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ये हुई न बात! बिहार के सरकारी अस्पताल में DM ने कराई पत्नी की डिलीवरी

Kaimur DM Sawan Kumar कभी बिहार के डीएम साहब किसान बन गए. कभी लाल शर्ट और लुंगी पहनकर धान रोपने खेत में उतर गए, तो कभी गांव-गांव घूमकर बुजुर्ग माताएं और बहनों का हाल चाल जान लिया. कुछ ऐसे ही हैं, बिहार के कैमूर जिलाधिकारी (DM) सावन कुमार. लेकिन इस बार डीएम सावन कुमार ने ऐसा कुछ किया है, जिसके लिए उनकी हर कोई तारीफ करते नहीं थक रहा है. आखिर ऐसा क्या किया डीएम साहब ने, पढ़ें.

DM ने कराई पत्नी की डिलीवरी
DM ने कराई पत्नी की डिलीवरी
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 13, 2023, 7:41 PM IST

कैमूर: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की तारीफ करते नहीं थकते हैं. लेकिन हकीकत किसी से छिपी नहीं है. अगर आप गरीब की श्रेणी में आते हैं तो सरकारी अस्पताल का रुख करेंगे, लेकिन आपकी जेब में पैसा है, आप बड़े लोग हैं, तो आप प्राइवेट नर्सिंग होम या अस्पताल का रुख करेंगे. लेकिन बिहार के कैमूर जिले के जिलाधिकारी ने एक नजीर पेश कर दी है.

सरकारी अस्पताल में DM ने कराई पत्नी की डिलीवरी : कैमूर जिले के डीएम सावन कुमार ने अपनी पत्नी को प्रसव (डिलीवरी) के लिए सदर अस्पताल में भर्ती (12 दिसंबर) कराया. इसके बाद डॉक्टर किरण सिंह की देखरेख में सिजेरियन से प्रसव कराया गया. डॉक्टरों की मानें तो जच्चा और बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ हैं, जिलाधिकारी को बेटा हुआ है. फिलहाल डीएम सावन कुमार की पत्नी और बच्चे को सदर अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है.

''अभी कुछ दिनों तक जच्चा और बच्चा को डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा. सर्जरी के बाद बच्चे का विशेष ध्यान रखा जा रहा है. दोनों जब पूरी तरह स्वस्थ हो जाएंगे, तब दोनों को डिस्चार्ज कर दिया जाएगा.'' - डॉ विनोद कुमार सिंह, डीएस

सरकारी अस्पताल में पत्नी की डिलीवरी क्यों? : बताया जाता है कि मंगलवार सुबह डीएम सावन कुमार पत्नी को लेकर सदर अस्पताल गए थे. डॉक्टरों ने जांच के बाद इलाज शुरू किया और फिर पत्नी ने बच्चे को जन्म दिया. लेकिन इससे पहले जब जिलाधिकारी सदर अस्पताल पहुंचे तो उन्हें देख मरीज से लेकर डॉक्टर तक सभी हैरान रह गए. हालांकि जिलाधिकारी ने अपनी पत्नी का प्रसव सरकारी अस्पताल में क्यों कराया, यह भी उन्होंने बताया.

''संस्थागत प्रसव को बढ़ाने के लिए और सरकारी अस्पतालों को लेकर आम लोगों में जो भ्रम है, उसे दूर करने के लिए मैंने ऐसा किया. लोग सोचते हैं कि बड़े अधिकारी सरकारी अस्पताल में इलाज नहीं कराते हैं. सरकारी अस्पताल में व्यवस्था ठीक नहीं है. लेकिन ऐसा नहीं हैं.'' - सावन कुमार, जिलाधिकारी, कैमूर

बिहार के हेल्थ सिस्टम पर NFHS-5 की रिपोर्ट : बता दें कि बिहार में 80 फीसदी लोगों का सरकारी हेल्थ सिस्टम यानी सरकारी अस्पताल पर भरोसा नहीं है. यह हम नहीं, बल्कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2022 की रिपोर्ट कहती है. जब यह सवाल सरकार से पूछा जाएगा तो वो उसे झूठलाएंगे, कहेंगे सब झूठ है. लेकिन समय-समय पर बिहार के अस्पतालों से जो तस्वीर सामने आती है, वो इस सर्वे रिपोर्ट को सच साबित करती है.

ईटीवी भारत GFX.
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आखिर क्या कारण है? : सबसे बड़ी वजह है कि सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मी का समय से नहीं आना. पास में स्वास्थ्य सुविधाओं का न होना. सरकारी अस्पतालों में लंबा इंतजार करना पड़ता है. सरकारी अस्पतालों में देखभाल का इंतजाम ठीक नहीं है. फिलहाल बिहार के सरकारी अस्पताल और उनकी व्यवस्था को लेकर सवाल उठते रहेंगे, लेकिन डीएम सावन कुमार की हर कोई तारीफ करते नहीं थक रहा है.

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सरकारी अस्पताल में DM ने कराई पत्नी की डिलीवरी : कैमूर जिले के डीएम सावन कुमार ने अपनी पत्नी को प्रसव (डिलीवरी) के लिए सदर अस्पताल में भर्ती (12 दिसंबर) कराया. इसके बाद डॉक्टर किरण सिंह की देखरेख में सिजेरियन से प्रसव कराया गया. डॉक्टरों की मानें तो जच्चा और बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ हैं, जिलाधिकारी को बेटा हुआ है. फिलहाल डीएम सावन कुमार की पत्नी और बच्चे को सदर अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है.

''अभी कुछ दिनों तक जच्चा और बच्चा को डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा. सर्जरी के बाद बच्चे का विशेष ध्यान रखा जा रहा है. दोनों जब पूरी तरह स्वस्थ हो जाएंगे, तब दोनों को डिस्चार्ज कर दिया जाएगा.'' - डॉ विनोद कुमार सिंह, डीएस

सरकारी अस्पताल में पत्नी की डिलीवरी क्यों? : बताया जाता है कि मंगलवार सुबह डीएम सावन कुमार पत्नी को लेकर सदर अस्पताल गए थे. डॉक्टरों ने जांच के बाद इलाज शुरू किया और फिर पत्नी ने बच्चे को जन्म दिया. लेकिन इससे पहले जब जिलाधिकारी सदर अस्पताल पहुंचे तो उन्हें देख मरीज से लेकर डॉक्टर तक सभी हैरान रह गए. हालांकि जिलाधिकारी ने अपनी पत्नी का प्रसव सरकारी अस्पताल में क्यों कराया, यह भी उन्होंने बताया.

''संस्थागत प्रसव को बढ़ाने के लिए और सरकारी अस्पतालों को लेकर आम लोगों में जो भ्रम है, उसे दूर करने के लिए मैंने ऐसा किया. लोग सोचते हैं कि बड़े अधिकारी सरकारी अस्पताल में इलाज नहीं कराते हैं. सरकारी अस्पताल में व्यवस्था ठीक नहीं है. लेकिन ऐसा नहीं हैं.'' - सावन कुमार, जिलाधिकारी, कैमूर

बिहार के हेल्थ सिस्टम पर NFHS-5 की रिपोर्ट : बता दें कि बिहार में 80 फीसदी लोगों का सरकारी हेल्थ सिस्टम यानी सरकारी अस्पताल पर भरोसा नहीं है. यह हम नहीं, बल्कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2022 की रिपोर्ट कहती है. जब यह सवाल सरकार से पूछा जाएगा तो वो उसे झूठलाएंगे, कहेंगे सब झूठ है. लेकिन समय-समय पर बिहार के अस्पतालों से जो तस्वीर सामने आती है, वो इस सर्वे रिपोर्ट को सच साबित करती है.

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आखिर क्या कारण है? : सबसे बड़ी वजह है कि सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मी का समय से नहीं आना. पास में स्वास्थ्य सुविधाओं का न होना. सरकारी अस्पतालों में लंबा इंतजार करना पड़ता है. सरकारी अस्पतालों में देखभाल का इंतजाम ठीक नहीं है. फिलहाल बिहार के सरकारी अस्पताल और उनकी व्यवस्था को लेकर सवाल उठते रहेंगे, लेकिन डीएम सावन कुमार की हर कोई तारीफ करते नहीं थक रहा है.

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