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कुत्तों से मौत का बदला ले रहे हैं बंदर, अब तक ऊंचाई से फेंककर 250 पिल्लों की ले चुके हैं जान

Monkey killed puppies in Beed : महाराष्ट्र के बीड जिले के माजलगांव में बंदर कुत्तों के बच्चों की जान के दुश्मन बन गए हैं. ये बंदर गांव में ढूंढ-ढूंढकर कुत्ते के बच्चों को उठाकर ले जाते हैं और ऊंचाई वाली जगह ने नीचे फेंक देते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि ये बंदर अपने बच्चे की मौत का बदला ले रहे हैं. इसके अलावा बंदर छोटे बच्चों पर भी हमला कर रहे हैं.

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Published : Dec 18, 2021, 5:37 PM IST

Monkey killed puppies
Monkey killed puppies

बीड (महाराष्ट्र) : बीड जिले के माजलगांव से दस किलोमीटर दूर लवूल गांव में पिछले दो महीनों से तीन बंदरों ने आतंक मचा रखा है. ग्रामीणों के मुताबिक, ये बंदर गांव में घूम रहे कुत्ते के बच्चे को निशाना बना रहे हैं. वे छोटे पिल्लों को किसी ऊंचे पेड़ या मकान पर ले जाकर नीचे फेंक देते हैं. ऊंचाई से गिरने के कारण कुत्ते के बच्चों की मौके पर ही मौत हो जाती है. इन बंदरों ने एक महीने में 250 से अधिक कुत्ते के बच्चों की जान ली है.

बताया जा रहा है कि पिछले महीने पहले आवारा कुत्तों ने बंदर के एक बच्चे को मार दिया था. इसके बाद से बंदर कुत्ते के बच्चों की जान के दुश्मन बन गए. लावूल गांव की आबादी करीब पांच हजार है. बंदरों को पकड़ने के लिए ग्रामीणों ने वन विभाग से गुहार लगाई थी. वन विभाग की टीम भी किसी भी बंदर को पकड़ने में नाकाम रही.

लावुल गांव में रहने वाले सीताराम नायबल ने बताया कि करीब 15 दिन पहले एक बंदर उनके पिल्ले को उठा ले गया. जब उन्होंने अपने पालतू पिल्ले को बचाने की कोशिश की तो बंदर ने उन पर हमला बोल दिया. बचने के प्रयास में सीताराम अपनी छत से नीचे गिर गए और उनका पैर टूट गया. बंदरों के कारण कई लोगों पहले भी घायल हो चुके हैं.

बंदरों के व्यवहार के बारे में पशु मित्र सिद्धार्थ सोनवणे का कहना है कि बंदर पिल्लों को हाथ में लेकर पहले पेड़ या छत पर जाते हैं. उनके रोएं नोंचते हैं, फिर ऊपर से छोड़ देते हैं. नतीजतन, पिल्ला पेड़ से गिरकर मर जाता है. जब कोई आदमी उन्हें ऐसा करने से रोकता है तो बंदर उन पर भी हमला कर देते हैं.

बीड (महाराष्ट्र) : बीड जिले के माजलगांव से दस किलोमीटर दूर लवूल गांव में पिछले दो महीनों से तीन बंदरों ने आतंक मचा रखा है. ग्रामीणों के मुताबिक, ये बंदर गांव में घूम रहे कुत्ते के बच्चे को निशाना बना रहे हैं. वे छोटे पिल्लों को किसी ऊंचे पेड़ या मकान पर ले जाकर नीचे फेंक देते हैं. ऊंचाई से गिरने के कारण कुत्ते के बच्चों की मौके पर ही मौत हो जाती है. इन बंदरों ने एक महीने में 250 से अधिक कुत्ते के बच्चों की जान ली है.

बताया जा रहा है कि पिछले महीने पहले आवारा कुत्तों ने बंदर के एक बच्चे को मार दिया था. इसके बाद से बंदर कुत्ते के बच्चों की जान के दुश्मन बन गए. लावूल गांव की आबादी करीब पांच हजार है. बंदरों को पकड़ने के लिए ग्रामीणों ने वन विभाग से गुहार लगाई थी. वन विभाग की टीम भी किसी भी बंदर को पकड़ने में नाकाम रही.

लावुल गांव में रहने वाले सीताराम नायबल ने बताया कि करीब 15 दिन पहले एक बंदर उनके पिल्ले को उठा ले गया. जब उन्होंने अपने पालतू पिल्ले को बचाने की कोशिश की तो बंदर ने उन पर हमला बोल दिया. बचने के प्रयास में सीताराम अपनी छत से नीचे गिर गए और उनका पैर टूट गया. बंदरों के कारण कई लोगों पहले भी घायल हो चुके हैं.

बंदरों के व्यवहार के बारे में पशु मित्र सिद्धार्थ सोनवणे का कहना है कि बंदर पिल्लों को हाथ में लेकर पहले पेड़ या छत पर जाते हैं. उनके रोएं नोंचते हैं, फिर ऊपर से छोड़ देते हैं. नतीजतन, पिल्ला पेड़ से गिरकर मर जाता है. जब कोई आदमी उन्हें ऐसा करने से रोकता है तो बंदर उन पर भी हमला कर देते हैं.

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