नई दिल्ली: पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (DoNER) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि पड़ोसी देश म्यांमार से जुड़ा मेगा प्रोजेक्ट यानी कलादान मल्टी मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट (Kaldan Multi Modal Transit Transport Project) कई महत्वपूर्ण कठिनाइयों का सामना कर रहा है.
अधिकारी ने बताया कि नियुक्त ठेकेदार मैसर्स सीएंडसी कंस्ट्रक्शन का एक संयुक्त उद्यम भागीदार दिवालिया हो गया है और नेशनल लॉ ट्रिब्यूनल में दिवाला कार्यवाही शुरू की गई है. केएमएमटीटीपी भारत के पूर्वी बंदरगाह को म्यांमार से जोड़ने के लिए रणनीतिक संपर्क परियोजना है. यह परियोजना म्यांमार के पश्चिमी छोर पर सित्तवे में बंदरगाह विकसित करके और सित्तवे बंदरगाह को नदी चैनल और सड़क मार्ग से मिजोरम से जोड़ने की है. इस परियोजना में जलमार्ग और सड़क मार्ग दोनों घटक शामिल हैं.
कई चुनौतियां: इस परियोजना के सड़क मार्ग के सामने कई चुनौतियां हैं क्योंकि कार्य प्रगति बहुत धीमी गति से चल रहा है. अधिकारी ने कहा कि म्यांमार में लंबे समय तक मानसून का मौसम, परियोजना में पूरी तरह से ग्रीनफील्ड प्रकृति और म्यांमार में परियोजना स्थल से जुड़े साथ कठिन भौगोलिक इलाके प्रोजेक्ट के लिए गंभीर चुनौतियां पेश कर रहे हैं. कोविड महामारी के कारण म्यांमार सरकार ने कर्मियों और मशीनों की आवाजाही पर सख्त प्रतिबंध लागू किया है. जिसने काम की गति को प्रभावित किया है.
दक्षिण पूर्व एशिया का प्रवेश द्वार: 31 जनवरी 2022 तक केएमएमटीटीपी की सड़क की वर्तमान भौतिक प्रगति 4 प्रतिशत है. सड़क निर्माण के लिए जिम्मेदार ठेकेदार के प्रमुख भागीदार के दिवालिया होने के कारण एजेंसी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने अपनी हाल की मिजोरम यात्रा के दौरान कहा है कि राज्य जल्द ही दक्षिण पूर्व एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के सभी महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार के रूप में काम करेगा. कलादान परियोजना के माध्यम से यह उत्तर पूर्वी क्षेत्र के विकास में अग्रणी बनेगा.
कितना काम पूरा हुआ: परियोजना के जलमार्ग का निर्माण कार्य जिसमें सित्तवे में बंदरगाह और अंतरदेशीय जल परिवहन (inland water transport) टर्मिनल का निर्माण, बंदरगाह पर पहुंच चैनल और नदी चैनल की ड्रेजिंग, सित्तवे से कलादान नदी के साथ 158 किलोमीटर लंबे नौवहन चैनल का विकास शामिल है. पलेटवा में एक आईडब्ल्यूटी टर्मिनल का निर्माण और छह 300 टन बार्ज का निर्माण पूरा हो गया है.
2023 तक होना है पूरा: 2008 में भारत सरकार और म्यांमार ने मेगा परियोजना के कार्यान्वयन के लिए समझौता किया था. दिसंबर 2019 में भारत सरकार और म्यांमार द्वारा संयुक्त रूप से एक पोर्ट ऑपरेटर को नियुक्त किया गया है. पोर्ट ऑपरेटर ने फरवरी 2020 से संचालन शुरू किया है. बंदरगाह और आईडब्ल्यूटी टर्मिनल के संचालन के लिए प्रयास और किए जा रहे हैं. बंदरगाह के संचालन के लिए आवश्यक कार्यों के लिए निविदा/अनुबंध जारी किया गया है.
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मूल रूप से परियोजना को 2014 तक पूरा किया जाना था. जिसे बाद में मार्च 2023 तक बढ़ा दिया गया. केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित संशोधित परियोजना लागत 2904.04 करोड़ रुपये (जलमार्ग के लिए 982.99 करोड़ रुपये और सड़क घटक के लिए 1921.05 करोड़ रुपये) है. कलादान सड़क घटक के लिए इस वर्ष 31 जनवरी तक लगभग 63 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. दूसरी ओर कलादान जलमार्ग घटक के विकास पर लगभग 566 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.