ETV Bharat / bharat

पत्नी की सहमति के बिना सेक्स करना रेप है : कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि शादी लाइसेंस नहीं है और पत्नी की सहमति के बिना सेक्स करना भी रेप है. पत्नी द्वारा पति पर लगाए गए गंभीर आरोपों को हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है.

कर्नाटक हाईकोर्ट
कर्नाटक हाईकोर्ट
author img

By

Published : Mar 24, 2022, 8:27 AM IST

Updated : Mar 24, 2022, 1:16 PM IST

बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि शादी सेक्स करने का लाइसेंस नहीं है और पत्नी की सहमति के बिना सेक्स करना भी रेप है. हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस संबंध में एक महिला या पत्नी के बीच कोई भेदभाव नहीं है. भारतीय दंड संहिता की धारा 375 (बलात्कार) के अपवाद से संविधान के तहत महिला और पुरुष को समान नहीं बनाया जा सकता है. यह कानून निर्माताओं को कानून में ऐसी असमानताओं के अस्तित्व पर विचार करने के लिए है. यदि बलात्कार के आरोप को कथित अपराधों के खंड से हटा दिया जाता है, तो यह इस मामले के अजीबोगरीब तथ्यों में, शिकायतकर्ता-पत्नी के साथ जबरदस्त अन्याय होगा और याचिकाकर्ता की कामुक इच्छाओं पर प्रीमियम लगाने के समान होगा. हाई कोर्ट ने पत्नी द्वारा पति पर लगाए गए गंभीर आरोपों को हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है. इसी मुद्दे पर ऋषिकेश साहू और तीन अन्य की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया गया है.

मामला क्या है : यह मामला बेंगलुरु में रहने वाले ओडिशा में जन्मे एक दंपत्ति का है. 43 वर्षीय पति ने अपनी 27 वर्षीय पत्नी के साथ गुलाम की तरह व्यवहार किया और उसके साथ यौन संबंध बनाए.इस मामले में एक महिला शामिल है जिसने अदालत को बताया कि उसके पति ने शादी के बाद से ही उसके साथ एक सेक्स स्लेव की तरह व्यवहार किया था. अपने पति को "अमानवीय" बताते हुए, उसने आरोप लगाया कि उसके द्वारा उसे अपनी बेटी के सामने भी अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया. पुलिस ने मामले की विस्तृत जांच कर हाई कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी. इस बिंदु पर, पुलिस ने 'यह एक जबरन बलात्कार' के बारे में एक महत्वपूर्ण बिंदु बनाया था. इसके बाद उसके पति ने रेप के आरोप को खत्म करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की.

पति ने क्या कहा : पत्नी ने बदला लेने के लिए उस पर रेप का आरोप लगाया है. इसे रद्द करने के लिए ऋषिकेश साहू ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. आरोपी पति के वकील ने दलील दी कि पति को आईपीसी की धारा 376 के तहत बलात्कार से छूट दी गई है. लेकिन हाईकोर्ट ने अर्जी को रेप बताते हुए खारिज कर दिया. अदालत ने स्पष्ट किया कि इसका पत्नी पर मनोवैज्ञानिक, शारीरिक प्रभाव पड़ेगा. हाईकोर्ट ने बताया कि वैवाहिक बलात्कार 50 अमेरिकी राज्यों, 3 ऑस्ट्रेलियाई राज्यों, न्यूजीलैंड, कनाडा, इज़राइल, फ्रांस, स्वीडन, डेनमार्क, नॉर्वे, सोवियत संघ, पोलैंड और चेकोस्लोवाकिया और कई अन्य देशों में अवैध है. यदि पति अपनी पत्नी की इच्छा के विरुद्ध शारीरिक संबंध बनाता है तो यह बलात्कार है.

यह भी पढ़ें-मैरिटल रेप पर 100 से ज्यादा देशों में मिलती है सज़ा, जानिये भारत में क्या है कानून ?

बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि शादी सेक्स करने का लाइसेंस नहीं है और पत्नी की सहमति के बिना सेक्स करना भी रेप है. हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस संबंध में एक महिला या पत्नी के बीच कोई भेदभाव नहीं है. भारतीय दंड संहिता की धारा 375 (बलात्कार) के अपवाद से संविधान के तहत महिला और पुरुष को समान नहीं बनाया जा सकता है. यह कानून निर्माताओं को कानून में ऐसी असमानताओं के अस्तित्व पर विचार करने के लिए है. यदि बलात्कार के आरोप को कथित अपराधों के खंड से हटा दिया जाता है, तो यह इस मामले के अजीबोगरीब तथ्यों में, शिकायतकर्ता-पत्नी के साथ जबरदस्त अन्याय होगा और याचिकाकर्ता की कामुक इच्छाओं पर प्रीमियम लगाने के समान होगा. हाई कोर्ट ने पत्नी द्वारा पति पर लगाए गए गंभीर आरोपों को हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है. इसी मुद्दे पर ऋषिकेश साहू और तीन अन्य की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया गया है.

मामला क्या है : यह मामला बेंगलुरु में रहने वाले ओडिशा में जन्मे एक दंपत्ति का है. 43 वर्षीय पति ने अपनी 27 वर्षीय पत्नी के साथ गुलाम की तरह व्यवहार किया और उसके साथ यौन संबंध बनाए.इस मामले में एक महिला शामिल है जिसने अदालत को बताया कि उसके पति ने शादी के बाद से ही उसके साथ एक सेक्स स्लेव की तरह व्यवहार किया था. अपने पति को "अमानवीय" बताते हुए, उसने आरोप लगाया कि उसके द्वारा उसे अपनी बेटी के सामने भी अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया. पुलिस ने मामले की विस्तृत जांच कर हाई कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी. इस बिंदु पर, पुलिस ने 'यह एक जबरन बलात्कार' के बारे में एक महत्वपूर्ण बिंदु बनाया था. इसके बाद उसके पति ने रेप के आरोप को खत्म करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की.

पति ने क्या कहा : पत्नी ने बदला लेने के लिए उस पर रेप का आरोप लगाया है. इसे रद्द करने के लिए ऋषिकेश साहू ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. आरोपी पति के वकील ने दलील दी कि पति को आईपीसी की धारा 376 के तहत बलात्कार से छूट दी गई है. लेकिन हाईकोर्ट ने अर्जी को रेप बताते हुए खारिज कर दिया. अदालत ने स्पष्ट किया कि इसका पत्नी पर मनोवैज्ञानिक, शारीरिक प्रभाव पड़ेगा. हाईकोर्ट ने बताया कि वैवाहिक बलात्कार 50 अमेरिकी राज्यों, 3 ऑस्ट्रेलियाई राज्यों, न्यूजीलैंड, कनाडा, इज़राइल, फ्रांस, स्वीडन, डेनमार्क, नॉर्वे, सोवियत संघ, पोलैंड और चेकोस्लोवाकिया और कई अन्य देशों में अवैध है. यदि पति अपनी पत्नी की इच्छा के विरुद्ध शारीरिक संबंध बनाता है तो यह बलात्कार है.

यह भी पढ़ें-मैरिटल रेप पर 100 से ज्यादा देशों में मिलती है सज़ा, जानिये भारत में क्या है कानून ?

Last Updated : Mar 24, 2022, 1:16 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.