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Magh Mela in Prayagraj: इस बार मौनी व शनि अमावस्या एक साथ, स्नान के बाद इस काम से पूरी होगी हर मनोकामना

धर्म और आस्था की नगरी प्रयागराज में इस बार का माघ मेला खास माना जा रहा है. इस माघ मेला को मिनी कुंभ का दर्जा भी दिया गया है. माघ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर प्रशासन अलर्ट है. 6 जनवरी 2023 से आयोजित हुए माघ मेले की तैयारियां तीसरे स्नान मौनी अमावस्या है. इसमें उम्मीद से ज्यादा भीड़ आने की संभावना है.

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Published : Jan 20, 2023, 11:03 PM IST

प्रयागराज में मौनी अमावस्या क्यों है खास बता रहे ज्योतिषाचार्य

प्रयागराजः माघ मेले में शनिवार को मौनी अमावस्या का स्नान पर्व है. मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर संगम में स्नान करने से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. इसके साथ ही लोग मोक्ष की कामना के साथ भी इस दिन संगम में स्नान करते हैं. यही वजह है कि हर साल सांसारिक सुखों की प्राप्ति के साथ ही मोक्ष पाने की कामना लेकर लाखों श्रद्धालू संगम में स्नान करने आते हैं.

ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय ने बताया कि शनिवार के दिन मौनी अमावस्या का स्नान होने की वजह से इसे शनि अमावस्या भी कहा जा रहा है. शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या की वजह से इस दिन गंगा और संगम में स्नान के बाद लोग दान पुण्य करते है. इसके साथ ही पीपल के वृक्ष की पूजा और परिक्रमा करना और तिल और तेल का दान करना भी लाभप्रद माना जाता है. माघ महीने की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है.

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि मौनी अमावस्या माघ मेले का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण स्नान पर्व है. माघ महीने में तीर्थराज में सभी तीर्थों का वास होता है. इसके साथ ही माघ महीने में जिस वक्त सूर्य मकर राशि मे प्रवेश करते है. उस समय पुण्य काल में सभी देवी देवता भी तीर्थराज प्रयाग में आते हैं. यही कारण है कि मौनी अमावस्या के दिन गंगा यमुना सरस्वती की पावन त्रिवेणी में स्नान करने से श्रद्धालुओं की सभी कामनाओं की पूर्ति होती है. प्रयागराज सभी तीर्थों का राजा है. अमावस्या के दिन बन रहे ग्रहों के दुर्लभ संयोग में मौनी अमावस्या के दिन संगम में स्नान करने से सभी तीर्थों में स्नान करने का भी फल प्राप्त होता है.

रामायण में भी माघ मास के महत्व का वर्णनः शास्त्रों और पुराण में इस बात का वर्णन मिलता है कि माघ महीने में सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब प्रयागराज में सारे तीर्थों का वास होता है. सारे देवी देवता मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज में वास करते हैं. यही कारण है कि माघ मेले में सबसे ज्यादा भीड़ मौनी अमावस्या के स्नान पर्व पर उमड़ती है. मौनी अमावस्या के दिन संगम में स्नान करना बेहद फलदायी माना जाता है.

" माघ मकर गति रवि जब होई तीरथपति आवहि सबकोइ देव दनुज किन्नर नर श्रेणी सादर मज्जहिं सकल त्रिवेणी "

शनिवार को ब्रह्म मुहूर्त से ही शुरू हो जाएगा स्नानः ग्रह नक्षत्रम ज्योतिष शोध संस्थान के ज्योतिषचार्य आशुतोष वार्ष्णेय के मुताबिक शनिवार की भोर में 5 बजकर 15 मिनट से मौनी अमावस्या का शुभ मुहूर्त लग जायेगा. जो देर रात्रि 2 बजकर 55 मिनट तक रहेगा. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि दोपहर 2 बजकर 51 मिनट पर चंद्रमा का प्रवेश मकर राशि में होगा. जिसके बाद स्नान का महत्व और अधिक पुण्य व फलदायी बन जाएगा. शनिवार की मौनी अमावस्या के दिन सूर्य के साथ चंद्रमा व अन्य ग्रहों का दिव्य संयोग बन रहा है.

उन्होंने बताया कि इस वजह से ब्रह्म मुहूर्त से ही मौनी अमावस्या के दिन श्रद्धालुओं की भीड़ संगम स्नान करने पहुंच जाएगी. मान्यता है कि इस दिन संगम में स्नान करने से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. शनिवार के दिन अमावस्या होने की वजह से संगम में स्नान पूजा के बाद दान और पीपल के वृक्ष की पूजा और परिक्रमा के अलावा तिल व तेल का दान कर शनिदेव की कृपा भी मिल सकती है.

मौन रहकर स्नान से पूरी होती है मनोकामनाः ऐसी मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर संगम में स्नान करने से भक्तों की सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती है. इसके साथ ही उनके आत्मबल और ऊर्जा शक्ति में वृद्धि होती है. मृत्यु के बाद उन्हें जन्म मरण के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति भी होती है. घर परिवार में सुख शांति के साथ ही जन्म मरण के बंधन से मुक्ति पाने की कामना के साथ श्रद्धालु दूर-दूर से मौनी अमावस्या के दिन संगम में स्नान करने के लिए आते हैं.

शनि अमावस्या है विशेष फलदायीः ज्योतिषी गुंजन वार्ष्णेय के अनुसार शनिवार के दिन पड़ने वाली हर अमावस्या को शनि अमावस्या कहा जाता है. मौनी अमावस्या शनिवार के दिन होने की वजह से उसका महत्व और अधिक बढ़ गया है. शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या के दिन गंगा संगम में स्नान के बाद पीपल के वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करने से शनि के प्रकोप को कम कर उन्हें प्रसन्न किया किया जा सकता है. तेल से बनी हुई वस्तु को खाने पीने से परहेज करना चाहिए. इसके साथ ही तेल और तिल का दान करना लाभकारी साबित होता है. इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि अमावस्या के दिन चंद्रमा दोपहर 2 बजकर 51 मिनट पर मकर राशि मे प्रवेश करेंगे. जिसके बाद स्नान योग और भी अधिक फलदायी हो जाएगा. इतना ही नहीं उनका यह भी कहना है कि कुंभ राशि में शनि के होने की वजह से इस वक्त त्रिवेणी संगम में स्नान करने का फल कई गुना अधिक बढ़ जाएगा. क्योंकि ऐसा संयोग 30 सालों के बाद बन रहा है.

प्रशासन पूरी तरह हाई अलर्टः मेला वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजीव नारायण मिश्रा ने बताया कि इस बार लगभग 700 हेक्टेयर में 6 सेक्टर में माघ मेला बसाया गया है. इसमें 14 स्नान घाट बनाए गए थे. लेकिन 2 घाटों की संख्या बढ़ाई गई है. सारे घाटो पर डीप वाटर बैरिकेडिंग की गई है. इसके साथ ही रिवर लाइन भी बनाई गई है. इससे श्रद्धालुओं को कोई असुविधा ना हो सके किसी तरह की कोई अप्रिय घटना न घट सके. इसलिए कुशल तैराकों को हर घाटों पर लगाया गया है. एसडीआरएफ की टीम और एनडीआरएफ की टीम को जल में स्थपना किया गया है. इसके साथ ही रिवर एंबुलेंस की व्यवस्था की गई है.

2000 सीसीटीवी कैमरे सो होगी निगरानीः वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक ने बताया कि इन श्रद्धालुओं को देखने के लिए अस्थाई फ्लोटिंग चौकी की स्थापना भी की गई है. 2000 सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से पूरे मेले की निगरानी की जा रही है. संगम घाट अरेल घाट झूसी घाट इन घाटों पर ड्रोन कैमरे के माध्यम से निगरानी रखी जा रही है. इससे किसी तरह की असुविधा श्रद्धालुओं को न हो सके. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश पुलिस की विभिन्न इकाइयां जैसे नागरिक पुलिस के लोग, घुड़सवार, यातायात पुलिस, बम निरधोक दस्ता, पीएसी के जवान, एआरएफ, एनडीआरएफ की टीम, एसडीआरएफ की टीम और इसके साथ ही एटीएस के कमांडो को भी पूरी मेले की सुरक्षा व्यवस्था में लगाया गया है. पूरा मेला ज्वलनशील पदार्थ से बना हुआ है. इसको लेकर 14 फायर स्टेशन बनाए गए हैं पूरे मेले क्षेत्र में वॉच टावर बनाया गया है.

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प्रयागराज में मौनी अमावस्या क्यों है खास बता रहे ज्योतिषाचार्य

प्रयागराजः माघ मेले में शनिवार को मौनी अमावस्या का स्नान पर्व है. मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर संगम में स्नान करने से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. इसके साथ ही लोग मोक्ष की कामना के साथ भी इस दिन संगम में स्नान करते हैं. यही वजह है कि हर साल सांसारिक सुखों की प्राप्ति के साथ ही मोक्ष पाने की कामना लेकर लाखों श्रद्धालू संगम में स्नान करने आते हैं.

ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय ने बताया कि शनिवार के दिन मौनी अमावस्या का स्नान होने की वजह से इसे शनि अमावस्या भी कहा जा रहा है. शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या की वजह से इस दिन गंगा और संगम में स्नान के बाद लोग दान पुण्य करते है. इसके साथ ही पीपल के वृक्ष की पूजा और परिक्रमा करना और तिल और तेल का दान करना भी लाभप्रद माना जाता है. माघ महीने की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है.

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि मौनी अमावस्या माघ मेले का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण स्नान पर्व है. माघ महीने में तीर्थराज में सभी तीर्थों का वास होता है. इसके साथ ही माघ महीने में जिस वक्त सूर्य मकर राशि मे प्रवेश करते है. उस समय पुण्य काल में सभी देवी देवता भी तीर्थराज प्रयाग में आते हैं. यही कारण है कि मौनी अमावस्या के दिन गंगा यमुना सरस्वती की पावन त्रिवेणी में स्नान करने से श्रद्धालुओं की सभी कामनाओं की पूर्ति होती है. प्रयागराज सभी तीर्थों का राजा है. अमावस्या के दिन बन रहे ग्रहों के दुर्लभ संयोग में मौनी अमावस्या के दिन संगम में स्नान करने से सभी तीर्थों में स्नान करने का भी फल प्राप्त होता है.

रामायण में भी माघ मास के महत्व का वर्णनः शास्त्रों और पुराण में इस बात का वर्णन मिलता है कि माघ महीने में सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब प्रयागराज में सारे तीर्थों का वास होता है. सारे देवी देवता मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज में वास करते हैं. यही कारण है कि माघ मेले में सबसे ज्यादा भीड़ मौनी अमावस्या के स्नान पर्व पर उमड़ती है. मौनी अमावस्या के दिन संगम में स्नान करना बेहद फलदायी माना जाता है.

" माघ मकर गति रवि जब होई तीरथपति आवहि सबकोइ देव दनुज किन्नर नर श्रेणी सादर मज्जहिं सकल त्रिवेणी "

शनिवार को ब्रह्म मुहूर्त से ही शुरू हो जाएगा स्नानः ग्रह नक्षत्रम ज्योतिष शोध संस्थान के ज्योतिषचार्य आशुतोष वार्ष्णेय के मुताबिक शनिवार की भोर में 5 बजकर 15 मिनट से मौनी अमावस्या का शुभ मुहूर्त लग जायेगा. जो देर रात्रि 2 बजकर 55 मिनट तक रहेगा. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि दोपहर 2 बजकर 51 मिनट पर चंद्रमा का प्रवेश मकर राशि में होगा. जिसके बाद स्नान का महत्व और अधिक पुण्य व फलदायी बन जाएगा. शनिवार की मौनी अमावस्या के दिन सूर्य के साथ चंद्रमा व अन्य ग्रहों का दिव्य संयोग बन रहा है.

उन्होंने बताया कि इस वजह से ब्रह्म मुहूर्त से ही मौनी अमावस्या के दिन श्रद्धालुओं की भीड़ संगम स्नान करने पहुंच जाएगी. मान्यता है कि इस दिन संगम में स्नान करने से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. शनिवार के दिन अमावस्या होने की वजह से संगम में स्नान पूजा के बाद दान और पीपल के वृक्ष की पूजा और परिक्रमा के अलावा तिल व तेल का दान कर शनिदेव की कृपा भी मिल सकती है.

मौन रहकर स्नान से पूरी होती है मनोकामनाः ऐसी मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर संगम में स्नान करने से भक्तों की सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती है. इसके साथ ही उनके आत्मबल और ऊर्जा शक्ति में वृद्धि होती है. मृत्यु के बाद उन्हें जन्म मरण के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति भी होती है. घर परिवार में सुख शांति के साथ ही जन्म मरण के बंधन से मुक्ति पाने की कामना के साथ श्रद्धालु दूर-दूर से मौनी अमावस्या के दिन संगम में स्नान करने के लिए आते हैं.

शनि अमावस्या है विशेष फलदायीः ज्योतिषी गुंजन वार्ष्णेय के अनुसार शनिवार के दिन पड़ने वाली हर अमावस्या को शनि अमावस्या कहा जाता है. मौनी अमावस्या शनिवार के दिन होने की वजह से उसका महत्व और अधिक बढ़ गया है. शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या के दिन गंगा संगम में स्नान के बाद पीपल के वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करने से शनि के प्रकोप को कम कर उन्हें प्रसन्न किया किया जा सकता है. तेल से बनी हुई वस्तु को खाने पीने से परहेज करना चाहिए. इसके साथ ही तेल और तिल का दान करना लाभकारी साबित होता है. इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि अमावस्या के दिन चंद्रमा दोपहर 2 बजकर 51 मिनट पर मकर राशि मे प्रवेश करेंगे. जिसके बाद स्नान योग और भी अधिक फलदायी हो जाएगा. इतना ही नहीं उनका यह भी कहना है कि कुंभ राशि में शनि के होने की वजह से इस वक्त त्रिवेणी संगम में स्नान करने का फल कई गुना अधिक बढ़ जाएगा. क्योंकि ऐसा संयोग 30 सालों के बाद बन रहा है.

प्रशासन पूरी तरह हाई अलर्टः मेला वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजीव नारायण मिश्रा ने बताया कि इस बार लगभग 700 हेक्टेयर में 6 सेक्टर में माघ मेला बसाया गया है. इसमें 14 स्नान घाट बनाए गए थे. लेकिन 2 घाटों की संख्या बढ़ाई गई है. सारे घाटो पर डीप वाटर बैरिकेडिंग की गई है. इसके साथ ही रिवर लाइन भी बनाई गई है. इससे श्रद्धालुओं को कोई असुविधा ना हो सके किसी तरह की कोई अप्रिय घटना न घट सके. इसलिए कुशल तैराकों को हर घाटों पर लगाया गया है. एसडीआरएफ की टीम और एनडीआरएफ की टीम को जल में स्थपना किया गया है. इसके साथ ही रिवर एंबुलेंस की व्यवस्था की गई है.

2000 सीसीटीवी कैमरे सो होगी निगरानीः वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक ने बताया कि इन श्रद्धालुओं को देखने के लिए अस्थाई फ्लोटिंग चौकी की स्थापना भी की गई है. 2000 सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से पूरे मेले की निगरानी की जा रही है. संगम घाट अरेल घाट झूसी घाट इन घाटों पर ड्रोन कैमरे के माध्यम से निगरानी रखी जा रही है. इससे किसी तरह की असुविधा श्रद्धालुओं को न हो सके. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश पुलिस की विभिन्न इकाइयां जैसे नागरिक पुलिस के लोग, घुड़सवार, यातायात पुलिस, बम निरधोक दस्ता, पीएसी के जवान, एआरएफ, एनडीआरएफ की टीम, एसडीआरएफ की टीम और इसके साथ ही एटीएस के कमांडो को भी पूरी मेले की सुरक्षा व्यवस्था में लगाया गया है. पूरा मेला ज्वलनशील पदार्थ से बना हुआ है. इसको लेकर 14 फायर स्टेशन बनाए गए हैं पूरे मेले क्षेत्र में वॉच टावर बनाया गया है.

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