नई दिल्ली : राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर अलगाववादी नेता यासीन मलिक को मौत की सजा देने का अनुरोध किया, जिसे आतंक वित्तपोषण मामले में निचली अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. एजेंसी की याचिका को न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ के समक्ष 29 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है.
यहां की एक निचली अदालत ने 24 मई, 2022 को जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख मलिक को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता के तहत विभिन्न अपराधों के लिए दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. मृत्युदंड के लिए एनआईए के अनुरोध को खारिज करते हुए निचली अदालत ने कहा था कि मलिक का उद्देश्य भारत से जम्मू-कश्मीर को बलपूर्वक अलग करना था.
-
National Investigation Agency (NIA) moves Delhi High Court seeking death penalty for Yasin Malik (chief of the banned Jammu and Kashmir Liberation Front) in terror funding case. Trial Court sentenced him to life imprisonment last year.
— ANI (@ANI) May 26, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
(File Pic) pic.twitter.com/9rcsQzxuv8
">National Investigation Agency (NIA) moves Delhi High Court seeking death penalty for Yasin Malik (chief of the banned Jammu and Kashmir Liberation Front) in terror funding case. Trial Court sentenced him to life imprisonment last year.
— ANI (@ANI) May 26, 2023
(File Pic) pic.twitter.com/9rcsQzxuv8National Investigation Agency (NIA) moves Delhi High Court seeking death penalty for Yasin Malik (chief of the banned Jammu and Kashmir Liberation Front) in terror funding case. Trial Court sentenced him to life imprisonment last year.
— ANI (@ANI) May 26, 2023
(File Pic) pic.twitter.com/9rcsQzxuv8
निचली अदालत ने कहा था, 'इन अपराधों का उद्देश्य भारत पर प्रहार करना और भारत संघ से जम्मू-कश्मीर को बलपूर्वक अलग करना था. अपराध अधिक गंभीर हो जाता है क्योंकि यह विदेशी शक्तियों और आतंकवादियों की सहायता से किया गया था. अपराध की गंभीरता इस तथ्य से और बढ़ जाती है कि यह एक कथित शांतिपूर्ण राजनीतिक आंदोलन की आड़ में किया गया था.' अदालत ने कहा था कि मामला दुर्लभतम नहीं है, जिसमें मृत्युदंड की सजा दी जाए.
बता दें कि इसके अलावा 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर के रावलपोरा में मलिक और उसके अन्य साथियों ने स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना और तीन अन्य भारतीय वायुसेना के कर्मियों को कथित तौर पर मार दिया गया था. विशेष रूप से यासीन मलिक चार भारतीय वायुसेना कर्मियों की हत्या का मुख्य आरोपी है. मामले के सिलसिले में 31 अगस्त 1990 को जम्मू में टाडा अदालत के समक्ष केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा उन्हें आरोपी बनाया गया था.
ये भी पढ़ें - जम्मू कश्मीर वायु सेना अधिकारी हत्या मामला: यासीन मलिक के खिलाफ पेशी वारंट जारी
(पीटीआई-भाषा)