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Laser Therapy Technique: अब बिना चीर-फाड़ किए बिना भी दूर हो सकती है नसों की ब्लॉकेज, जानें क्या है लेजर तकनीक

नसों की ब्लॉकेज को दूर करने के लिए स्टेंट डालने की प्रक्रिया अपनाई जाती है. लेकिन अब इस समस्या को दूर करने के लिए लेजर थेरेपी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह प्रक्रिया स्टेंट डालने की प्रक्रिया से काफी सरल है. आइए जानते हैं लेजर तकनीक से कैसे नसों की ब्लॉकेज दूर हो सकती है और क्या हैं इसके फायदे...

लेजर थेरेपी तकनीक
लेजर थेरेपी तकनीक
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Published : May 26, 2023, 6:53 AM IST

नई दिल्लीः शरीर में रक्त का संचरण धमनियों (आर्टरीज) के माध्यम से होता है. जब इन धमनियों में ब्लॉकेज आ जाती है और रक्त का संचरण सुचारू रूप से होना बंद हो जाता है, तब हार्ट अटैक की स्थिति बनती है. इस ब्लॉकेज को दूर करने के लिए अक्सर ऐसे मरीजों मेंं स्टेंट डालने पड़ते हैं. लेकिन, अब स्टेंट डाले बिना भी धमनियों की ब्लॉकेज को दूर किया जा सकता है.

इसके लिए गुरूग्राम स्थित मेदांता अस्पताल सहित देश के अन्य कई अस्पतालों में लेजर थेरेपी तकनीक अपनाई जा रही है. मेदांता अस्पताल में इंटरवेंशनल एंड स्ट्रक्चरल हार्ट कार्डियोलाजी विभाग के चेयरमैन डॉ. प्रवीण चंद्रा ने बताया कि लेजर थेरेपी तकनीक स्टेंटिंग की प्रक्रिया से सरल है. कई बार जब एंजियोप्लास्टी करके स्टेंट डाला जाता है तो वह काम नहीं करता. इस स्थिति को स्टेंट फेल होना कहा जाता है. कई बार कुछ मरीजों में स्टेंट के काम करने की संभावना कम होती है. ऐसे मरीजों में लेजर तकनीक का इस्तेमाल करके पहले धमनियों को साफ कर दिया जाता है. फिर मेडिकेटेड गुब्बारे की मदद से धमनियों में दवाई छोड़ दी जाती है, जिससे धमनी की ब्लाकेज पूरी तरह खत्म हो जाती है. इस तकनीक से ब्लाकेज दूरे होने के बाद दोबारा ब्लाकेज की संभावना नहीं रहती है. साथ ही नस पूरी तरह से प्राकृतिक स्थिति में आ जाती है.

गुरुग्राम मेदांता अस्पताल के डॉ. प्रवीण चंद्रा
गुरुग्राम मेदांता अस्पताल के डॉ. प्रवीण चंद्रा

तकनीक के फायदे

  1. लेजर थेरेपी तकनीक अधिकतर ब्लॉकेज में कारगर है.
  2. इससे दोबारा ब्लॉकेज के की संभावना न के बराबर रहती है.
  3. लेजर थेरेपी से ब्लॉकेज दूर करने पर मरीज को उसी दिन छुट्टी मिल जाती है.
  4. इसमें बिना किसी एनेस्थीसिया, बिना किसी चीर-फाड़ के इलाज हो जाता है.
  5. लेजर थेरेपी तकनीक से अधिक समय तक कारगर रहने वाला इलाज होता है.
  6. इसमें अचानक ब्लॉकेज होने की कोई संभावना नहीं होती है.
  7. जबकि स्टेंट डालते समय कई बार अचानक ब्लॉकेज होने का खतरा बना रहता है.

इस तकनीक से हो चुका है 300-400 मरीजों का इलाज
डॉ. प्रवीण चंद्रा ने बताया कि पिछले एक साल में मेदांता अस्पताल में लेजर थेरेपी तकनीक से 300 से 400 मरीजों का इलाज हो चुका है. इस तकनीक से इलाज कराने में मरीज ज्यादा सहज महसूस करता है. जिस दिन मरीज अस्पताल में आता है, उसी दिन उसकी ब्लॉकेज को दूर करके छुट्टी दे दी जाती है. मरीज के मन में बिना चीर-फाड़ इलाज होने के कारण कोई नकारात्मक विचार या डर भी महसूस नहीं होता है. जबकि स्टेंट डालने पर मरीज को अस्पताल से छुट्टी मिलने में दो दिन लग जाते हैं.

ऐसे काम करती है लेजर थेरेपी तकनीक
डॉ. प्रवीण चंद्रा ने बताया कि रक्त वाहिकाओं में ब्लॉकेज को दूर करने के लिए लेजर थेरेपी तकनीक में एक कैथेटर जो उच्च ऊर्जा प्रकाश (लेजर) का उत्सर्जन करता है, का उपयोग धमनियों को खोलने के लिए किया जाता है. यह वाष्पित हो जाता है और नसों की दीवारों को नुकसान पहुंचाए बिना ब्लाकेज को साफ कर देता है. कई मामलों में लेजर रक्त के मार्ग को इतनी प्रभावी ढंग से साफ करता है कि रोगियों को बाद में स्टेंट की भी आवश्यकता नहीं होती है. यह तकनीक मरीजों में बाईपास सर्जरी की आवश्यकता को भी समाप्त करती है.

लेजर तकनीक के इस्तेमाल से पहले होती है जांच
डॉ. चंद्रा ने बताया कि हर मरीज में इस तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. पहले मरीज की जांच करके पता करते हैं कि उसकी नसों में किस तरह की ब्लाकेज है. उसके बाद ही लेजर तकनीक या स्टेंट डालने की प्रक्रिया अपनाने की स्थिति तय होती है.

ये भी पढ़ेंः Delhi Crime: सीरियल किलर रविंद्र को आजीवन कारावास, जज बोले- फांसी की सजा नहीं दे रहे क्योंकि..., पढ़ें

स्टेंट डलने से महंगा है लेजर तकनीक से इलाज
डॉ. प्रवीण चंद्रा ने बताया कि लेजर तकनीक सहज और नान इनवेसिव (बिना चीर-फाड़) होने के कारण स्टेंट डालने के मुकाबले थोड़ी महंगी होती है. लेजर तकनीक से ब्लॉकेज दूर करने में करीब तीन लाख रुपये तक का खर्च आता है. जबकि स्टेंट डालने का खर्च डेढ़ से दो लाख रुपये तक आता है. इस वजह से हर व्यक्ति इस तकनीक से इलाज कराने में सक्षम नहीं होता.

ये भी पढ़ेंः लंदन में 143 करोड़ में बिकी टीपू सुल्तान की तलवार, तोड़े नीलामी के सारे रिकॉर्ड

नई दिल्लीः शरीर में रक्त का संचरण धमनियों (आर्टरीज) के माध्यम से होता है. जब इन धमनियों में ब्लॉकेज आ जाती है और रक्त का संचरण सुचारू रूप से होना बंद हो जाता है, तब हार्ट अटैक की स्थिति बनती है. इस ब्लॉकेज को दूर करने के लिए अक्सर ऐसे मरीजों मेंं स्टेंट डालने पड़ते हैं. लेकिन, अब स्टेंट डाले बिना भी धमनियों की ब्लॉकेज को दूर किया जा सकता है.

इसके लिए गुरूग्राम स्थित मेदांता अस्पताल सहित देश के अन्य कई अस्पतालों में लेजर थेरेपी तकनीक अपनाई जा रही है. मेदांता अस्पताल में इंटरवेंशनल एंड स्ट्रक्चरल हार्ट कार्डियोलाजी विभाग के चेयरमैन डॉ. प्रवीण चंद्रा ने बताया कि लेजर थेरेपी तकनीक स्टेंटिंग की प्रक्रिया से सरल है. कई बार जब एंजियोप्लास्टी करके स्टेंट डाला जाता है तो वह काम नहीं करता. इस स्थिति को स्टेंट फेल होना कहा जाता है. कई बार कुछ मरीजों में स्टेंट के काम करने की संभावना कम होती है. ऐसे मरीजों में लेजर तकनीक का इस्तेमाल करके पहले धमनियों को साफ कर दिया जाता है. फिर मेडिकेटेड गुब्बारे की मदद से धमनियों में दवाई छोड़ दी जाती है, जिससे धमनी की ब्लाकेज पूरी तरह खत्म हो जाती है. इस तकनीक से ब्लाकेज दूरे होने के बाद दोबारा ब्लाकेज की संभावना नहीं रहती है. साथ ही नस पूरी तरह से प्राकृतिक स्थिति में आ जाती है.

गुरुग्राम मेदांता अस्पताल के डॉ. प्रवीण चंद्रा
गुरुग्राम मेदांता अस्पताल के डॉ. प्रवीण चंद्रा

तकनीक के फायदे

  1. लेजर थेरेपी तकनीक अधिकतर ब्लॉकेज में कारगर है.
  2. इससे दोबारा ब्लॉकेज के की संभावना न के बराबर रहती है.
  3. लेजर थेरेपी से ब्लॉकेज दूर करने पर मरीज को उसी दिन छुट्टी मिल जाती है.
  4. इसमें बिना किसी एनेस्थीसिया, बिना किसी चीर-फाड़ के इलाज हो जाता है.
  5. लेजर थेरेपी तकनीक से अधिक समय तक कारगर रहने वाला इलाज होता है.
  6. इसमें अचानक ब्लॉकेज होने की कोई संभावना नहीं होती है.
  7. जबकि स्टेंट डालते समय कई बार अचानक ब्लॉकेज होने का खतरा बना रहता है.

इस तकनीक से हो चुका है 300-400 मरीजों का इलाज
डॉ. प्रवीण चंद्रा ने बताया कि पिछले एक साल में मेदांता अस्पताल में लेजर थेरेपी तकनीक से 300 से 400 मरीजों का इलाज हो चुका है. इस तकनीक से इलाज कराने में मरीज ज्यादा सहज महसूस करता है. जिस दिन मरीज अस्पताल में आता है, उसी दिन उसकी ब्लॉकेज को दूर करके छुट्टी दे दी जाती है. मरीज के मन में बिना चीर-फाड़ इलाज होने के कारण कोई नकारात्मक विचार या डर भी महसूस नहीं होता है. जबकि स्टेंट डालने पर मरीज को अस्पताल से छुट्टी मिलने में दो दिन लग जाते हैं.

ऐसे काम करती है लेजर थेरेपी तकनीक
डॉ. प्रवीण चंद्रा ने बताया कि रक्त वाहिकाओं में ब्लॉकेज को दूर करने के लिए लेजर थेरेपी तकनीक में एक कैथेटर जो उच्च ऊर्जा प्रकाश (लेजर) का उत्सर्जन करता है, का उपयोग धमनियों को खोलने के लिए किया जाता है. यह वाष्पित हो जाता है और नसों की दीवारों को नुकसान पहुंचाए बिना ब्लाकेज को साफ कर देता है. कई मामलों में लेजर रक्त के मार्ग को इतनी प्रभावी ढंग से साफ करता है कि रोगियों को बाद में स्टेंट की भी आवश्यकता नहीं होती है. यह तकनीक मरीजों में बाईपास सर्जरी की आवश्यकता को भी समाप्त करती है.

लेजर तकनीक के इस्तेमाल से पहले होती है जांच
डॉ. चंद्रा ने बताया कि हर मरीज में इस तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. पहले मरीज की जांच करके पता करते हैं कि उसकी नसों में किस तरह की ब्लाकेज है. उसके बाद ही लेजर तकनीक या स्टेंट डालने की प्रक्रिया अपनाने की स्थिति तय होती है.

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स्टेंट डलने से महंगा है लेजर तकनीक से इलाज
डॉ. प्रवीण चंद्रा ने बताया कि लेजर तकनीक सहज और नान इनवेसिव (बिना चीर-फाड़) होने के कारण स्टेंट डालने के मुकाबले थोड़ी महंगी होती है. लेजर तकनीक से ब्लॉकेज दूर करने में करीब तीन लाख रुपये तक का खर्च आता है. जबकि स्टेंट डालने का खर्च डेढ़ से दो लाख रुपये तक आता है. इस वजह से हर व्यक्ति इस तकनीक से इलाज कराने में सक्षम नहीं होता.

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