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रोशनी एक्ट के लाभार्थियों की सूची तैयार करने की प्रक्रिया शुरू - रोशनी लाभार्थियों

जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने रोशनी अधिनियम के लाभार्थियों के विवरणों को एकत्रित करना शुरू कर दिया है ताकि रोशनी अधिनियम के अंतर्गत कब्जा की गई 20 लाख कनाल भूमि को हस्तांतरित किया जा सके. इस भूमि को कृषि भूमि के रूप में नि: शुल्क हस्तांतरित किया जाएगा.

रोशनी एक्ट के लाभार्थी
रोशनी एक्ट के लाभार्थी
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Published : Nov 24, 2020, 5:10 PM IST

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने रोशनी अधिनियम के लाभार्थियों के विवरणों को एकत्रित करना शुरू कर दिया है, जिसमें पूर्व मंत्री, राजनेता, नौकरशाह और व्यापारी शामिल हैं. जल्द ही सूची सार्वजनिक की जाएगी.

इस संबंध में जम्मू-कश्मीर प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर ईटीवी भारत को बताया कि हम रोशनी अधिनियम के लाभार्थियों के विवरण संकलित कर रहे हैं और अब तक 15000 से अधिक लाभार्थियों के डेटा इकठ्ठा किया गया है. इसमें कई राजनेताओं, नौकरशाहों और व्यापारियों के नाम शामिल हैं. संबंधित एजेंसियों से सत्यापन के बाद जल्द ही सूची सार्वजनिक की जाएगी.

उन्होंने कहा कि प्रक्रिया पूरी होने के बाद करोड़ों रुपये की सरकारी जमीन वापस मिल जाएगी. दिलचस्प बात यह है कि रोशनी अधिनियम के तहत लगभग 3,48,200 कनाल भूमि के वास्तविक हस्तांतरण में से 3,40,000 से अधिक भूमि को कृषि भूमि के रूप में नि:शुल्क हस्तांतरित किया जाएगा.

31 अक्टूबर को प्रशासन ने जम्मू-कश्मीर राज्य भूमि (व्यवसायियों के स्वामित्व का अधिकार) अधिनियम, 2001 जिसे रोशनी अधिनियम भी कहा जाता है के अंतर्गत 20 लाख कनाल हस्तांतरित भूमि को छह महीने के भीतर पुनः प्राप्त करने का फैसला किया था.

इसके अलावा जम्मू उच्च न्यायलय ने इस मामले में आदेश दिया कि अगर उसके निर्देशों का अनुपालन नहीं किया जाता है, तो राजस्व विभाग के सचिव और जम्मू-कश्मीर के डिविजनल कमिश्नर इसके लिए उत्तरदायी होंगे और इसे कोर्ट की अवमानना मान कर आगे की कार्यवाही की जाएगी.

कोर्ट ने आदेश दिया है कि इस मामले पर जांच के लिए सीबीआई के निदेशक, पुलिस अधीक्षकों के रैंक से नीचे के अधिकारियों की टीमों की नियुक्ति नहीं करेंगे. यह टीम मामले की गहन जांच करेगी और जांच के दौरान दोषी पाए जाने वालो लोगों के खिलाफ सीबीआई कानून के अनुसार मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई करेगी.

इसके अलावा सीबीआई भूमि पर जारी अतिक्रमणों के बारे में पूछताछ करेगी, स्वामित्व / उपयोग का अवैध परिवर्तन, अतिक्रमित राज्य भूमि पर लाइसेंस का अनुदान, उपयोगकर्ता द्वारा उल्लंघन कर भूमि का दुरुपयोग, अवैध निर्माणों को हटाएगी.

पढ़ें - जम्मू-कश्मीर: रोशनी घोटाले पर कानून मंत्री का स्थानीय नेताओं पर गंभीर आरोप

साथ ही इन अवैध कब्जा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने में अधिकारियों की विफलता और उन लोगों की जिम्मेदारी तय करेगी जो इस मामले की जांच में शामिल हैं.

अधिकारी के अनुसार प्रशासन ने एक पूर्व वित्त मंत्री, एक कांग्रेस नेता और प्रमुख होटल व्यवसायी की रोशनी लाभार्थियों के रूप में पहचान की है.

इसके अलावा मामले में पूर्व मंत्री हसीब दराबू और उनके तीन परिजनों शहाजादा बानू, एजाज, दराबू, इफ्किखार दराबू, कांग्रेस नेता केके अमला, रचना अमला, वीना अमला, मुश्ताक अहमद, पूर्व अधिकारी मोहम्मद शफी पंडित और उनकी पत्नी निघत पंडित, सैय्यद मुज्फ्फर आगा और अन्य कई लोगों के नाम लाभार्थियों में शामिल हैं.

इतना ही नहीं जम्मू में नेशनल कांफ्रेस के नेता सैय्यद अखून, एमवाई खान, पूर्वमंत्री अब्दुल माजिद वानी, असलम गोनी, हारून चौधरी और पूर्व मंत्री सज्जाद किचलू के नाम इस सूची में शामिल हैं.

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने रोशनी अधिनियम के लाभार्थियों के विवरणों को एकत्रित करना शुरू कर दिया है, जिसमें पूर्व मंत्री, राजनेता, नौकरशाह और व्यापारी शामिल हैं. जल्द ही सूची सार्वजनिक की जाएगी.

इस संबंध में जम्मू-कश्मीर प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर ईटीवी भारत को बताया कि हम रोशनी अधिनियम के लाभार्थियों के विवरण संकलित कर रहे हैं और अब तक 15000 से अधिक लाभार्थियों के डेटा इकठ्ठा किया गया है. इसमें कई राजनेताओं, नौकरशाहों और व्यापारियों के नाम शामिल हैं. संबंधित एजेंसियों से सत्यापन के बाद जल्द ही सूची सार्वजनिक की जाएगी.

उन्होंने कहा कि प्रक्रिया पूरी होने के बाद करोड़ों रुपये की सरकारी जमीन वापस मिल जाएगी. दिलचस्प बात यह है कि रोशनी अधिनियम के तहत लगभग 3,48,200 कनाल भूमि के वास्तविक हस्तांतरण में से 3,40,000 से अधिक भूमि को कृषि भूमि के रूप में नि:शुल्क हस्तांतरित किया जाएगा.

31 अक्टूबर को प्रशासन ने जम्मू-कश्मीर राज्य भूमि (व्यवसायियों के स्वामित्व का अधिकार) अधिनियम, 2001 जिसे रोशनी अधिनियम भी कहा जाता है के अंतर्गत 20 लाख कनाल हस्तांतरित भूमि को छह महीने के भीतर पुनः प्राप्त करने का फैसला किया था.

इसके अलावा जम्मू उच्च न्यायलय ने इस मामले में आदेश दिया कि अगर उसके निर्देशों का अनुपालन नहीं किया जाता है, तो राजस्व विभाग के सचिव और जम्मू-कश्मीर के डिविजनल कमिश्नर इसके लिए उत्तरदायी होंगे और इसे कोर्ट की अवमानना मान कर आगे की कार्यवाही की जाएगी.

कोर्ट ने आदेश दिया है कि इस मामले पर जांच के लिए सीबीआई के निदेशक, पुलिस अधीक्षकों के रैंक से नीचे के अधिकारियों की टीमों की नियुक्ति नहीं करेंगे. यह टीम मामले की गहन जांच करेगी और जांच के दौरान दोषी पाए जाने वालो लोगों के खिलाफ सीबीआई कानून के अनुसार मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई करेगी.

इसके अलावा सीबीआई भूमि पर जारी अतिक्रमणों के बारे में पूछताछ करेगी, स्वामित्व / उपयोग का अवैध परिवर्तन, अतिक्रमित राज्य भूमि पर लाइसेंस का अनुदान, उपयोगकर्ता द्वारा उल्लंघन कर भूमि का दुरुपयोग, अवैध निर्माणों को हटाएगी.

पढ़ें - जम्मू-कश्मीर: रोशनी घोटाले पर कानून मंत्री का स्थानीय नेताओं पर गंभीर आरोप

साथ ही इन अवैध कब्जा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने में अधिकारियों की विफलता और उन लोगों की जिम्मेदारी तय करेगी जो इस मामले की जांच में शामिल हैं.

अधिकारी के अनुसार प्रशासन ने एक पूर्व वित्त मंत्री, एक कांग्रेस नेता और प्रमुख होटल व्यवसायी की रोशनी लाभार्थियों के रूप में पहचान की है.

इसके अलावा मामले में पूर्व मंत्री हसीब दराबू और उनके तीन परिजनों शहाजादा बानू, एजाज, दराबू, इफ्किखार दराबू, कांग्रेस नेता केके अमला, रचना अमला, वीना अमला, मुश्ताक अहमद, पूर्व अधिकारी मोहम्मद शफी पंडित और उनकी पत्नी निघत पंडित, सैय्यद मुज्फ्फर आगा और अन्य कई लोगों के नाम लाभार्थियों में शामिल हैं.

इतना ही नहीं जम्मू में नेशनल कांफ्रेस के नेता सैय्यद अखून, एमवाई खान, पूर्वमंत्री अब्दुल माजिद वानी, असलम गोनी, हारून चौधरी और पूर्व मंत्री सज्जाद किचलू के नाम इस सूची में शामिल हैं.

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