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सूडान से लौटे भारतीय बोले, हर तरफ लूटपाट, खौफ का मंजर, जिंदा लौटने की उम्मीद ही छोड़ दी थी

सूडान से आजमगढ़ लौटे दो भारतीयों ने वहां की युद्द की विभीषिका का दर्द बयां किया है. उन्होंने क्या कुछ कहा चलिए जानते हैं.

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Published : Apr 28, 2023, 8:36 PM IST

आजमगढ़: सूडान के युद्धग्रस्त क्षेत्रों से आपरेशन कावेरी के जरिए भारत सरकार भारतीयों को सुरक्षित भारत लेकर आ रही है. इसी के तहत आजमगढ़ के कई युवकों को भी सूडान से वापस लाया गया है. उन्होंने पीएम मोदी और सीएम योगी को शुक्रिया अदा करते हुए वहां की युद्ध की विभीषिका के बारे में बताया. युवकों ने बताया की युद्धग्रस्त सूडान में हर तरफ लूटपाट और खौफ का मंजर है. भारतीयों ने तो जिंदा बचने की उम्मीद भी छोड़ दी थी लेकिन भारत सरकार उन्हें सुरक्षित निकाल लाई.

सूडान से लौटे भारतीयों ने बयां की युद्ध की विभीषिका.

जिले के जीयनपुर के आसपुर घांघरा लाटघाट निवासी अजीत पटेल ने बताया कि वह बीती 23 मई को ओमेगा स्टील कंपनी में काम करने गए थे. उनके साथ बिलरियागंज के पतीला गौसपुर के अनिल यादव, मुबारकपुर के मंजीत यादव साथ थे. उन्होंने कहा कि सूडान में गृहयुद्ध की भयावहता देखकर रूह कांप उठती थी. डर के कारण कई दिनों तक सोए नहीं थे. बस घर की चिंता सता रही थी. जब भारतीय नौसेना का जहाज आया तब हमारी जान में जान आई. अजीत की मां चंद्रकला देवी, पत्नी होशीला व अन्य परिजनों ने सरकार का धन्यवाद दिया.

कप्तानगंज थाना क्षेत्र के मंदुरी निवासी अंबरीश वर्मा 15 माह पूर्व अक्टूबर में कमाने के लिए सूडान गए थे. उन्होने बताया कि गृहयुद्ध के कारण सूडान में पिछले 15 दिनों से हालात बहुत खराब हो गए थे. सप्ताह भर पूरी नीद नहीं सोए. अचानक कहीं पर भी बम गिर जाता था. हमारी कमाई तो वहीं लूट ली गई. अगर हम कुछ दिन और फंसे रहते तो भूख से मर जाते. बताया गया कि उन्हें इंडियन एंबेसी ने पोर्ट सूडान से नेवी, आर्मी और एयरफोर्स की मदद से जेद्दा भिजवाया. वहां से उन्हें हवाई जहाज से दिल्ली लाया गया. यूपी भवन में भोजन व विश्राम कराने के बाद योगी सरकार ने उन्हें घर भेजने और रास्ते में खानपान की व्यवस्था की. इसके लिए उन्होंने सरकार को धन्यवाद दिया.

महराजगंज निवासी पंकज यादव कुछ माह पूर्व कमाने के लिए सूडान गए थे. पिछले 15 दिनों से वहां गृह युद्घ ‌होने से स्थितियां खराब हो गईं. उन्होंने कहा कि वहां हाल ही में बिताए गए दिन बेहद खौफनाक रहे लेकिन सरकार की पहल से सुरक्षित वतन वापसी और यहां इतनी आत्मीयता से देखभाल ने सारा खौफ दूर कर दिया. इसके लिए पीएम मोदी और सीएम योगी को शुक्रिया.


मुबारकपुर के मोईनाबाद के मनजीत ने बताया कि वह 21 सितंबर को स्टील प्लांट में काम करने सूडान गए थे. सूडान मेंसेना और रैपिड सपोर्ट फोर्सेस के बीच लड़ाई छिड़ी हुई है. वहां की स्थितियां बेहद खराब हैं. 23 अप्रैल को सूडान सरकार और भारतीय दूतावास के सहयोग से सूडान पोर्ट पर लाया गया. वहां पर एक रात पोर्ट के बाहर स्कूल में ठहराया गया. वहां से 25 अप्रैल को इंडियन नेवी के जहाज से सऊदी लाया गया. इसके बाद अगले दिन 26 अप्रैल को जिद्दा एयरपोर्ट से दिल्ली लाया गया. इसके बाद हमें वाराणसी से घर पहुंचाया गया. सारा इंतजाम सरकार की ओर से किया गया.

जिले के बिलरियागंज के पतिला गौसपुर गांव निवासी अनिल यादव ने कहा कि हमने सूडान में संघर्ष के चलते पैसा और मूल्यवान वस्तुएं गंवा दी. कहा, हमने सूडान से जिंदा लौटने की सारी उम्मीदें ही खो दी थीं. भय से सभी डरे हुए थे. हमारे पास एक जोड़ी ड्रेस और पासपोर्ट के अलावा कुछ नहीं था. उन्होंने सूडान से निकालने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया.

ये भी पढ़ेंः अतीक का पाकिस्तान कनेक्शन, अशरफ करता था आतंकी ट्रेनिंग के लिए युवाओं का माइंडवॉश !

आजमगढ़: सूडान के युद्धग्रस्त क्षेत्रों से आपरेशन कावेरी के जरिए भारत सरकार भारतीयों को सुरक्षित भारत लेकर आ रही है. इसी के तहत आजमगढ़ के कई युवकों को भी सूडान से वापस लाया गया है. उन्होंने पीएम मोदी और सीएम योगी को शुक्रिया अदा करते हुए वहां की युद्ध की विभीषिका के बारे में बताया. युवकों ने बताया की युद्धग्रस्त सूडान में हर तरफ लूटपाट और खौफ का मंजर है. भारतीयों ने तो जिंदा बचने की उम्मीद भी छोड़ दी थी लेकिन भारत सरकार उन्हें सुरक्षित निकाल लाई.

सूडान से लौटे भारतीयों ने बयां की युद्ध की विभीषिका.

जिले के जीयनपुर के आसपुर घांघरा लाटघाट निवासी अजीत पटेल ने बताया कि वह बीती 23 मई को ओमेगा स्टील कंपनी में काम करने गए थे. उनके साथ बिलरियागंज के पतीला गौसपुर के अनिल यादव, मुबारकपुर के मंजीत यादव साथ थे. उन्होंने कहा कि सूडान में गृहयुद्ध की भयावहता देखकर रूह कांप उठती थी. डर के कारण कई दिनों तक सोए नहीं थे. बस घर की चिंता सता रही थी. जब भारतीय नौसेना का जहाज आया तब हमारी जान में जान आई. अजीत की मां चंद्रकला देवी, पत्नी होशीला व अन्य परिजनों ने सरकार का धन्यवाद दिया.

कप्तानगंज थाना क्षेत्र के मंदुरी निवासी अंबरीश वर्मा 15 माह पूर्व अक्टूबर में कमाने के लिए सूडान गए थे. उन्होने बताया कि गृहयुद्ध के कारण सूडान में पिछले 15 दिनों से हालात बहुत खराब हो गए थे. सप्ताह भर पूरी नीद नहीं सोए. अचानक कहीं पर भी बम गिर जाता था. हमारी कमाई तो वहीं लूट ली गई. अगर हम कुछ दिन और फंसे रहते तो भूख से मर जाते. बताया गया कि उन्हें इंडियन एंबेसी ने पोर्ट सूडान से नेवी, आर्मी और एयरफोर्स की मदद से जेद्दा भिजवाया. वहां से उन्हें हवाई जहाज से दिल्ली लाया गया. यूपी भवन में भोजन व विश्राम कराने के बाद योगी सरकार ने उन्हें घर भेजने और रास्ते में खानपान की व्यवस्था की. इसके लिए उन्होंने सरकार को धन्यवाद दिया.

महराजगंज निवासी पंकज यादव कुछ माह पूर्व कमाने के लिए सूडान गए थे. पिछले 15 दिनों से वहां गृह युद्घ ‌होने से स्थितियां खराब हो गईं. उन्होंने कहा कि वहां हाल ही में बिताए गए दिन बेहद खौफनाक रहे लेकिन सरकार की पहल से सुरक्षित वतन वापसी और यहां इतनी आत्मीयता से देखभाल ने सारा खौफ दूर कर दिया. इसके लिए पीएम मोदी और सीएम योगी को शुक्रिया.


मुबारकपुर के मोईनाबाद के मनजीत ने बताया कि वह 21 सितंबर को स्टील प्लांट में काम करने सूडान गए थे. सूडान मेंसेना और रैपिड सपोर्ट फोर्सेस के बीच लड़ाई छिड़ी हुई है. वहां की स्थितियां बेहद खराब हैं. 23 अप्रैल को सूडान सरकार और भारतीय दूतावास के सहयोग से सूडान पोर्ट पर लाया गया. वहां पर एक रात पोर्ट के बाहर स्कूल में ठहराया गया. वहां से 25 अप्रैल को इंडियन नेवी के जहाज से सऊदी लाया गया. इसके बाद अगले दिन 26 अप्रैल को जिद्दा एयरपोर्ट से दिल्ली लाया गया. इसके बाद हमें वाराणसी से घर पहुंचाया गया. सारा इंतजाम सरकार की ओर से किया गया.

जिले के बिलरियागंज के पतिला गौसपुर गांव निवासी अनिल यादव ने कहा कि हमने सूडान में संघर्ष के चलते पैसा और मूल्यवान वस्तुएं गंवा दी. कहा, हमने सूडान से जिंदा लौटने की सारी उम्मीदें ही खो दी थीं. भय से सभी डरे हुए थे. हमारे पास एक जोड़ी ड्रेस और पासपोर्ट के अलावा कुछ नहीं था. उन्होंने सूडान से निकालने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया.

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