श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी (Syed Ali Shah Geelani) का बुधवार रात निधन हो गया था. अब गुरुवार को सुबह 5 बजे ही उनको सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया. मिली जानकारी के मुताबिक अंतिम संस्कार सुबह 5 बजे जम्मू कश्मीर के हैदरपोरा में हुआ. गिलानी का परिवार चाहता था कि उन्हें सुबह 10 बजे के करीब दफनाया जाए. वे रिश्तेदारों को अंतिम संस्कार में बुलाना चाहते थे लेकिन इसकी इजाजत नहीं दी गई.
सैयद अली शाह गिलानी 92 वर्ष के थे. उनके परिवार में उनके दो बेटे और छह बेटियां हैं. उन्होंने 1968 में अपनी पहली पत्नी के निधन के बाद दोबारा विवाह किया था. अलगाववादी नेता गिलानी पिछले दो दशक से अधिक समय से गुर्दे संबंधी बीमारी से पीड़ित थे. इसके अलावा वह बढ़ती आयु संबंधी कई अन्य बीमारियों से जूझ रहे थे. बता दें, सैयद अली शाह गिलानी के निधन के बाद इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया है. वहीं, सिर्फ गिलानी के परिजनों को ही अंतिम संस्कार में शामिल होने की इजाजत दी गई है किसी और के शामिल होने पर पाबंदी लगाई गई है.
कश्मीर घाटी में अफवाहों के फैलने के कारण भ्रम की स्थिति पैदा होने से रोकने के लिए मोबाइल इंटरनेट एहतियातन बंद कर दिया गया है. गिलानी के परिवार के एक सदस्य ने बताया कि गिलानी का निधन रात्रि साढ़े 10 बजे हुआ. पूर्ववर्ती राज्य में सोपोर से तीन बार विधायक रहे गिलानी 2008 के अमरनाथ भूमि विवाद और 2010 में श्रीनगर में एक युवक की मौत के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों का चेहरा बन गए थे.
वह हुर्रियत कांफ्रेंस के संस्थापक सदस्य थे, लेकिन वह उससे अलग हो गए और उन्होंने 2000 की शुरुआत में तहरीक-ए-हुर्रियत का गठन किया था. आखिरकार उन्होंने जून 2020 में हुर्रियत कांफ्रेंस से भी विदाई ले ली.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने गिलानी के निधन पर अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के जरिए शोक व्यक्त किया.
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया कि वह गिलानी के निधन की खबर से दुखी हैं. उन्होंने कहा, 'हम भले ही ज्यादातर चीजों पर सहमत नहीं थे, लेकिन मैं उनकी दृढ़ता और उनके भरोसे पर अडिग रहने के लिए उनका सम्मान करती हूं.'
पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने भी गिलानी के निधन पर शोक व्यक्त किया. गिलानी को शहर के बाहरी इलाके स्थित हैदरपोरा में उनकी पसंद की जगह पर दफनाया जाएगा.
उनका पासपोर्ट 1981 में जब्त कर लिया गया था और फिर उनका पोसपोर्ट केवल एक बार 2006 में हज यात्रा के लिए उन्हें लौटाया गया था. उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय, पुलिस और आयकर विभाग में कई मामले लंबित थे.
कश्मीर घाटी में मस्जिदों से लाउडस्पीकर पर उनके निधन की सूचना दी गई और गिलानी समर्थक नारे लगाए गए. पुलिस ने बताया कि एहतियात के तौर पर कश्मीर में कर्फ्यू जैसे प्रतिबंध लगाए गए हैं.
(पीटीआई-भाषा)