रांची : झारखंड विधानसभा में मंगलवार को झारखंड भीड़ हिंसा एवं भीड़ लिंचिंग निवारण विधेयक (Jharkhand mob lynching bill 2021) पारित कर दिया गया. विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन प्रभारी मंत्री गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन आलमगीर आलम ने विधेयक को सदन में पेश किया. चर्चा के बाद एक संशोधन के साथ बिल को पास कर दिया गया. इसके साथ ही झारखंड मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाने वाला चौथा राज्य बन गया है. इससे पहले मणिपुर, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में कानून बन चुका है.
विधानसभा में पास यह बिल राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद कानून में तब्दील हो जाएगा. इस बिल पर कई सवाल खड़े करने वाले भाजपा विधायक अमित मंडल और समर्थन करने वाले कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने ईटीवी भारत से अपनी-अपनी बात साझा की. अमित मंडल ने कहा कि यह जल्दबाजी में लाया गया कानून है. यह सिर्फ राजनीतिक फायदा के लिए लाया गया है. इस कानून में कई खामियां हैं.
वहीं, इरफान अंसारी ने कहा कि मॉब लिंचिंग की घटनाओं के कारण राष्ट्रीय स्तर पर झारखंड की फजीहत होती थी. अब कोई दुस्साहस नहीं कर पाएगा. उन्होंने कहा कि इस बिल के पास होने से आदिवासी, दलित और मुस्लिम समाज के लोग काफी खुश हैं. इरफान अंसारी ने भी कहा कि इस बिल में अभी कई कमियां हैं, जिनको लेकर समय-समय पर संशोधन होता रहेगा. उन्होंने कहा कि मॉब लिंचिंग होने पर अधिकतम उम्र कैद की सजा की जगह फांसी की सजा का प्रावधान होना चाहिए.
मॉब लिंचिंग प्रिवेंशन बिल 2021 की मुख्य बातें
- मॉब लिंचिंग पर कानून बनाने वाल चौथा राज्य बना झारखंड
- आईजी स्तर के अधिकारी करेंगे मॉनिटरिंग
- जिले के एसपी करेंगे कोऑर्डिनेट
- गैर जमानती अपराध माना गया
- आजीवन कारावास तक की सजा
- सामान्य हिंसा में तीन साल तक की सजा
- 2 या 2 से आधिक लोगों को मॉब माना गया
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में लाया गया बिल
- संशोधन में निर्बल की जगह आम नागरिक शब्द जोड़ा गया
आईजी स्तर के होंगे नोडल अधिकारी
झारखंड प्रिवेंशन ऑफ मॉब वायलेंस एंड मॉब लिंचिंग बिल 2021 को विधानसभा पटल पर लाने से पहले इस प्रारूप को सभी विधायकों को आपत्ति, संशोधन एवं उनकी राय जानने के लिए दी गई थी. बिल के अनुसार राज्य के अंदर लिंचिग रोकने की दिशा में मॉनिटरिंग और समन्वय के लिए आईजी स्तर के एक अधिकारी को नियुक्त किया जाएगा. इन्हें नोडल अफसर कहा जाएगा.
इतना ही नहीं प्रारूप में मॉब लिंचिंग को परिभाषित किया गया है. किसी ऐसी भीड़ द्वारा धार्मिक, रंगभेद, जाति, लिंग, जन्मस्थान, भाषा सहित कई ऐसे ही आधार पर हिंसा या हिंसक घटनाओं के कारण किसी की हत्या का कारण बन जाए, इस तरह की घटनाओं को मॉब लिंचिंग कहा जाएगा.दो या दो से ज्यादा लोगों के समूह को मॉब कहा जाएगा.
बिल पर सदन के अंदर बाहर दिखी राजनीति
विधानसभा में सरकार द्वारा मॉब लिंचिंग और भीड़ हिंसा रोकने को लेकर लाये गए बिल पर विपक्षी दल भाजपा ने संशोधन प्रस्ताव लाते हुए इसमें कई खामी होने की बात कही वहीं सरकार के सहयोगी दल कांग्रेस ने इसकी सराहना करते हुए इसकी तारीफ की. स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो ने सदन में पारित होने के बाद सरकार द्वारा इसपर कानून बनाने की बात कही.
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वहीं, संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि देश का यह चौथा राज्य होगा जहां मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाया गया है. उन्होंने कहा कि मणिपुर, राजस्थान और बंगाल के बाद झारखंड ऐसा राज्य है जो इस बिल को लाया है. समाज कल्याण एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल अंसारी ने कहा कि यह कानून सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बना है. सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के विधायक पूर्णिमा सिंह ने इसका स्वागत करते हुए कहा कि इसमें उम्र कैद की सजा का प्रावधान किया गया है और अगले दो वर्ष में संशोधन भी किया जा सकता है.
मॉब लिंचिंग और भीड़ हिंसा अपराध में ऐसे मिलेगा दंड
मॉब लिंचिग और मॉब वायलेंस जैसे जघन्य अपराध के लिए कड़े दंड का प्रावधान के साथ साथ गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में इसे रखा गया है. अपराध के अनुसार ही दंड का प्रावधान किया गया है. इसमें आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान होगा. सामान्य हिंसा तथा पीड़ित के घायल होने की अवस्था में तीन साल की सजा के साथ एक लाख का आर्थिक दंड होगा.
इसकी रोकथाम के लिए नियुक्त नोडल ऑफिसर स्थानीय खुफिया तंत्रों के साथ नियमित बैठक करेंगे. कम से कम महीने में एक बार होनेवाली बैठक में ऐसी सभी आशंकाओं, संभावनाओं प्रवृतियों को रोकने के लिए चिन्हित करेंगे. हरेक जिला में एसपी या एसएसपी अपने जिले में मॉब वायलेंस तथा मॉब लिंचिंग जैसी घटनाओं को रोकने की दिशा में कोऑर्डिनेट करेंगे, जिनकी सहायता के लिए डीएसपी स्तर के अधिकारी होंगे.