वाराणसी: इजराइल और हमास के बीच 7 अक्टूबर से युद्ध लगातार जारी है. अभी तक कई देशों के लोग इजराइल में फंसे हुए हैं. भारत के भी काफी लोग वहां रह गए थे. ऐसे में भारत सरकार ने "ऑपरेशन अजय" के तहत लोगों को देश में वापस लाने की कवायद शुरू कर दी थी. जिसके बाद धीरे-धीरे देश के अलग-अलग हिस्सों के लोग इजराइल से अपने-अपने घर पहुंच रहे हैं. वहीं पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के एक छात्र राहुल सिंह भी इजराइल में फंसा हुआ था. अब वह भी अपने घर सकुशल वापस आ चुके है. उन्होंने घर आने के बाद वहां के भयानक मंजर और खूनी खेल का आंखो देखा हाल ईटीवी भारत को बताया. छात्र ने बताया कि लोग कितने डरे हुए थे और किस तरह से लोगों को घर वापस लाया जा सका, यह सब कुछ काफी डरावना है.
ऑपरेशन अजय के तहत हुई वापसी
इजराइल में रहने वाले वाराणसी के छात्र राहुल सिंह ने बताया कि सब कुछ नॉर्मल चल रहा था. दिन की शुरुआत भी अच्छी थी. लेकिन इसी दौरान अचानक सायरन बजने लगा. जिसके बाद सभी लोग सतर्क हो गए. फिर भी हम लोगों की फ्लाइट्स के समय में कोई बदलाव नहीं हुआ. फ्लाइट्स ऑन टाइम ही दिखा रही थी. आखिरी वक्त तक सब समय पर ही था, लेकिन मेरे निकलने के आधे घंटे पहले ही फ्लाइट कैंसिल हो गई. सोशल मीडिया ग्रुप्स पर कुछ नोटिफिकेशन आने शुरू हुए कि बाहर नहीं जाना है, खिड़की-दरवाजे बंद रखने हैं.' ये सब इजराइल में फंसे वाराणसी के कबीरनगर कॉलोनी दुर्गाकुंड के निवासी राहुल सिंह ने बताया. राहुल ने बताया कि वह इजराइल और हमास के बीच हुए जंग में फंस गए थे. जहां से उन्हें ऑपरेशन अजय के तहत भारत वापस लाया गया है.
बना था डर का माहौल
छात्र राहुल ने बताया कि वहां का ऐसा माहौल था कि उन्हें कुछ समझ में ही नहीं आया. लेकिन वहां से निकलने के लिए जब मैंने रजिस्टर किया, तो बहुत तेजी से काम हुआ. 7 दिन बाद ही प्लान को तैयार किया गया, जिस वजह से लोग यहां आ सके हैं. हम लोगों का हॉस्टल बिल्कुल खाली हो चुका था. इस वजह से और डर लग रहा था. अगर कुछ हो जाएगा तो क्या होगा. वहां का माहौल बहुत ही डरावना था. ऐसा हमने सोचा भी नहीं था. लेकिन भारत सरकार के "ऑपरेशन अजय" की वजह से हम अपने घर वापस आ सके हैं.' राहुल ने बताया कि वहां का मंजर उन्होंने अपनी आंखों से साफ-साफ देखा है.
सिटी के छात्रों ने देखा खूनी खेलछात्र राहुल ने बताया कि 'वहां से करीब 100 किलोमीटर पर गाजा है. जिस इलाके में वह लोग थे, वहां पर कोई खास प्रभाव नहीं दिखा. लेकिन सुनने में आया कि कैंपस के पास ही आकर बम ब्लास्ट हुआ था. हालात वहां पर थोड़ा खराब थे. वहां ओल्ड सिटी के पास नहीं जाने दिया जा रहा था. कई और भी इलाकों में जाने पर रोक लगा दी गई थी. "द हिब्रू यूनिवर्सिटी ऑफ जेरुसलम" का डॉरमेट्री कैंपस जो ओल्ड सिटी में पड़ता है. वहां के दोस्तों ने बताया कि वे लोग तो और भी अधिक डरे हुए थे. उन्होंने खूनी खेल भी वहां पर देखे थे. ये भयावह मंजर वहां फंसे हुए छात्रों को और भी डरा रहा था. इस वजह से वह भी डरे हुए थे.
परिवार वालों को नहीं आ रही थी नींद
छात्र राहुल के पिता अमरीश सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि, टीवी देख-देख कर उन्हें 15 तारीख तक नींद नहीं आ रही थी. जब राहुल ने कहा कि फोन नहीं करना है. बात नहीं होगी तो हम लोग और भी घबरा गए थे. टीवी में वहां की बहुत दर्दनाक स्थिति देखने को मिल रही थी. वह पीएमओ कार्यालय गए. कार्यालय प्रभारी शिवशरण पाठक ने विदेश मंत्री को इस संबंध में ईमेल किया. विदेश मंत्रालय से जवाब आया कि हम प्रोसेस में हैं. प्रधानमंत्री को भी ईमेल किया गया था. सरकार का अच्छा सहयोग रहा कि सकुशल सभी भारतीय घर वापस आ गए. परिजनों को और क्या चाहिए. यह सब बोलते-बोलते राहुलल के पिता की आंखों में आंसू आ गए.
परिजनों ने भारत सरकार को दिया धन्यवाद
राहुल के परिजनों ने कहा कि, 'हालात तब और खराब लगते हैं जब बिना सोचा हुआ कुछ घट रहा होता है. आपको पता नहीं होता है कि आगे क्या होने वाला है. अगर अपने देश में कोई रहे तो यह दिमाग में रहता है कि हम उसे वहां से जाकर ले आएंगे. अगर आप किसी फॉरेन कंट्री में हों तो वह सरकार पर ही निर्भर है कि सरकार कितनी जल्दी से कार्रवाई करती है. हम भारत सरकार को धन्यवाद देना चाहते हैं जो इतनी तेजी के साथ इस काम को शुरू किया. आज हमारे परिवार के लोग हमारे बीच में बैठे हुए हैं.' बता दें कि ऑपरेशन अजय के तहत इजराइल में फंसे भारतीयों को वापस लाया गया है.
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