा ने ही सहारा दिया. पढ़े-लिखे लोगों ने भी मनरेगा के तहत लॉकडाउन में काम किया, लेकिन केंद्र सरकार ने 2021-22 में मनरेगा का बजट घटाकर 73,000 करोड़ कर दिया. उस समय केंद्र सरकार ने कहा था कि अगर पैसा खत्म हो गया तो वह पैसा जारी किया जाएगा.

8921 करोड़ की धनराशि उपलब्ध : मंत्रालय
वहीं, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कहा है कि केंद्र सरकार मनरेगा कार्यक्रम के उचित कार्यान्वयन के लिए मजदूरी और सामग्री भुगतान के लिए धन जारी करने के लिए प्रतिबद्ध है. मंत्रालय ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान अब तक 222 करोड़ से अधिक व्यक्ति दिवस (Persons-Days) सृजित हुए हैं. 2021 में छह करोड़ से अधिक परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है. पिछले बजट की तुलना में वर्तमान में 18% से अधिक धन जारी किया गया है. राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को इस वित्तीय वर्ष में 63793 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. वर्तमान में 8921 करोड़ रुपये की धनराशि उपलब्ध है.

मनरेगा के तहत 100 दिन रोजगार की गारंटी
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MNREGA) देश में ग्रामीण श्रमिकों को रोजगार एवं आजीविका प्रदान करती है. इसका उद्देश्य वित्तीय वर्ष में 100 दिन रोजगार प्रदान करना है. यह दुनिया के एकमात्र ऐसी योजना है जो रोजगार की गारंटी देती है. नौकरी नहीं मिलने की स्थिति में लाभार्थी बेरोजगारी भत्ते का दावा कर सकते हैं. 2006 में UPA के शासनकाल में इस योजना की शुरुआत हुई थी.

पढ़ें- मनरेगा में चार साल में हुआ 935 करोड़ रुपये का गबन: कांग्रेस

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.