नई दिल्ली : भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने रविवार को कहा कि भारतीय न्यायपालिका के मानस को लाखों लोग निचली अदालतों और जिला न्यायपालिका के कार्यों के जरिए मोटे तौर पर जान सकते हैं. अत: न्यायपालिका की स्वतंत्रता और सत्यनिष्ठा की सभी स्तरों पर रक्षा करने और उसे बढ़ावा देने से अधिक महत्वपूर्ण कुछ और नहीं है.
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका कल्याणकारी राज्य को आकार देने में हमेशा सबसे आगे रही है और देश की संवैधानिक अदालतों के फैसलों ने सामाजिक लोकतंत्र को फलने-फूलने में सक्षम बनाया है.
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) के तत्वावधान में आयोजित कानूनी जागरुकता एवं संपर्क अभियान के समापन समारोह को संबोधित करते हुए प्रधान न्यायाधीश रमना ने कहा, 'हम एक कल्याणकारी राज्य का हिस्सा हैं, उसके बावजूद लाभ इच्छित स्तर पर लाभान्वितों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. सम्मानजनक जीवन जीने की लोगों की आकांक्षाओं को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इनमें से एक मुख्य चुनौती है गरीबी.'
उन्होंने कहा, 'भारतीय न्यायपालिका के मानस को लाखों लोग निचली अदालत और जिला न्यायपालिका के क्रियाकलापों के जरिए जान सकते हैं. बहुत बड़ी संख्या में वादियों के लिए जो वास्तविक और विद्यमान है, वह केवल जिला न्यायपालिका है. न्याय प्रदान करने की प्रणाली को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाए बगैर हम स्वस्थ न्यायपालिका की कल्पना नहीं कर सकते. इसलिए न्यायपालिका की सभी स्तरों पर स्वतंत्रता और सत्यनिष्ठा की रक्षा करने और उसे बढ़ावा देने से अधिक महत्वपूर्ण कुछ और नहीं है.
प्रधान न्यायाधीश उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और न्यायाधीशों को पहली बार प्रत्यक्ष रूप से संबोधित कर रहे थे.
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एनएएलएसए के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति यू यू ललित ने अभियान में शामिल पैरा-लीगल स्वयंसेवकों और अन्य लोगों के प्रयासों की सराहना की. उन्होंने बताया कि दो अक्टूबर से यह अभियान 19 लाख गांवों तक पहुंचा है. अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति ललित के प्रयासों की सराहना की.
(पीटीआई-भाषा)