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देश के कई जिलों से 1200 से अधिक आदिवासी पहुंचे वाराणसी, काशी विश्वनाथ धाम में की पूजा-अर्चना

वाराणसी काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन (Kashi Vishwanath Temple Administration) ने आदिवासी समाज के लोग का स्वागत किया (tribal community invited for darshan).

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 29, 2023, 8:54 PM IST

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आदिवासी समाज का बाबा के दरबार में पुष्पवर्षा कर भव्य स्वागत

वाराणसी: काशी विश्वनाथ धाम में रविवार को देश के 13 जिलों के 1200 से अधिक आदिवासी व बनवासी समाज के लोग पहुंचे. उन्होंने बाबा के धाम में दर्शन-पूजन किया. मंदिर प्रशासन ने उनका जोरदार स्वागत किया. वाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनि से बाबा का धाम गूंज उठा. आदिवासी और बनवासी समाज के लोगों ने बाबा के जयकारे भी लगाए.

वाराणसी स्थित श्री काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने आदिवासी समाज के लोगों को बाबा के दर्शन-पूजन के लिए आमंत्रित किया था. इसी के तहत रविवार को वे धाम में पहुंचे. सभी लोगों का भव्य तरीके से स्वागत किया गया. आदिवासी समाज के लोगों ने बाबा के गर्भगृह में जाकर उनके दर्शन किए और आशीर्वाद प्राप्त किया. आज बाबा के धाम से पूरे देश को एक धागे में पिरोने का बहुत बड़ा संदेश गया है. ये वो लोग थे, जिन्हें जाति के आधार पर कहीं न कहीं समाज में दरकिनार करने का काम राजनीतिक दल करते रहे हैं. ऐसे में बाबा के मंदिर में प्रशासन ने उन्हें सम्मानित तरीके से बुलाकर एकता का बड़ा संदेश दिया है.

मंदिर प्रशासन ने आदिवासियों का आमंत्रित किया था.
मंदिर प्रशासन ने आदिवासियों का आमंत्रित किया था.



बाबा के धाम में दिखा अद्भुत नजारा: आज का नजारा देखते ही बन रहा था. आदियोगी के भक्त आदिसमाज के लोग बाबा के धाम में दाखिल हो रहे थे. इस समय देश के 13 जिलों के, 45 विकास खण्ड के, 1828 गांवों के 1200 से अधिक आदिवासी-बनवासी लोग मानर, पैजन, घुंघरू की थाप में नाचते-गाते नजर आए. मंदिर चौक गेट पर 150 महिलाओं और पुरुषों ने पुष्प वर्षा की. मंदिर के चौक क्षेत्र में ब्राह्मणों द्वारा वैदिक मंत्रों उच्चारण के बीच भव्य स्वागत किया गया. मंदिर परिसर में आदिवासी परंपरा की झलक देखने को मिल रही थी. श्री काशी विश्वनाथ धाम प्रशासन ने बनवासी और आदिवासी परम्परा के संरक्षण और संवर्धन के लिए यह आयोजन किया था.

बाबा के धाम में दिखा अद्भुत नजारा.
बाबा के धाम में दिखा अद्भुत नजारा.

इसे भी पढ़े-विश्वनाथ धाम के भव्य निर्माण का इतिहास जानेंगे पर्यटक, फोटो गैलरी से मिलेगी पुरातन से लेकर नए कलेवर तक की जानकारी

जनजाति समाज से अपनी परंपरा न छोड़ने की अपील: जनजाति सुरक्षा मंच के प्रदेश महामंत्री देवनारायण खरवार ने बताया कि हमें यहां आकर बहुत अच्छी अनुभूति हुई है. मंदिर समिति के लोगों ने, यहां मौजूद जन मानस ने बहुत ही अच्छी तरीके से सम्मान किया. इस दौरान मानर, पैजन, घूघुर बजाया गया था. ढोलक की जगह पर मानर काम करता है. पैजन वाद्य यंत्र के काम में आता है. हमारे समाज के लोगों ने बाबा के दर्शन किए. उन्हें स्पर्श भी किया. हम इस कार्यक्रम के माध्यम से यह संदेश देना चाहते हैं कि जनजाति समाज के लोग परंपरा न छोड़ें. .

जनजाति समाज सनातन का अभिन्न अंग : आदिवासी समाज के लोगों ने कहा कि बाबा हमारी संस्कृति का संरक्षण करें. हमारी पहचान को समाज में स्थापित करें. यह प्रधानमंत्री मोदी का क्षेत्र है. यह संदेश बाबा के धाम से जाए कि जनजाति समाज सनातन समाज का अभिन्न अंग है. यह समाज सनातनी परंपरा का अभिन्न अंग है. उसका संरक्षण और संवर्धन किया जाए. हम अपने स्वाभावित तरीके से बाबा की पूजा कर रहे हैं. हमारे पास जो पत्र-पुष्प है उसी से पूजा करेंगे. हम कुछ लेकर नहीं आए. हम आस्था वाले लोग हैं. मंदिर प्रशासन हमें जो भी उपलब्ध करा रहा है, हम उसी से पूजा-पाठ करेंगे. इस कार्यक्रम में हमारे 1200 परंपरागत पुजारी, बैगा, 18 जनजातियों के प्रमुख लोग शामिल हो हुए हैं.

यह भी पढ़े-काशी विश्वनाथ धाम के बाद अब सारंगनाथ महादेव मंदिर का बनेगा भव्य कॉरिडोर, मिलेंगी ये सुविधाएं

आदिवासी समाज का बाबा के दरबार में पुष्पवर्षा कर भव्य स्वागत

वाराणसी: काशी विश्वनाथ धाम में रविवार को देश के 13 जिलों के 1200 से अधिक आदिवासी व बनवासी समाज के लोग पहुंचे. उन्होंने बाबा के धाम में दर्शन-पूजन किया. मंदिर प्रशासन ने उनका जोरदार स्वागत किया. वाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनि से बाबा का धाम गूंज उठा. आदिवासी और बनवासी समाज के लोगों ने बाबा के जयकारे भी लगाए.

वाराणसी स्थित श्री काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने आदिवासी समाज के लोगों को बाबा के दर्शन-पूजन के लिए आमंत्रित किया था. इसी के तहत रविवार को वे धाम में पहुंचे. सभी लोगों का भव्य तरीके से स्वागत किया गया. आदिवासी समाज के लोगों ने बाबा के गर्भगृह में जाकर उनके दर्शन किए और आशीर्वाद प्राप्त किया. आज बाबा के धाम से पूरे देश को एक धागे में पिरोने का बहुत बड़ा संदेश गया है. ये वो लोग थे, जिन्हें जाति के आधार पर कहीं न कहीं समाज में दरकिनार करने का काम राजनीतिक दल करते रहे हैं. ऐसे में बाबा के मंदिर में प्रशासन ने उन्हें सम्मानित तरीके से बुलाकर एकता का बड़ा संदेश दिया है.

मंदिर प्रशासन ने आदिवासियों का आमंत्रित किया था.
मंदिर प्रशासन ने आदिवासियों का आमंत्रित किया था.



बाबा के धाम में दिखा अद्भुत नजारा: आज का नजारा देखते ही बन रहा था. आदियोगी के भक्त आदिसमाज के लोग बाबा के धाम में दाखिल हो रहे थे. इस समय देश के 13 जिलों के, 45 विकास खण्ड के, 1828 गांवों के 1200 से अधिक आदिवासी-बनवासी लोग मानर, पैजन, घुंघरू की थाप में नाचते-गाते नजर आए. मंदिर चौक गेट पर 150 महिलाओं और पुरुषों ने पुष्प वर्षा की. मंदिर के चौक क्षेत्र में ब्राह्मणों द्वारा वैदिक मंत्रों उच्चारण के बीच भव्य स्वागत किया गया. मंदिर परिसर में आदिवासी परंपरा की झलक देखने को मिल रही थी. श्री काशी विश्वनाथ धाम प्रशासन ने बनवासी और आदिवासी परम्परा के संरक्षण और संवर्धन के लिए यह आयोजन किया था.

बाबा के धाम में दिखा अद्भुत नजारा.
बाबा के धाम में दिखा अद्भुत नजारा.

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जनजाति समाज से अपनी परंपरा न छोड़ने की अपील: जनजाति सुरक्षा मंच के प्रदेश महामंत्री देवनारायण खरवार ने बताया कि हमें यहां आकर बहुत अच्छी अनुभूति हुई है. मंदिर समिति के लोगों ने, यहां मौजूद जन मानस ने बहुत ही अच्छी तरीके से सम्मान किया. इस दौरान मानर, पैजन, घूघुर बजाया गया था. ढोलक की जगह पर मानर काम करता है. पैजन वाद्य यंत्र के काम में आता है. हमारे समाज के लोगों ने बाबा के दर्शन किए. उन्हें स्पर्श भी किया. हम इस कार्यक्रम के माध्यम से यह संदेश देना चाहते हैं कि जनजाति समाज के लोग परंपरा न छोड़ें. .

जनजाति समाज सनातन का अभिन्न अंग : आदिवासी समाज के लोगों ने कहा कि बाबा हमारी संस्कृति का संरक्षण करें. हमारी पहचान को समाज में स्थापित करें. यह प्रधानमंत्री मोदी का क्षेत्र है. यह संदेश बाबा के धाम से जाए कि जनजाति समाज सनातन समाज का अभिन्न अंग है. यह समाज सनातनी परंपरा का अभिन्न अंग है. उसका संरक्षण और संवर्धन किया जाए. हम अपने स्वाभावित तरीके से बाबा की पूजा कर रहे हैं. हमारे पास जो पत्र-पुष्प है उसी से पूजा करेंगे. हम कुछ लेकर नहीं आए. हम आस्था वाले लोग हैं. मंदिर प्रशासन हमें जो भी उपलब्ध करा रहा है, हम उसी से पूजा-पाठ करेंगे. इस कार्यक्रम में हमारे 1200 परंपरागत पुजारी, बैगा, 18 जनजातियों के प्रमुख लोग शामिल हो हुए हैं.

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