नई दिल्ली : पर्यटकों के कारण जनसंख्या घनत्व में अचानक वृद्धि या सामाजिक, राजनीतिक या धार्मिक कारणों से सामूहिक सभाएं कोविड की तीसरी लहर के परिदृश्य को खराब कर सकती हैं. इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ ट्रैवल मेडिसिन के एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है. अध्ययन में कहा गया है कि यात्रा प्रतिबंधों में ढील से तीसरी लहर की आशंका और बढ़ सकती है.
अध्ययन के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश के आंकड़ों से पता चलता है कि सामान्य छुट्टियों के मौसम में, पर्यटकों के कारण जनसंख्या घनत्व 40 प्रतिशत तक बढ़ सकता है. छुट्टियों के मौसम के दौरान कोविड की तीसरी लहर का चरम बिंदु 47 प्रतिशत तक बढ़ सकता है, और यह स्थिति दो सप्ताह पहले पैदा हो सकती है.
इस अध्ययन में जोखिमों को समझने के लिए गणितीय मॉडलिंग टूल का उपयोग किया गया.
अध्ययन से पता चलता है कि अक्टूबर से अगले साल अप्रैल तक त्योहारी सीजन के दौरान, यात्रा के अलावा अन्य प्रतिबंधों में ढील के चलते जनवरी में कोरोना महामारी फिर से रफ्तार पकड़ सकती है.
भारत में, मार्च 2020 में कोविड-19 के प्रसार के दौरान घरेलू यात्रा पर प्रतिबंध लगाए गए थे, जिससे काफी हद तक इसके प्रसार को रोकने में मदद मिली थी.
अध्ययन में कहा गया है कि भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर गंभीर थी, लेकिन विभिन्न राज्यों में इसका अलग-अलग प्रभाव दिखा. कम आबादी वाले छोटे राज्यों में न केवल राष्ट्रीय स्तर की तुलना में कम तीव्र प्रसार देखा गया, बल्कि इसके चरम पर पहुंचने में भी देरी हुई.
इन राज्यों में हिमाचल प्रदेश और असम जैसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं, जहां वर्तमान में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है.
यह अध्ययन ऐसे समय में आया है जब भारत में कोविड-19 के मामलों में लगातार कमी देखी जा रही है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के महासचिव डॉ जयेश एम लेले (Dr Jayesh M Lele) ने कहा कि जनसंख्या घनत्व निश्चित रूप से खतरनाक दर से संक्रमण को बढ़ा सकता है.
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डॉ लेले ने कहा कि हाल ही में हिल स्टेशनों और अन्य पर्यटन स्थलों में कोविड के मामले बढ़ने के दौरान यह पाया गया कि सामूहिक सभाओं में अचानक वृद्धि से संक्रमण के मामले बढ़े.